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न्यूज इंडिया की एंकर निदा अहमद सियासत के मैदान में उतरी

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न्यूज इंडिया (News India) की प्रमुख एंकर (Anchor) निदा अहमद (Nida Ahmed) अब सियासत के मैदान में हाथ आजमायेंगी। कॉंग्रेस के टिकट पर वे आगामी उत्तरप्रदेश चुनाव में संभल सीट से चुनाव लड़ेंगी। गौरतलब है कि निदा संभल की ही है और इनका जन्म भी वही हुआ।

निदा अहमद कई वर्षों से टेलीविजन पत्रकारिता में सक्रिय थी। न्यूज इंडिया के पहले वे इंडिया न्यूज, ज़ी यूपी-उत्तराखंड, तेज (गुड न्यूज टुडे), समाचार प्लस, ईटीवी के साथ भी काम कर चुकी हैं।

अपनी सियासी सफर के बारे में जानकारी देते हुए निदा सोशल मीडिया पर लिखती हैं –

न्यूज इंडस्ट्री में निदा अहमद का सफरनामा

न्यूज एंकर निदा अहमद अब नोएडा फिल्म सिटी में हिंदी नेशनल न्यूज़ चैनल ‘न्यूज़ इंडिया’ ( NEWS INDIA ) में सीनियर एंकर प्रोड्यूसर की भूमिका निभा रही थी। यहीं से वो राजनीति की ओर चल पड़ी हैं। न्यूज़ इंडिया से पहले वो ‘ज़ी यूपी-उत्तराखंड’ में एंकर कम प्रड्यूसर की जिम्मेदारी निभा रही थीं। उससे पहले साल 2020 तक वो इंडिया टुडे ग्रुप के ‘तेज़’ न्यूज चैनल की टीम हिस्सा थीं। ‘तेज़’ में वह सीनियर एसोसिएट प्रड्यूसर के साथ-साथ एंकरिंग की भी जिम्मेदारी संभाल रहीं थीं। यूपी-उत्तराखंड के रीजनल न्यूज चैनल ‘न्यूज़ 1 इंडिया’ से निदा यहां पहुंची थीं। इससे पहले निदा अहमद ने ‘समाचार प्लस’ में बतौर एंकर करीब दो साल काम किया.. निदा अहमद ने अपने करियर की शुरुआत क्राइम रिपोर्टर के रूप में की। ‘इंडिया न्यूज’ ‘ज़ी यूपी उत्तराखंड, ‘ज़ी सलाम’ ‘तेज’, ‘समाचार प्लस’, के अतिरिक्त निदा ‘ईटीवी नेटवर्क’ NETWORK18 और ‘न्यूज वर्ल्ड इंडिया’ में भी काम कर चुकी हैं। निदा ने ‘न्यूज वर्ल्ड इंडिया’ से अपने करियर की शुरुआत बतौर असिसटेंट प्रड्यूसर की थी, जहां से ही उन्होंने एंकरिंग की बारीकियों को सीखा और क्राइम रिपोर्टर की भूमिका निभाई।

संभल में जन्म, अब संभल को संवारने का उठाया बीड़ा

निदा अहमद का जन्म उत्तरप्रदेश के संभल ज़िले में हुआ था। उनके दादा ज़रीफ़ भट्टा चैयरमेन लगातार 25 साल तक संभल के चैयरमैन रहे। उनके पिता टीचर और मां हाउस वाइफ हैं। यहां तक आने का सबसे बड़ा श्रेय अगर वो किसी को देना चाहती हैं, तो वो हैं उनके पति रज़ा अहमद। रजा अहमद उनके लिए हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह खड़े रहे.. क्योंकि निदा आगे पढ़ना चाहती थीं लेकिन बारहवीं के बाद ही शादी हो जाने के कारण पढ़ाई बीच में छूट गई लेकिन निदा अहमद ने हार नहीं मानी.. शादी के बाद वो दिल्ली आ गईं और एक बेटे को जन्म देने के बाद निदा ने अपने पति के सामने आगे पढ़ायी करने और जीवन में कुछ बनने की इच्छा ज़ाहिर की और उस दिन से लेकर आज तक उनके पति का सपोर्ट हमेशा उनके साथ रहता है। शादी के बाद अपनी आगे की पढ़ाई करके और साथ ही अपने घर की भी सारी ज़िम्मेदारियां उठाते हुए निदा आज इस मुक़ाम पर पहुंची हैं। निदा अहमद की गिनती मीडिया की उभरती हुई खूबसूरत और तेज़ तर्रार एंकर में की जाती है। निदा आज अवाम की पसंदीदा आवाज़ बन गयी हैं। सामाजिक सेवा में भी निदा का ​​योगदान हमेशा सराहनीय रहा है। गरीब बच्चों की मदद के लिये निदा को स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। निदा अहमद को मीडिया इंडस्ट्री में भी काफी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

