अज्ञात कुमार
झारखण्ड में चल रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र मीडिया में चुनावी खर्चे की वसूली की चर्चा शुरू हो गयी है। इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम है इन दिनों विवादों से ग्रस्त कंपनी के चैनल ‘सहारा समय’ बिहार झारखण्ड का। विगत चार नवम्बर को रांची कार्यालय में हुई बैठक में सभी रिपोर्टरों को चुनाव में टार्गेट का टास्क दिया गया था। इस बैठक में बिहार झारखण्ड के चैनल हेड भी उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के समय हुए भ्रष्टाचार के मामले में सहारा चैनल के तत्कालीन हेड संजय मिश्रा और उस समय के उनके सहयोगी अरूप चटर्जी की भी संलिप्तता की खबर प्रकाशित हुई थी।
विवाद में फंसने के बाद अरूप चटर्जी ने सहारा छोड़कर रांची से न्यूज़ 11 नाम के एक चैनल की शुरूआत की और संजय मिश्रा की सहारा से विदाई के बाद कुछ दिनों तक पी 7 और पटना के एक बिल्डर के चैनल आर्यन में इन दिनों रांची में ही अपना ठिकाना बनाये हुए है।
यानि चुनाव के समय पैसे वसूलने के दौड़ में न सिर्फ सहारा बल्कि अन्य चैनल भी लगे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इन चैनलों को न ही स्व नियमन करना है और न ही इन्हें पेड न्यूज़ या ब्रॉडकास्टर एडिटर्स एसोसिएशन से ही किसी प्रकार का भय है। उस पर तुर्रा यह कि इन चैनलों द्वारा बिलिंग में भी गोरखधंधा किया जा रहा है। उम्मीदवारों से ज्यादा पैसे लेकर कम बिल उन्हें थमा दिया जा रहा है यानि प्रत्याशियों के काला धन का भी खुल्लम खुल्ला इस्तेमाल किया जा रहा है। झारखण्ड के बुद्धिजीवियों ने इस मसले पर अपनी नाराजगी प्रकट की है और इन तरह के मामलों की सीबीआई जांच की भी मांग की है।