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विनोद दुआ की दिलकश आवाज हमारे बीच हमेशा मौजूद रहेगी – उर्मिलेश

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पता नहीं क्यों, मुझे पूरा भरोसा था कि विनोद भाई अस्पताल से जरूर लौटेंगे! पर निराशा हाथ लगी. बीमारी ने उनके शरीर को तोड़ा और डाक्टर पद्मावती दुआ उर्फ चिन्ना दुआ की असमय मौत ने उनके दिल और दिमाग को गहरे स्तर पर प्रभावित किया था.

कोरोना दौर में विनोद जी और चिन्ना भाभी, दोनों लगभग साथ ही बीमार हुए. एक ही अस्पताल में रहे. चिन्ना दुआ की हालत ज्यादा ख़राब होती गयी. अपने अस्पताल बेड से ही विनोद जी अपनी डाक्टर-पत्नी की सेहत की खबर सोशल मीडिया के जरिये दोस्तों और शुभचिंतकों को लगातार देते रहे.— और एक दिन वह बुरी खबर आई, चिन्ना जी चली गयीं! स्वयं भी जिंदगी की जंग लड़ते विनोद जी के लिए यह भयानक सदमा था.

विनोद जी ठीक होकर घर तो आ गये लेकिन शरीर की तरह जिंदगी भी बेहाल सी हो गयी! कुछ महीने पहले मैने उनकी एक तस्वीर देखी. वह आईआईसी में पत्रकार-मित्र विनोद शर्मा के साथ चाय पर बैठे हैं. बहुत अच्छा लगा. मुझे लगा, उनकी जिंदगी पटरी पर लौट रही है. बीच में एक दिन मैने फोन भी किया. पर फोन पर बात नहीं हो सकी. मन में घबराहट हुई-कहीं विनोद भाई की तबीयत फिर गड़बड़ा तो नही रही है! ऐसा कभी नहीं होता था कि फोन करूँ और बात न हो! किसी कारणवश, फोन न उठा पाते तो समय मिलने पर ‘रिंग-बैक’ करते! पर उस दिन ऐसा नहीं हुआ.

बाद में किसी मित्र ने बताया, विनोद भाई की सेहत सुधरने की बजाय फिर बिगडने लगी है. विनोद भाई को हम जैसे लोग क्या सलाह देते! वह तो स्वयं डाक्टरी मामलों में हम जैसों को सलाह देते रहते थे. उनके अस्वस्थ होने से कुछ महीने पहले की बात है. यूँ ही एक दिन किसी विषय पर उनसे फोन पर बातचीत हो रही थी. बातचीत के अन्त में उन्होंने पूछा: और सब भले-चंगे न?मैने बताया कि डाक्टर ने सिटी स्कैन कराने को कहा है. उन्होने फौरन कहा: अभी इसी वक्त डाक्टर दुआ से बात कीजिये! डाक्टर दुआ का मतलब चिन्ना भाभी. वह दूसरे कमरे में थीं. उनके नंबर पर डायल किया तो उन्होने देश की नामी गिरामी रेडियोलाजिस्ट डा महाजन का नंबर दिया. अगले दिन मैंने दक्षिण दिल्ली के मशहूर इमेजिंग सेंटर जा कर सिटी स्कैन कराया. उस दौर में डाक्टर भाभी से तीन-चार बार बात हुई. वह थोड़ी दुखी भी हुईं कि मेरे जैसे साधारण पत्रकार का वहां काफी धन खर्च हो गया! सीजीएचएस-पत्रकार कार्ड से वहां कोई छूट नहीं मिली. बहुत औपचारिक परिचय के बावजूद चिन्ना दुआ ने उस दौरान जिस तरह का अपनत्व दिखाया, वह मुझे अच्छा लगा..

विनोद भाई से मेरी वन-टू-वन पहली अच्छी मुलाकात
कई बरस पहले तब हुई थी, जब वह सहारा टीवी में अखबारों की हेडलाइंस पर केंद्रित चर्चा का कार्यक्रम चला रहे थे. जहां तक याद है, यशवंत देशमुख भी उनकी टीम में थे. एनडीटीवी दौर में भी उनसे यदाकदा मुलाकात होती रही.