निदा अहमद को मिले अवॉर्ड

  • निदा को Youth ICON Award 2017 से नवाजा जा चुका है
    Women Power Society की तरफ से राष्ट्रीय स्वर्णिम हिन्द अवार्ड 2018 से नवाज़ा गया
    पीस ऑफ इंडिया की तरफ से बेस्ट एंकर का अवार्ड मिला
    राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर भी कई बार सम्मानित किया गया है
    शैक्षिक एवं सामाजिक उत्थान जाट सभा भी सम्मानित कर चुकी है
    एनसीआर मीडिया क्लब की और से काफी बार पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है
    हिंदुस्तान की बेटियां सम्मान 2018
    ASIA AWARD 2019
    NATIONAL WOMEN ACHIEVER AWARD 2019
    LIFETIME ACHIEVEMENT AWARD 2019
    WOMAN OF SUBSTANCE AWARD 2020
    AIAC EXCELLENCE AWARD 2021
    2020 में कोरोना काल में 55 Corona Warrior Awards से सम्मानित किया जा चुका है।

कमाल के पत्रकार कमाल खान नहीं रहे, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर

kamal khan ndtv journalist
कमाल खान, पत्रकार

मशहूर पत्रकार कमाल खान का आकस्मिक निधन हो गया है। हृदय आघात (हर्ट अटैक) की वजह से शुक्रवार की सुबह उनका निधन हुआ। उन्होंने लखनऊ स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली।

कमाल खान के परिजनों के मुताबिक करीब 4 बजे उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

पत्रकार कमाल खान पत्रकारिता जगत में अपनी खास शैली और भाषा के लिए जाने जाते हैं। उनके निधन पर पत्रकारिता जगत में शोक की लहर फैल गई है। सोशल मीडिया पर आयी कुछ और प्रतिक्रियाएं –

विनोद दुआ की दिलकश आवाज हमारे बीच हमेशा मौजूद रहेगी – उर्मिलेश

vinod dua
vinod dua

पता नहीं क्यों, मुझे पूरा भरोसा था कि विनोद भाई अस्पताल से जरूर लौटेंगे! पर निराशा हाथ लगी. बीमारी ने उनके शरीर को तोड़ा और डाक्टर पद्मावती दुआ उर्फ चिन्ना दुआ की असमय मौत ने उनके दिल और दिमाग को गहरे स्तर पर प्रभावित किया था.

कोरोना दौर में विनोद जी और चिन्ना भाभी, दोनों लगभग साथ ही बीमार हुए. एक ही अस्पताल में रहे. चिन्ना दुआ की हालत ज्यादा ख़राब होती गयी. अपने अस्पताल बेड से ही विनोद जी अपनी डाक्टर-पत्नी की सेहत की खबर सोशल मीडिया के जरिये दोस्तों और शुभचिंतकों को लगातार देते रहे.— और एक दिन वह बुरी खबर आई, चिन्ना जी चली गयीं! स्वयं भी जिंदगी की जंग लड़ते विनोद जी के लिए यह भयानक सदमा था.

विनोद जी ठीक होकर घर तो आ गये लेकिन शरीर की तरह जिंदगी भी बेहाल सी हो गयी! कुछ महीने पहले मैने उनकी एक तस्वीर देखी. वह आईआईसी में पत्रकार-मित्र विनोद शर्मा के साथ चाय पर बैठे हैं. बहुत अच्छा लगा. मुझे लगा, उनकी जिंदगी पटरी पर लौट रही है. बीच में एक दिन मैने फोन भी किया. पर फोन पर बात नहीं हो सकी. मन में घबराहट हुई-कहीं विनोद भाई की तबीयत फिर गड़बड़ा तो नही रही है! ऐसा कभी नहीं होता था कि फोन करूँ और बात न हो! किसी कारणवश, फोन न उठा पाते तो समय मिलने पर ‘रिंग-बैक’ करते! पर उस दिन ऐसा नहीं हुआ.

