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आईएस, इस्लाम का ही नहीं मानवता का भी दुश्मन

आईएस, इस्लाम का ही नहीं मानवता का भी दुश्मन
आईएस, इस्लाम का ही नहीं मानवता का भी दुश्मन

तनवीर जाफरी

आईएस, इस्लाम का ही नहीं मानवता का भी दुश्मन
आईएस, इस्लाम का ही नहीं मानवता का भी दुश्मन

सीरिया व इराक में सक्रिय आतंकवादी जो स्वयं को इस्लामिक स्टेट्स के सिपाही बताते हैं उनका मानवता के विरुद्ध कहर जारी है। यह संगठन अपनी शक्ति तथा क्रूरता के बल पर सीरिया व इराक के अतिरिक्त तुर्की व अन्य कई अरब देशों में अपना विस्तार करना चाह रहा है। इनकी कल्पनाओं के मानचित्र में अफगानिस्तान,पाकिस्तान और आगे चलकर भारत भी शामिल है। इन्होंने अपनी शुरुआती पहचान तो सुन्नी लड़ाकों के रूप में ज़ाहिर की थी और सर्वप्रथम इराक व सीरिया के शिया समुदाय के लोगों को ही निशाना बनाना शुरु किया था। परंतु इसने बाद में अपने निशाने पर इराकी कुर्द तथा ईसाई समुदाय के लोगों को भी ले लिया। इतना ही नहीं इन्होंने अपने ज़ुल्म और आतंक का निशाना उन सैकड़ों मस्जिदों व दरगाहों तथा उन तमाम ऐतिहासिक धर्म स्थलों को भी बनाया जो सुन्नी समुदाय के विश्वास तथा आस्था का केंद्र रही हैं। इनमें कई रौज़े व मज़ारें तो पैगंबरों व सहाबियों (हज़रत मोहम्मद के साथियों)की भी थीं। और तो और इन्होंने अपने दूरगामी लक्ष्य में सऊदी अरब में हज़रत मोहम्मद के रौज़े को भी शामिल कर रखा है। चूंकि सऊदी अरब की वहाबी हुकूमत भी दरगाहों,मज़ारों आदि पर जाने,वहां सजदा करने या उन स्थानों पर प्रार्थना आदि करने की सख्त विरोधी है और आईएसआईएस भी वैसे ही विचार रखती है। इसलिए वैचारिक दृष्टि से यही माना जा रहा है कि आईएस के लड़ाके वैचारिक रूप से सऊदी अरब की वहाबी हुकूमत का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

परंतु ऐसा प्रतीत होता हैकि आईएस की बढ़ती क्रूरता  व दरिंदगी ने सऊदी शासकों के भी कान खड़े कर दिए हैं। वैचारिक रूप से आईएस भले ही सऊदी राजघराने के वहाबी विचारों पर ही क्यों न अमल कर रहा हो परंतु आतंक फैलाते हुए अपना विस्तार करने की आईएस की नीति के चलते अब शायद सऊदी अरब को अपनी सत्ता भी खतरे में नज़र आने लगी है। और यही वजह है कि गत् 11 सितंबर को जद्दा में अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन कैरी के साथ कई अरब देशों के साथ बैठक के दौरान अरब के बादशाह अब्दुल्ला ने जौन कैरी को आईएस के विरुद्ध न केवल हमलों में पूरा सहयोग देने व इसमें शामिल होने का वादा किया बल्कि इसके अतिरिक्त आईएस विरोधी कार्रवाईमें प्रत्येक संभव सहायता देने का भी वादा किया। अमेरिका द्वारा अपने नेतृत्व में बनाए गए आई एस विरोधी गठबंधन में जार्डन,बहरीन,कतर,सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल है। इस गठबंधन द्वारा आई एस के विरुद्ध पिछले दिनों जो हवाई मोर्चा खोला गया उससे कम से कम दुनिया में शिया-सुन्नी संघर्ष के जो उमड़ते बादल आईएस की शुरुआती शिया विरोधी आतंक के चलते दिखाई दे रहे थे कम से कम वे ज़रूर छट चुके हैं। पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेना आई एस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए तुर्की के सीमा क्षेत्र के निकट कोबान में हवाई हमले कर रही है। हालांकि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद द्वारा गत् वर्ष सीरियाई नागरिकों के विद्रोह को कुचलने के लिए उनके विरुद्ध कथित रूप से प्रयोग किए गए रासायनिक हथियारों के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा असद से कुर्सी छोडऩे की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिका असद को स्थानीय विद्रोह के मुद्दे पर उनका समर्थन किए जाने के पक्ष में भी नहीं है। फिर भी आईएस की बढ़ती शक्ति व उसके अत्याचारों को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति ओबामा ने अमेरिकी सेना को इस बात के लिए अधिकृत कर दिया है कि वह आईएसआई एस को नियंत्रित करे तथा इन्हें बरबाद करे।