फिर, ‘द वायर’ का दौर आया. हम और वह, दोनों ‘द वायर’ के प्रतिष्ठित प्लेटफार्म पर अलग-अलग दिन अपने वीकली शो करने लगे. उन्होंने हमसे पहले ही ‘जन-मन की बात’ की शुरूआत कर दी थी. फिर मैने अपना ‘मीडिया बोल’ शुरू किया. बाद में उन्होंने अलग प्लेटफॉर्म से अपना कार्यक्रम पेश करना शुरू किया. उनसे मेरी आखिरी दो-तीन मुलाकातें बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित स्वराज टीवी के दफ़्तर में हुई थीं. सन् 2020 में कोविड-19 प्रकोप के बाद हम लोग यदा-कदा सिर्फ फोन पर ही मिल पाते थे.

हमारा और हमारे जैसे असंख्य लोगों का दुर्भाग्य कि अब विनोद भाई अपने बुलंद विचारों और शानदार प्रस्तुतियों के साथ हमारे बीच नहीं दिखेंगे. पर उनकी दिलकश आवाज़ हमारे बीच हमेशा मौजूद रहेगी! उनके असंख्य वीडियो और टीवी शो उनकी यादों को हमेशा जीवंत रखेंगे. सार्वजनिक कार्यक्रमों की उनकी शानदार प्रस्तुतियां उन्हें हमेशा हमारे आसपास रखेंगी!

वरिष्ठ साथी-पत्रकार विनोद दुआ को सादर श्रद्धांजलि! उनकी सुपुत्री मल्लिका दुआ और अन्य परिजनों के प्रति हमारी शोक संवेदना.

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से साभार)

दिल्ली शरणार्थी बस्ती से टीवी पत्रकारिता की बुलंदी छूने का विनोद दुआ का सफ़र

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विनोद दुआ नहीं रहे। चिन्ना भाभी के पास चले गए। जीवन में साथ रहा। अस्पताल में साथ रहा। तो पीछे अकेले क्यों रहें।

उनका परिवार डेरा इस्माइल ख़ान से आया था। मैं उन्हें पंजाबी कहता तो फ़ौरन बात काट कर कहते थे – हम सरायकी हैं, जनाब। दिल्ली शरणार्थी बस्ती से टीवी पत्रकारिता की बुलंदी छूने का सफ़र अपने आप में एक दास्तान है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई — “जैसी करते थे, करते थे” — के साथ रंगमंच का तजुर्बा हासिल करते हुए टीवी की दुनिया में चले आए। कीर्ति जैन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, यह बात उन्हें हमेशा याद रही। दूरदर्शन सरकारी था। काला-सफ़ेद था। उन्होंने उसमें पेशेवराना रंग भर दिया। उनके मुँहफट अन्दाज़ ने किसी दिग्गज को नहीं बख़्शा। जनवाणी केंद्रीय मंत्रिमंडल के रिपोर्ट-कार्ड सा बन गया, जिसे प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक देखते थे।

यह भी पढ़ेवरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन

कम लोगों को मालूम होगा कि विनोद कभी कार्यक्रम की स्क्रिप्ट नहीं तैयार करते थे। न प्रॉम्प्टर पर पढ़ते थे। बेधड़क, सीधे। दो टूक, बिंदास। कभी-कभी कड़ुए हो जाते। पर अमूमन मस्त अन्दाज़ में रहते। परख के लिए आतंकवाद के दिनों में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह से बात की। उन्हें कुछ गाकर सुनाने को कहा। ना-ना-ना करते गवा ही बैठे।

विनोदजी का हिंदी और अंगरेज़ी पर लगभग समान अधिकार था। प्रणय रॉय के साथ चुनाव चर्चा की रंगत ही और थी। बाद में विनोदजी ने अपनी कम्पनी बनाई। उससे परख, अख़बारों की राय जैसे अनेक कार्यक्रम बनाए। पर रहे उनके गिर्द ही।

फिर वे अपने पुराने मित्र के चैनल एनडीटीवी इंडिया से आ जुड़े। चैनल की वे शान बने। राजनेताओं से उलझना उनकी फ़ितरत में था। चाहे किसी भी पार्टी के हों। चैनल ने बाद में उन्हें ज़ायक़ा इंडिया का जैसा कार्यक्रम दे दिया। उन्हें खाने-पीने का शौक़ था। कार्यक्रम के लिए देश में घूमा किए। चाव से। हम देश के लिए खाते हैं, उनका लोकप्रिय जुमला बना।

पर दिल से वे राजनीति के क़रीब थे। उन्होंने ज़ायक़ा बदल लिया। नेटवर्क-18 का एक कार्यक्रम पकड़ा। मुझे मालूम था वहाँ निभेगी नहीं। सहारा से सुबह के अख़बारों वाले कार्यक्रम प्रतिदिन से काफ़ी पैसा मिलता था। किसी बात पर सहाराश्री से खटपट हुई। मेरे सामने — आईआईसी के बगीचे से — लखनऊ फ़ोन किया और गाली से बात की। क़िस्सा ख़त्म।