बाद में किसी मित्र ने बताया, विनोद भाई की सेहत सुधरने की बजाय फिर बिगडने लगी है. विनोद भाई को हम जैसे लोग क्या सलाह देते! वह तो स्वयं डाक्टरी मामलों में हम जैसों को सलाह देते रहते थे. उनके अस्वस्थ होने से कुछ महीने पहले की बात है. यूँ ही एक दिन किसी विषय पर उनसे फोन पर बातचीत हो रही थी. बातचीत के अन्त में उन्होंने पूछा: और सब भले-चंगे न?मैने बताया कि डाक्टर ने सिटी स्कैन कराने को कहा है. उन्होने फौरन कहा: अभी इसी वक्त डाक्टर दुआ से बात कीजिये! डाक्टर दुआ का मतलब चिन्ना भाभी. वह दूसरे कमरे में थीं. उनके नंबर पर डायल किया तो उन्होने देश की नामी गिरामी रेडियोलाजिस्ट डा महाजन का नंबर दिया. अगले दिन मैंने दक्षिण दिल्ली के मशहूर इमेजिंग सेंटर जा कर सिटी स्कैन कराया. उस दौर में डाक्टर भाभी से तीन-चार बार बात हुई. वह थोड़ी दुखी भी हुईं कि मेरे जैसे साधारण पत्रकार का वहां काफी धन खर्च हो गया! सीजीएचएस-पत्रकार कार्ड से वहां कोई छूट नहीं मिली. बहुत औपचारिक परिचय के बावजूद चिन्ना दुआ ने उस दौरान जिस तरह का अपनत्व दिखाया, वह मुझे अच्छा लगा..

विनोद भाई से मेरी वन-टू-वन पहली अच्छी मुलाकात
कई बरस पहले तब हुई थी, जब वह सहारा टीवी में अखबारों की हेडलाइंस पर केंद्रित चर्चा का कार्यक्रम चला रहे थे. जहां तक याद है, यशवंत देशमुख भी उनकी टीम में थे. एनडीटीवी दौर में भी उनसे यदाकदा मुलाकात होती रही.

फिर, ‘द वायर’ का दौर आया. हम और वह, दोनों ‘द वायर’ के प्रतिष्ठित प्लेटफार्म पर अलग-अलग दिन अपने वीकली शो करने लगे. उन्होंने हमसे पहले ही ‘जन-मन की बात’ की शुरूआत कर दी थी. फिर मैने अपना ‘मीडिया बोल’ शुरू किया. बाद में उन्होंने अलग प्लेटफॉर्म से अपना कार्यक्रम पेश करना शुरू किया. उनसे मेरी आखिरी दो-तीन मुलाकातें बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित स्वराज टीवी के दफ़्तर में हुई थीं. सन् 2020 में कोविड-19 प्रकोप के बाद हम लोग यदा-कदा सिर्फ फोन पर ही मिल पाते थे.

हमारा और हमारे जैसे असंख्य लोगों का दुर्भाग्य कि अब विनोद भाई अपने बुलंद विचारों और शानदार प्रस्तुतियों के साथ हमारे बीच नहीं दिखेंगे. पर उनकी दिलकश आवाज़ हमारे बीच हमेशा मौजूद रहेगी! उनके असंख्य वीडियो और टीवी शो उनकी यादों को हमेशा जीवंत रखेंगे. सार्वजनिक कार्यक्रमों की उनकी शानदार प्रस्तुतियां उन्हें हमेशा हमारे आसपास रखेंगी!

वरिष्ठ साथी-पत्रकार विनोद दुआ को सादर श्रद्धांजलि! उनकी सुपुत्री मल्लिका दुआ और अन्य परिजनों के प्रति हमारी शोक संवेदना.

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से साभार)

दिल्ली शरणार्थी बस्ती से टीवी पत्रकारिता की बुलंदी छूने का विनोद दुआ का सफ़र

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विनोद दुआ नहीं रहे। चिन्ना भाभी के पास चले गए। जीवन में साथ रहा। अस्पताल में साथ रहा। तो पीछे अकेले क्यों रहें।

उनका परिवार डेरा इस्माइल ख़ान से आया था। मैं उन्हें पंजाबी कहता तो फ़ौरन बात काट कर कहते थे – हम सरायकी हैं, जनाब। दिल्ली शरणार्थी बस्ती से टीवी पत्रकारिता की बुलंदी छूने का सफ़र अपने आप में एक दास्तान है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई — “जैसी करते थे, करते थे” — के साथ रंगमंच का तजुर्बा हासिल करते हुए टीवी की दुनिया में चले आए। कीर्ति जैन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, यह बात उन्हें हमेशा याद रही। दूरदर्शन सरकारी था। काला-सफ़ेद था। उन्होंने उसमें पेशेवराना रंग भर दिया। उनके मुँहफट अन्दाज़ ने किसी दिग्गज को नहीं बख़्शा। जनवाणी केंद्रीय मंत्रिमंडल के रिपोर्ट-कार्ड सा बन गया, जिसे प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक देखते थे।

यह भी पढ़ेवरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन

कम लोगों को मालूम होगा कि विनोद कभी कार्यक्रम की स्क्रिप्ट नहीं तैयार करते थे। न प्रॉम्प्टर पर पढ़ते थे। बेधड़क, सीधे। दो टूक, बिंदास। कभी-कभी कड़ुए हो जाते। पर अमूमन मस्त अन्दाज़ में रहते। परख के लिए आतंकवाद के दिनों में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह से बात की। उन्हें कुछ गाकर सुनाने को कहा। ना-ना-ना करते गवा ही बैठे।