वैसे आई एस के लड़ाकों की करतूतों का उनके नेताओं द्वारा जारी किए जाने वाले वीडियो तथा ऑडियो संदेशों से यह साफ ज़ाहिर होता है कि यह लोग वैचारिक रूप से मुसलमान तो क्या,शिया-सुन्नी अथवा वहाबी तो क्या इंसान ही नहीं प्रतीत होते। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जानवर भी क्रूरता की वह हदें पार नहीं करते जो आई एस के राक्षसी प्रवृति के लड़ाकों द्वारा की जा रही हैं। उनके द्वारा दिल दहला देने वाली कई ऐसी वीडियो सार्वजनिक की जा चुकी हैं जिनमें उन्हें विदेशी बंधकों के बेरहमी से सिर कलम करते हुए दिखाया जा रहा है। इनके द्वारा सैकड़ों धर्मस्थलों को ध्वस्त किए जाने के दृश्य दुनिया पहले ही देख चुकी है। शिया-सुन्नी,ईसाई व कुर्द समुदाय के लोगों का सामूहिक नर संहार यह मानवता विरोधी लोग कई बार कर चुके हैं। इनके द्वारा महिलाओं को उनके हाथों में ज़ंजीरें बांधकर सरेआम बेचे जाने का दृश्य भी जगज़ाहिर हो चुका है। इनके हाथों से बच निकलने वाले कुछ व्यक्तियों का यह भी कहना है कि आईएस लड़ाके केवल महिलाओं के साथ ही जबरन सेक्स संबंध स्थापित नहीं करते बल्कि पुरुषों के साथ भी यह दुराचारी अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करते हैं। ऐसे ही एक भुक्तभोगी व्यक्ति ने तो यह बताया कि अकेले उसके साथ ग्यारह आईएस लड़ाकों ने दुष्कर्म किया। पिछले दिनों आई एस के एक वरिष्ठ मौलवी का एक नया ऑडियो टेप सार्वजनिक हुआ है जिसमें उसने अपने लड़ाकों को निर्देश दिया है कि तुम अमेरिकी,यूरोपिय,फे्रंच,ऑस्ट्रेलिया,कनाडा अथवा किसी अन्य ऐसे देश के नागरिकों को जो उसके अनुसार अल्लाह पर विश्वास नहीं करते उन्हें जैसे चाहो मार डालो। और अपने ही देश के ऐसे लोगों को जो इन अल्लाह को न मानने वाली शक्तियों का साथ दे रहे हैं उन्हें जैसे चाहो मार डालो।