मगर सिद्धार्थ वरदराजन के साथ वायर में उनकी ख़ूब निभी। जन की बात जबर हिट हुआ। मोदी सरकार पर इतना तीखा नियमित कार्यक्रम दूसरा नहीं था। पर मी-टू में वे एक आरोप मात्र से घिर गए। वायर ने नैतिकता के तक़ाज़े पर उनसे तोड़ ली। जो असरदार सिलसिला चला था, थम गया। बाद में सिद्धार्थ इससे त्रस्त लगे और विनोद भी।

इसके बाद भी विनोद सक्रिय रहे। नए दौर के यूट्यूब चैनल एचडब्ल्यू न्यूज़ पर उनका विनोद दुआ शो चलने लगा। पर पहले अदालती संघर्ष — जिसमें वे जीते — और फिर कोरोना से लड़ाई — उससे भी वे निकल आए। लेकिन कमज़ोरी से घिरते चले गए। चेहरा उदासी में ढल गया। और, जैसा कि कहते हैं, होनी को कुछ और मंज़ूर था।

मेरे क़रीबी मित्र थे। कितनी शामें आईआईसी में बिताईं। बेटे मिहिर के विवाह में जयपुर आए। चिन्ना भाभी के साथ गीत भी गाए। कुरजाँ की खोज में हमारे गाँव फलोदी जा पहुँचे।

उनकी याद में आँखें नम हैं। कुछ लिखने का इरादा नहीं था। पर मृत्यु की ख़बर जान जयपुर के कॉफ़ी हाउस में बैठे कुछ इबारत अपने आप उतर आई। बकुल-मल्लिका बहादुर हैं। पिछले लम्बे कष्टदायक दौर को उन्होंने धीरज से झेला है। उनका धैर्य बना रहे। हमारी सम्वेदना उनके साथ है।

(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से साभार)

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन, ट्विटर का टॉप ट्रेंड बना #VinodDua

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विनोद दुआ, वरिष्ठ पत्रकार

लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ जिंदगी की जंग हार गए। आज उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की सूचना देते हुए उनकी पुत्री मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पर लिखा –

”हमारे निर्भीक, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने एक अद्वितीय जीवन जिया, दिल्ली की शरणार्थी कॉलोनियों से शुरु करते हुए 42 वर्षों तक पत्रकारिता की उत्कृष्टता के शिखर तक बढ़ते हुए, हमेशा सच के साथ खड़े रहे। वह अब हमारी मां, उनकी प्यारी पत्नी चिन्ना के साथ स्वर्ग में है, जहां वे गीत गाना, खाना बनाना, यात्रा करना और एक दूसरे से लड़ना-झगड़ना जारी रखेंगे।”

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उनके निधन के पत्रकारिता जगत में शोक की लहर फैल गयी। पत्रकारों के अलावा कई नेताओं ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए सोशल मीडिया पर उन्हें याद किया। ट्विटर पर #VinodDua आज का टॉप ट्रेंड बन गया। कुछ ट्विट्स –

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ की हालत नाजुक

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विनोद दुआ, वरिष्ठ पत्रकार

दूरदर्शन और एनडीटीवी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के स्वास्थ्य को लेकर एक चिंताजनक खबर आ रही है. खबर के मुताबिक उनकी हालत बेहद नाजुक है और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है. इसकी जानकारी स्वयं उनकी पुत्री ‘मल्लिका दुआ’ ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी. उन्होंने लिखा –

“मेरे पिता जी आईसीयू में हैं और उनकी हालत अत्यंत नाजुक है। उनका स्वास्थ्य अप्रैल से तेजी से खराब हो रहा था. वह अपने जीवन की किरण खो जाने के सदमे से अभी तक उबर नहीं पाए हैं. उन्होंने असाधारण जीवन जिया है और हमें भी ऐसा ही जीवन दिया है। वह किसी तकलीफ के हकदार नहीं हैं. वह बहुत प्रिय और श्रद्धेय हैं. मैं आप सबसे यह प्रार्थना करने का अनुरोध करती हूं कि उन्हें कम से कम तकलीफ हो.”

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गौरतलब है कि उन्हें कुछ महीने पहले ‘कोरोना वायरस’ से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी पत्नी पद्मावती ‘चिन्ना’ दुआ का भी कोविड-19 के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जून में निधन हो गया था.

