सेना के पराक्रम का सुबूत माँगने वालों का दिल्ली में सियासी ड्रामा

सेना के पराक्रम का सुबूत माँगने वालों का दिल्ली में सियासी ड्रामा
सेना के पराक्रम का सुबूत माँगने वालों का दिल्ली में सियासी ड्रामा

– अभय सिंह –

अभय सिंह ,राजनैतिक विश्लेषक
अभय सिंह,
राजनैतिक विश्लेषक

कुछ वर्ष पहले एक वायरल वीडियो के जरिये हरियाणा में बहादुर बहनों का मीडिया ने मामले की जांच किये बिना खूब गुणगान किया ,परन्तु जब ब्लैकमेलर बहनों की घिनौनी सच्चाई पता चली तो मीडिया को लकवा मार गया ।फजीहत से बचने के लिए बहादुर बहनो के घिनौने सच को दबा दिया गया ।

आज ठीक इसी तरह पूर्व सैनिक रामकिशन की आत्महत्या मामले में कोई जांच पड़ताल किये बिना मीडिया वोट के भूखे शातिर नेताओ एवं मूर्खो की जमात में शामिल हो गयी।पूर्व सैनिक रामकिशन की आत्महत्या पर कुछ तथ्य सामने रख रहा हूँ जो विचारणीय है।

-रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार मृतक पूर्वसैनिक ओआरओपी के लाभार्थी थे।यदि पेंशन में कुछ विसंगतियां थी तो शिकायत दर्ज करा सकते थे इसमें आत्महत्या जैसी कोई बात नहीं हो सकती थी ।

-उनका 30 अक्टूबर को लिखा पत्र सार्वजानिक किया गया है जिसमे आत्महत्या की कोई बात नहीं की गयी है साथ ही घटनास्थल पर कोई भी सुसाइड नोट भी नहीं मिला है।क्या ये किसी के उकसावे या राजनैतिक षड्यंत्र के तहत किया गया ये जांच का विषय है।

-रामकिशन के जानकारों के अनुसार वे कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे साथ उन्होंने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी के तौर पर सरपंच का चुनाव जीता था।और आज वही कांग्रेस पार्टी उनकी आत्महत्या को राजनैतिक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है।

-पूर्वसैनिक के आत्महत्या के समय उसके साथ कौन लोग मौजूद थे यदि उन्होंने सबके सामने जहर खाया तो उन्हें रोका क्यों नहीं गया या तत्काल अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया जिससे उसकी जान बच सकती थी।

-सल्फास जो की एक अत्यंत घातक,तीव्र विष है क्या कोई व्यक्ति इसकी कई गोलियां खाकर फ़ोन पर इतनी सहजता से किस प्रकार बात कर सकता है?हो सकता है की फ़ोन करने के बाद इसे खाया गया हो।फोन पर उनकी आवाज क्यों रिकॉर्ड की गयी इसे किस मकसद से मीडिया में सार्वजानिक किया गया ये जांच का विषय है।

– क्या पूर्व सैनिक को आत्महत्या के लिए उकसाया गया , या किसी के द्वारा प्रतिबंधित विष दिया गया साथ ही योजनाबद्ध तरीके से अस्पताल ना पहुँचाकर उन्हें मरने दिया गया ताकि इसका राजनैतिक लाभ उठाया जा सके।
-मृतक परिजनों द्वारा अपनी समस्या सरकार के सामने रखने या नेताओं के बहिष्कार की बजाय राहुल गांधी से मिलने के लिए आतुर होना तथा उनपर अपनी निष्ठा जाहिर करना इस मामले को और संदिग्ध बनाते है।

-अरविन्द केजरीवाल जिनके कपटपूर्ण वीडियो ने उन्हें रातों रात पाकिस्तान का नायक और भारत का खलनायक बना दिया।इस कलंक के दाग धोने के लिए शायद यह समय उन्हें सबसे उपयुक्त लग रहा है।
-मेरा कांग्रेस से सवाल है की जिन्होंने 43 वर्षो तक ओआरओपी को कूड़े के ढेर में डाले रखा आज वे किस मुह से सेना के हितों का रोना रो रही है उन्हें शर्म क्यों नहीं आती।

अभय सिंह
राजनैतिक विश्लेषक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.