इनके हौसले,इनके नेताओं के दिशा निर्देश तथा अब तक इनके द्वारा लिखी गई ज़ुल्मो-सितम की दास्तान तथा भविष्य के इनके इरादों से यह साफ ज़ाहिर हो चुका है कि यह लोग इस्लाम तो क्या किसी भी धर्म की शिक्षाओं से कोई वास्ता नहीं रखते। इनका केवल एक ही मकसद है और वह है दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा ज़ुल्म व बर्बरता का इतिहास लिखना तथा इसी रास्ते पर चलते हुए अपनी ताकत व पैसों के बल पर जहां तक हो सके अपनी सत्ता का विस्तार करना। बड़े आश्चर्य का विषय है कि दुनिया की तालिबानी विचाराधारा रखने वाली कुछ ताकतें ऐसे क्रूर लोगों का साथ देने के लिए उत्सुक दिखाई दे रही हैं। आईएस के समर्थन में खड़े होने वाले लोग इन राक्षसों में क्या कुछ सकारात्मक देख रहे हें? या वे उनसे क्या उम्मीद लगाए बैठे हैं इसके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता। पिछले दिनों तो सोशल मीडिया पर एक चित्र वायरल हुआ है जिसे ड्रोन द्वारा लिया गया चित्र बताया जा रहा है। इस चित्र में आईएस के एक लड़ाके को गधे के साथ कुकर्म करते देखा जा रहा है। यदि यह चित्र सही है तो इसी के आधार पर इन राक्षसों व दुष्कर्मियों के धर्म,इनकी शिक्षा,इनकी सोच और िफक्र तथा इनके इरादों का भलीभांति अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

मानवता के ऐसे अपराधियों के विरुद्ध हालांकि कई अरब देशों के साथ गठबंधन बनाकर अमेरिका ने इनसे मोर्चा लेने का इरादा किया है। परंतु साथ-साथ अमेरिका ने अपने आप्रेशन केवल हवाई हमलों तक ही सीमित रखने की बात भी की है। और आई एस को तबाह करने में तीन से चार वर्ष तक का समय लगने का अनुमान लगाया है। अब इन तीन-चार वर्षों में आईएस के राक्षसों का ज़ुल्म व कहर किन-किन लोगों पर टूटेगा खुदा बेहतर जाने। अमेरिका निश्चित रूप से इराक और अफगानिस्तान में गत् वर्षों में किए गए अपने सीधे सैन्य हस्तक्षेप के प्रयोगों से सबक लेते हुए किसी प्रकार के ज़मीनी संघर्ष में नहीं पडऩा चाहता। परंतु यह भी तय है कि बिना ज़मीनी संघर्ष के आईएस के लड़ाकों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर पाना संभव भी नहीं है। इसलिए भले ही अमेरिका स्वयं अपने अमेरिकी सैनिकों को आईएस के विरुद्ध सीरिया व इराक की धरती पर उतारने से क्यों न कतरा रहा हो परंतु ईरान सहित इराक सीरिया व दूसरे आईएस विरोधी गठबंधन देशों जार्डन,बहरीन,सऊदी अरब,कतर व संयुक्त अरब अमीरात व आई एस के अगले निशाने के रूप में आने वाले तुर्की जैसे सभी देशों की थल सेना को चाहिए कि वे यथाशीघ आईएस के विरुद्ध ज़मीनी कार्रवाई के लिए एक मज़बूत सैन्य गठबंधन तैयार करें तथा अमेरिका के निर्देश व सहायता से आईएस के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ें। आईएस के सर्वोच्च नेता अबु बकर अल बगदादी से लेकर उस के अंतिम लड़ाके तक का अस्तित्व इस्लाम के ही नहीं बल्कि मानवता के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।

कार्यकर्ता करें तो गद्दारी , नेता करें तो राजनीति….!!