विनोद दुआ 67 वर्ष के हैं और उनकी पहचान एक संवेदनशील पत्रकार के रूप में की जाती है. पत्रकारिता में उन्होंने कई प्रयोग किए.

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लॉन्च किया नेशनल न्यूज़ चैनल न्यूज़ इंडिया

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने नेशनल न्यूज़ चैनल न्यूज़ इंडिया की शानदार लॉन्चिंग की। इस दौरान केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के राज्यमंत्री डॉ. लोगनाथन मुरुगन, और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी फिल्म सिटी में न्यूज़ इंडिया के दफ़्तर में मौजूद रहे। ओमेगा टीवी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन बी.एस. तोमर ने तीनों मंत्रियों का स्वागत किया और ये भरोसा दिलाया कि न्यूज़ इंडिया राष्ट्र की आवाज़ बनेगा।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने न्यूज़ इंडिया के एडिटर इन चीफ सरफराज सैफी से खास बातचीत में कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तौर पर मीडिया पर बड़ी जिम्मेदारी है। भारत ऐसा देश है, जहां युवाओं की बड़ी आबादी है। जो देश को बढ़ाने में अपना सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि न्यूज इंडिया चैनल युवाओं की आवाज को प्रमुखता से उठाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि न्यूज़ इंडिया चैनल समाज की उन सभी समस्याओं को उजागर करेगा, जिससे बाकी चैनल चूक रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्यूज इंडिया का थीम सॉन्ग ‘जन-जन में राष्ट्रवाद हो’ लॉन्च किया। अर्जुन राम मेघवाल ने चैनल के थीम सॉन्ग की तारीफ की। थीम सॉन्ग में जिस तरह से पूरे देश की बात की गई है, वो देश के नवनिर्माण में सहायक सिद्ध होगा। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्यूज़ इंडिया को बधाई देते हुए निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ने के लिए शुभकामनाएं दीं।

केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री एल. मुरुगन ने आज न्यूज़ इंडिया की वेबसाइट को लॉन्च किया। एल. मुरुगन ने न्यूज़ इंडिया की पूरी टीम को बधाई भी दी। एल. मुरुगन ने कहा कि न्यूज़ इंडिया की वेबसाइट पर खबरों की रेंज चौंकाती है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषियों के लिए न्यूज़ इंडिया की वेबसाइट हवा के ताजे झरोखे की तरह है, जो समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए भरपूर जानकारियां दे रहा है।
फिल्म सिटी से लॉन्च चैनल न्यूज़ इंडिया के एडिटर इन चीफ़ सरफ़राज़ सैफ़ी ने बताया कि महज 100 दिनों में शून्य से यहां तक का सफ़र काफी चुनौतीपूर्ण था लेकिन न्यूज़ इंडिया की युवा प्रोफेशनल टीम ने इसे मुमकिन किया। उन्होंने कहा कि चैनल राष्ट्र से जुड़े मुद्दों को उठाएगा और गांव से लेकर शहर तक राष्ट्र की आवाज़ बनेगा। न्यूज़ इंडिया के एडिटोरियल डायरेक्टर मनीष अवस्थी ने कहा कि निष्पक्ष चैनल के तौर न्यूज़ इंडिया की एक मुकम्मल पहचान बनेगी। न्यूज़ इंडिया के मैनेजिंग एडिटर पशुपति शर्मा की माने तो इतने कम वक्त में किसी चैनल की लॉन्चिंग मेहनती और प्रतिबद्ध प्रोफेशनल टीम के बूते ही मुमकिन है।

न्यूज़ इंडिया ने शानदार लॉन्चिंग के साथ पहले दिन ही ऑपरेशन अंगूठा के साथ खलबली मचा दी है। पहले दिन ही स्क्रीन पर इंडिया का सवाल में मनीष अवस्थी ने नितिन गडकरी का बेबाक इंटरव्यू किया। शाम 7 बजे इंडिया का मुक़दमा, रात 8 बजे हम इंडिया के लोग और रात 9 बजे राष्ट्र की आवाज़ के साथ सुपर प्राइम टाइम के सभी शो भी बेहद जानदार बने हैं। सरफ़रा
ज़ सैफ़ी रात 9 बजे हर दिन राष्ट्र की आवाज़ विद सरफ़राज़ शो करेंगे और उम्मीद यही है कि चैनल अपने तेवरों से जल्द ही मुकम्मल पहचान बनाएगा।

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