विनोदजी का हिंदी और अंगरेज़ी पर लगभग समान अधिकार था। प्रणय रॉय के साथ चुनाव चर्चा की रंगत ही और थी। बाद में विनोदजी ने अपनी कम्पनी बनाई। उससे परख, अख़बारों की राय जैसे अनेक कार्यक्रम बनाए। पर रहे उनके गिर्द ही।

फिर वे अपने पुराने मित्र के चैनल एनडीटीवी इंडिया से आ जुड़े। चैनल की वे शान बने। राजनेताओं से उलझना उनकी फ़ितरत में था। चाहे किसी भी पार्टी के हों। चैनल ने बाद में उन्हें ज़ायक़ा इंडिया का जैसा कार्यक्रम दे दिया। उन्हें खाने-पीने का शौक़ था। कार्यक्रम के लिए देश में घूमा किए। चाव से। हम देश के लिए खाते हैं, उनका लोकप्रिय जुमला बना।

पर दिल से वे राजनीति के क़रीब थे। उन्होंने ज़ायक़ा बदल लिया। नेटवर्क-18 का एक कार्यक्रम पकड़ा। मुझे मालूम था वहाँ निभेगी नहीं। सहारा से सुबह के अख़बारों वाले कार्यक्रम प्रतिदिन से काफ़ी पैसा मिलता था। किसी बात पर सहाराश्री से खटपट हुई। मेरे सामने — आईआईसी के बगीचे से — लखनऊ फ़ोन किया और गाली से बात की। क़िस्सा ख़त्म।

मगर सिद्धार्थ वरदराजन के साथ वायर में उनकी ख़ूब निभी। जन की बात जबर हिट हुआ। मोदी सरकार पर इतना तीखा नियमित कार्यक्रम दूसरा नहीं था। पर मी-टू में वे एक आरोप मात्र से घिर गए। वायर ने नैतिकता के तक़ाज़े पर उनसे तोड़ ली। जो असरदार सिलसिला चला था, थम गया। बाद में सिद्धार्थ इससे त्रस्त लगे और विनोद भी।

इसके बाद भी विनोद सक्रिय रहे। नए दौर के यूट्यूब चैनल एचडब्ल्यू न्यूज़ पर उनका विनोद दुआ शो चलने लगा। पर पहले अदालती संघर्ष — जिसमें वे जीते — और फिर कोरोना से लड़ाई — उससे भी वे निकल आए। लेकिन कमज़ोरी से घिरते चले गए। चेहरा उदासी में ढल गया। और, जैसा कि कहते हैं, होनी को कुछ और मंज़ूर था।

मेरे क़रीबी मित्र थे। कितनी शामें आईआईसी में बिताईं। बेटे मिहिर के विवाह में जयपुर आए। चिन्ना भाभी के साथ गीत भी गाए। कुरजाँ की खोज में हमारे गाँव फलोदी जा पहुँचे।

उनकी याद में आँखें नम हैं। कुछ लिखने का इरादा नहीं था। पर मृत्यु की ख़बर जान जयपुर के कॉफ़ी हाउस में बैठे कुछ इबारत अपने आप उतर आई। बकुल-मल्लिका बहादुर हैं। पिछले लम्बे कष्टदायक दौर को उन्होंने धीरज से झेला है। उनका धैर्य बना रहे। हमारी सम्वेदना उनके साथ है।

(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से साभार)

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन, ट्विटर का टॉप ट्रेंड बना #VinodDua

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विनोद दुआ, वरिष्ठ पत्रकार

लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ जिंदगी की जंग हार गए। आज उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की सूचना देते हुए उनकी पुत्री मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पर लिखा –

”हमारे निर्भीक, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने एक अद्वितीय जीवन जिया, दिल्ली की शरणार्थी कॉलोनियों से शुरु करते हुए 42 वर्षों तक पत्रकारिता की उत्कृष्टता के शिखर तक बढ़ते हुए, हमेशा सच के साथ खड़े रहे। वह अब हमारी मां, उनकी प्यारी पत्नी चिन्ना के साथ स्वर्ग में है, जहां वे गीत गाना, खाना बनाना, यात्रा करना और एक दूसरे से लड़ना-झगड़ना जारी रखेंगे।”

यह भी पढ़ेवरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ की हालत नाजुक

उनके निधन के पत्रकारिता जगत में शोक की लहर फैल गयी। पत्रकारों के अलावा कई नेताओं ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए सोशल मीडिया पर उन्हें याद किया। ट्विटर पर #VinodDua आज का टॉप ट्रेंड बन गया। कुछ ट्विट्स –

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