तारकेश कुमार ओझा

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा व शिवसेना की कभी रार तो कभी मनुहार
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा व शिवसेना की कभी रार तो कभी मनुहार
कुछ साल पहले मेरे शहर के कारपोरेशन चुनाव में दो दिग्गज उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर हुई। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों उम्मीदवारों ने एक – दूसरे की सात पीढ़ियों का उद्धार तो किया ही, कार्यकर्ताओं व समर्थकों के बीच मार – कुटाई और थाना – पुलिस का भी लंबा दौर चला। संयोग से चुनाव परिणाम घोषित होने के कुछ दिन बाद ही विजयी उम्मीदवार की बेटी की शादी थी। कमाल देखिए कि चुनाव के दौरान की तमाम कटुता को परे रख कर उन्होंने अपने उस विरोधी उम्मीदवार को न सिर्फ प्रेम पूर्वक आमंत्रित किया, बल्कि पराजित उम्मीदवार खुशी – खुशी उसमें शामिल भी हुए। वैवाहिक समारोह में दोनों गले मिले और फोटो खिंचवाई। यह दृश्य देख कर दोनों ओर के समर्थक हैरान रह गए। दोनों खेमे से सवाल उठा … यह क्या नेताजी। चुनाव प्रचार के दौरान लड़ाई – झगड़े हमने सहे, थाने – अदालत का चक्कर हम झेल रहे हैं, और आप दोनों गले मिल कर फोटो खिंचवा रहे हैं। नेताओं ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया… समझा करो… यही राजनीति है…।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा व शिवसेना की कभी रार तो कभी मनुहार वाली स्थिति भी कुछ एेसी ही है। चुनाव से पहले साथ थे, लेकिन चुनाव के दौरान अलग हो गए, और अब फिर जरूरत आन पड़ी तो एक बार फिर फिर गले मिलने को आतुर…। चलन के मुताबिक समझना मुश्किल कि साथ हैं या नहीं। परिस्थितयों के मद्देनजर बेशक उच्च स्तर पर सब कुछ सहज रूप से निपट जाए, लेकिन दोनों पार्टियों के निचले स्तर पर कायम कटुता क्या इतनी जल्दी दूर हो पाएगी। हालांकि राजनीति में यह रिवाज कोई नया नहीं है। कार्यकर्ता करें तो गद्दारी और नेता करें तो राजनीति वाला यह खेल अमूमन कमोबेश हर राज्य में खेला जाता रहा है। बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की जब 70 के दशक में विमान हादसे में मौत हुई, तो शोक जताने पहुंचने वालों में सबसे अग्रणी स्व. चंद्रशेखर थे। जो उस समय संसद में इंदिरा गांधी की नीतियों के कटु आलोचक थे। इसी तरह कभी बिहार के लालू प्रसाद यादव और नीतिश कुमार की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता सुर्खियों में रहा करती थी। हालांकि इस दौरान तबियत बिगड़ने या बच्चों की शादी में दोनों की गले मिलते हुए तस्वीरें अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित होती थी। समय का फेर देखिए कि अब दोनों फिर साथ हैं।

इतिहास गवाह है कि 90 के दशक में केंद्र में जब संयुक्त मोर्चे की सरकार थी, और देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने नवपरिणिता प्रियंका गांधी और रावर्ट वढेरा को दिल्ली में रहने के लिए एक शानदार बंगला उपहार में दिया था। यद्यपि उस दौर में कुछ और लोगों को बंगले उपहार में मिले थे या फिर आवंटन की तिथि बढ़ाई गई थी। पश्चिम बंगाल की बात करें तो कभी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु औऱ विरोधी नेत्री के तौर पर ममता बनर्जी एक दूसरे को कोसने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती थी। विरोधियों के मुद्दों में ज्योति बसु के बेटे चंदन बसु की कथित अकूत संपत्ति का मसला जरूर शामिल रहता था। लेकिन बताया जाता है कि ज्योति बसु के बेटे चंदन बसु जब भी दिल्ली जाते थे, वे ममता बनर्जी से जरूर मिलते थे। कहते हैं दोनों के बीच किताबों का आदान प्रदान भी होता था। लेकिन मसले का चिंतनीय पक्ष यह है कि राजनीति के उच्च स्तर पर प्रचलित यह कथित सौहार्द्र् निचले स्तर पर कतई अपेक्षित नहीं है। निचले स्तर पर यदि कोई कार्यकर्ता विरोधी खेमे के किसी आदमी से बात भी कर लें तो झट उसे गद्दार करार दे दिया जाता है। उसे काली सूची में डालने से भी गुरेज नहीं किया जाता। पश्चिम बंगाल में ही कम्युनिस्ट राज में यदि दक्षिणपंथी दलों का कोई कार्यकर्ता कम्युनिस्टों से बात करता भी देख लिया जाता तो उसे झट तरबूज कांग्रेस की उपाधि दे दी जाती। तरबूज कांग्रेस यानी ऊपर से हरा लेकिन अंदर से लाल। यहां हरे रंग से आशय कांग्रेस या टीएमसी जबकि लाल रंग कम्युनिस्टों का प्रतीक है। सवाल उठता है कि सत्ता के लिए कभी भी लड़ने – झगड़ने और मौका पड़ते ही फिर गले मि्लने की यह अवसरवादिता क्या राजनीति में उचित कही जा सकती है। बेशक राजनेता इसे राजनीतिक दांव – पेंच, समय की मांग या फिर मुद्दा आधारित समर्थन की संज्ञा दे, वैचारिक विरोध और सौहार्द्र पूर्ण राजनीति की दलीलें पेश करें। लेकिन सच्चाई यही है कि उच्च स्तर पर होने वाले इन फैसलों के बाद निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को काफी कुछ झेलना पड़ता है। दो दलों के बीच कायम कटुता शीर्ष स्तर पर जितनी जल्दी दूर हो या कर ली जाती है, निचले पायदान में स्थिति बिल्कुल विपरीत होती है। कार्यकर्ता और समर्थक इसका खामियाजा लंबे समय तक भुगतते रहते हैं।

(लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।)

मनोज भावुक चले मॉरिशस,करेंगे भोजपुरी मीडिया का प्रतिनिधित्व

नेहा पांडेय

मनोज भावुक चले मॉरिशस
मनोज भावुक चले मॉरिशस
सुप्रसिद्ध भोजपुरी कवि व फिल्म समीक्षक मनोज भावुक मॉरिशस में भोजपुरी का प्रतिनिधित्व करेंगे। वह गिरमिटिया मजदूरों के आगमन के 180 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में वहां की सरकार द्वारा 30 अक्टूबर से 4 नवंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव में शामिल होंगे। भोजपुरी भाषा लेखन में मनोज भावुक के योगदान को देखते हुए मॉरिशस सरकार ने उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया है और विश्व के तमाम वक्ताओं के बीच भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद(आईसीसीआर) द्वारा उनका चयन कर उन्हें मॉरीशस भेजा जा रहा है।

मॉरीशस की स्थापना के180 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित इस महोत्सव में भारत, ग्रेट ब्रिटेन, युनाइटेड स्टेट्स,दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, हॉलैंड, थाईलैंड, सिंगापुर, त्रिनिदाद, गुयाना आदि देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गयाहै।

छः दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति, सिनेमा और मीडिया में भोजपुरी आदि विषयोंपर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे। मनोज भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर व्याख्यान देने के साथ हीं साथ अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का सञ्चालन भी करेंगे ।

विदित है कि मनोज भावुक देश व देश के बाहर युगांडा, नेपाल एवं इंग्लैण्ड आदि देशों में भोजपुरी का परचम लहराते रहे हैं। भारतीय भाषा परिषद सम्मान व भाऊराव देवरस सम्मान समेत दर्जनों अवार्ड – अलंकरण से नवाजे गए हैं। तस्वीर जिंदगीके ” ( भोजपुरी ग़ज़ल-संग्रह) व ” चलनी में पानी ” ( भोजपुरी कविता -संग्रह) इनकी चर्चित पुस्तकें हैं। सम्प्रति मनोज वर्तमान में अंजन टीवी में एक्सक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं।

बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर कांग्रेस में सनसनी

नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी
नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी

देहरादून से चन्‍द्रशेखर जोशी की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट

नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी
नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश
रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी
नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी फैल गयी है, उत्तराखंड सरकार ने रामदेव एंड कंपनी को सरकारी हेलीकॉप्टरों से केदारधाम भेजकर वहां पूजा-पाठ करवाया। यात्रा को ज्यादा से ज्यादा प्रचार मिले, इसके लिए दिल्ली से न्यूज चैनलों को भी बुलाया गया था। बताया जा रहा है कि बाबा मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुरोध पर केदारनाथ आए थे। मुख्यमंत्री के खासमखास औद्योगिक सलाहकार रंजीत रावत मोदी के नवरत्नों में शामिल रामदेव और अन्य संतों को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ से केदारनाथ ले गए।

नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्‍ती पर दिल्‍ली में कांग्रेस में सनसनी फैल गयी है,
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को चरित्रहीन कहने वाले बाबा रामदेव ने कांग्रेस अध्‍यक्षा सोनिया गॉधी तथा राहुल गॉधी को भी नही बख्‍शा था, तथा कांग्रेस के सर्वोच्‍च नेताओं पर पर हर तरह के संगीन व सनसनीखेज लांछन व आरोप लगाये थे, आज उसी बाबा रामदेव से उत्‍तराखण्‍ड के कांग्रेस मुख्‍यमंत्री ने दोस्‍ती महज इसलिए कर ली कि बाबा रामदेव केन्‍द्र सरकार से धनराशि दिलवायेगे तथा हरीश रावत सरकार को केदारनाथ में कार्य करने का प्रमाण पत्र- परन्‍तु उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत द्वारा बाबा रामदेव को गले लगाने से दिल्‍ली स्‍थित कांग्रेस गलियारों में सनसनी फैल गयी है, हालांकि हरीश रावत को मामले की गंभीरता का अहसास अभी तक नही हो पाया है परन्‍तु अंदरखाने की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस में ऊपरी स्‍तर तक हरीश रावत की बाबा रामदेव की दोस्‍ती को लेकर गाज गिरना तय है, 2015 में उत्‍तराखण्‍ड को तीसरा मुख्‍यमंत्री देखना पड सकता है, ज्ञात हो कि कांग्रेस अध्‍यक्षा सोनिया गॉधी ने छोटी सी गलती को लेकर लम्‍बे समय तक सपा सुप्रीमो को माफ नही किया था, वह क्‍या उस बाबा रामदेव को माफ कर सकती है कि जिसने उनके चरित्र को लेकर लगातार सवाल उठाये हो-

ज्ञात हो – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने अपने एक बयान में कहा है कि कांग्रेस पार्टी का मनोबल गिरा हुआ है। वही दूसरी ओर उत्तराखण्ड में सत्तारूढ कांग्रेस द्वारा जाने अनजाने में कांग्रेस का मनोबल गिराने वालों को तवज्जो देने की नीति अमल में लाई जा रही हैं, कांग्रेस अध्यंक्षा सोनिया गॉधी से लम्बी लडाई लडने वाले बाबा रामदेव को कांग्रेस उत्तराखण्डी में विशेष तवज्‍जो दे रही है, प्रमुख समाचार पत्रों की रिपोर्टके अनुसार उत्तराखंड सरकार ने चारधाम और वर्ष भर चलाई जाने वाली यात्राओं की ब्रांडिंग के लिए रामदेव एंड कंपनी को सरकारी हेलीकॉप्टरों से केदारधाम भेजकर वहां पूजा-पाठ करवाया। यात्रा को ज्यादा से ज्यादा प्रचार मिले, इसके लिए दिल्ली से न्यूज चैनलों को भी बुलाया गया था। बताया जा रहा है कि बाबा मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुरोध पर केदारनाथ आए थे। मुख्यमंत्री के खासमखास औद्योगिक सलाहकार रंजीत रावत मोदी के नवरत्नों में शामिल रामदेव और अन्य संतों को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ से केदारनाथ ले गए। बदली भूमिका के बारे में सवाल दगे तो बाबा बोले-हरीश रावत ने पहल की तो हमने भी हाथ बढ़ा दिया। बाबा की यात्रा का कार्यक्रम मंगलवार देर रात बना। बाबा ने मुख्यमंत्री के निमंत्रण को एकाएक स्वीकार कर सभी को चौंका दिया। बुधवार सवेरे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दिल्ली से आए मीडिया के साथ केदारनाथ पहुंचे। बाबा ने तीर्थ पुरोहितों से भी वार्ता की। केदारनाथ मंदिर में पूजा-पाठ के बाद मंदिर परिसर स्थित हवन कुंड में यज्ञ किया। करीब दो घंटे केदारनाथ में बिताने के बाद वह हरिद्वार लौट आए। बाबा के साथ हेलीकॉप्टर से जाने वालों में दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, बड़ा अखाड़ा उदासीन के महंत मोहन दास तथा शिवानंद भारती थे। रामदेव ने केदारधाम में किए जा रहे विकास कार्यों की प्रशंसा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए अतिरिक्त धन दिलाने का आश्वासन भी दिया। गौरतलब है कि मात़ सदन के संत स्वामी शिवानंद सरस्वुती जी महाराज से परहेज क्यों किया गया, उन्हें महज इसलिए दूर कर दिया गया कि वह हरिद्वार में अवैध खनन के सख्तन विरोधी है जिसे सूबे के मुखिया को यह पसंद नही है.

