पुण्‍य प्रसूनजी को इतनी जल्‍दी क्‍यों है भाई?

अभिषेक श्रीवास्तव

aar-paar aajtakहिंदू राष्‍ट्र संबंधी बयानबाज़ी ने फ्रांसिस डिसूज़ा से लेकर नज़मा हेपतुल्‍ला तक वाया मोहन भागवत लंबा सफ़र तय कर लिया, लेकिन इसमें एक कसर बाकी रह गई थी जिसे आज पुण्‍य प्रसून वाजपेयी ने पूरा कर दिया। प्रसूनजी बोले कि इतने बयान आ रहे हैं, आरएसएस की विचाधारा को फैलाया जा रहा है, तो क्‍यों नहीं सरकार इस संबंध में संविधान में एक संशोधन कर देती है?

ऐसा नहीं है कि प्रधानसेवकजी के मन में संविधान संशोधन जैसी कोई बात नहीं होगी, लेकिन एक पत्रकार उन्‍हें उनके एजेंडे पर नुस्‍खा क्‍यों सुझाए? और ये ‘आर या पार’ क्‍या है? अब तक तमाम हिंदूवादी सनक के बावजूद संघ ने ‘आर या पार’ की मंशा ज़ाहिर नहीं की है। उसका प्रोजेक्‍ट 2025 तक का है। प्रसूनजी को इतनी जल्‍दी क्‍यों है भाई?

संविधान संशोधन की सलाह देने के बाद प्रसूनजी रिवर्स लव जिहाद के कुछ फिल्‍मी मामले दिखाते हैं गानों के साथ। उदाहरणों समेत सुपर्स भी Pankaj भाई की 26 तारीख वाली पोस्‍ट से उद्धृत है- ‘लव के गुनहगार इधर भी हैं उधर भी’। आधा घंटा कट जाता है। 10तक पूरा। अगर आपके पास कहने के लिए कुछ रह नहीं गया है तो कटिए। नागपुर से चुनाव लडि़ए भाजपा के टिकट पर? फिर करवाइए संविधान संशोधन। पत्रकार बनकर क्‍यों जनता को बरगला रहे हैं?
अब ये मत कह दीजिएगा कि पूरा प्रोग्राम व्‍यंजना में था जो मुझे समझ नहीं आया।

Awanish Mishra

पुण्य प्रसून जी लम्बे समय से पत्रकारिता नहीं खालिस दलाली के धंधे में हैं।

Vikas Verma

बिल्कुल सही कहा है अभिषेक। प्रसून जी कहीं भटकाव से तो नहीं गुजर रहे हैं या फिर दर्शकों को भटकाने की कोशिश है ये?

Krishna Kant

प्रसून जी अपने को सबसे समझदार राजनीतिक विश्लेषक जैसा पेश करते हैं, लेकिन जिस दिन आडवाणी घोषित तौर पर किनारे लगाए गए, वे सारा दिन लव जिहाद पेरकर राष्ट्रवाद रूपी तेल निकाल रहे थे। पेशकश ऐसी थी कि लव जिहाद ब्रम्ह सत्य है।

Vikas Tripathi

More AAPis to follow, commuinst have already joined the league in WB. Well intellectual alterntaive media is by the way getting too much person centric and mega news centric. Is it falling in line with the electronic media. Or is it a part of larger strategy to blur the line between visible and alternative. Where r the social issues, where is the common man

(स्रोत-एफबी)

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