सुबह की शुरुआत इतने बदसूरत नज़ारे-खतरनाक मंज़र से होगी…ओफ़्फ़.
विनीत कुमार
7-8 साल क्या उम्र होती है भला..लेकिन देखिए जिसे दिन की शुरुआत दूध-ब्रेड से करनी चाहिए वो दूध की ट्रे के आगे,बिना मुंह धोये गुटखा खा रहे हैं. स्कूल ड्रेस पहने, स्कूल जाते और गुटखा खाते बच्चे, इससे खतरनाक तस्वीर क्या हो सकती है देश के भविष्य की ?
प्रधानसेवकजी, रेडियो अउर टीवी पर आपके गप्पबाजी की इन बच्चों ने मिनट भर में रेड लगा दी. ये करोड़ों रूपए के विज्ञापन किसे जागरूक करने के लिये, स्कूली बच्चों के बाल दिवस छीनकर सतरंगी ज्ञान ठेलने का क्या फायदा..आपके दूकानदार तो वैसे भी 18 साल से कम उम्रवाली नोटिस बोर्ड पर स्वच्छ भारत लिख चुके होंगे..
सुशासन मैम, आप सैंटा क्लाज़ गायब करके इनके बीच कोई ऐसा शख्स भेज सकते हैं जो इनके हाथों से गुटखे पैकेट छीने बिना खुद फेंक देने और दूध की गिलास थाम लेने के लिये प्रेरित करेगा तो आपकी ड्रामेबाज़ी चल निकलेगी..नहीं तो यकीन मानिए, एक-एक करके दिनों को बदलना सास-बहू सीरियल सइ भी बोरिंग और बकवास हरकतें हैं.
ये सरकारी स्कूल के बच्चे हैं..इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि कान्वेंट,पब्लिक स्कूल के बच्चे इनसे मुक्त हैं.. उनके नशे का स्तर थोडा हाई है.
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