मोदी ने की मीडिया की तारीफ,चाय पार्टी में शामिल हुए 500 पत्रकार

मीडिया के लोगों ने हाल के दिनों में अपनी कलम को झाड़ू बना दिया -नरेंद्र मोदी
मीडिया के लोगों ने हाल के दिनों में अपनी कलम को झाड़ू बना दिया -नरेंद्र मोदी

मीडिया के लोगों ने हाल के दिनों में अपनी कलम को झाड़ू बना दिया -नरेंद्र मोदी
मीडिया के लोगों ने हाल के दिनों में अपनी कलम को झाड़ू बना दिया -नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मीडिया की जमकर तारीफ़ की। उन्होंने आज देश के पत्रकारों और मीडिया संस्थान के संपादकों से मुलाकात की। मोदी ने दिवाली मिलन के बहाने पत्रकारों को आज भाजपा कार्यालय में चाय पर बुलाया था। इस मुलाकात के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह समेत पार्टी के कई नेता भी मौजूद हैं। इस मुलाकात में करीब 500 पत्रकारों को बुलाया गया था। मोदी ने मुलाकात से पहले पत्रकारों को संबोधित किया। मोदी ने सबसे पहले पत्रकारों को सफाई अभियान में मदद के लिये सराहा और जनता में जागरूकता फैलाने के लिए आभार भी जताया।

पीएम ने कहा कि कुछ साल पहले तक आप लोगों के साथ मेरा बड़ा ही गहरा नाता था। मैं आप लोगों के लिये कुर्सियां लगाया करता था। वो दिन भी कुछ और थे। खुलकर बातें होती थीं। काफी दोस्ताना संबंध रहा है आप सबसे। उसका लाभ मुझे गुजरात में मिला। मैं भी कुछ रास्ता खोज रहा हूं कि आप सबसे पुराने जैसा गहरा नाता कैसे बने। समय का सदुपयोग आप सबके बीच कैसे हो।

मोदी ने कहा कि पिछले करीब एक महीने से स्वच्छता पर कई आर्टिकल पढ़ रहा हूं। सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। कई ऐसे कॉलम राइटर भी होंगे जो पहली बार सफाई पर लिख रहे होंगे। इसे एक राष्ट्रीय कर्तव्य मान कर सब इस काम में जुड़े हैं। मीडिया के माध्यम से सरकारों को भी जागना पड़ा है। आपने अपनी कलम को झाड़ू में बदल दिया है।

कोई ऐसा आर्टिकल नहीं पढ़ा जिसमें नागरिकों को सीधा प्रेरित करने का संदेश न रहा हो वरना आजादी के बाद ऐसा माहौल बन गया था कि सब कुछ सरकार करेगी लेकिन अब सब मिलकर काम करेंगे। प्रधानमंत्री के अकेले हाथ में झाड़ू लेने से काफी नहीं है बल्कि सब मिलकर करते रहें ये बहुत बड़ी बात है। भारत के लिए इतना भी हम करें वो भी अपने आप में काफी है।

संबोधन के बाद मोदी ने पत्रकारों के पास जाकर एक-एक कर उनसे मुलाकात की। उन्होंने संपादकों, रिपोर्टरों से अनौपचारिक रूप से बातचीत की। कई पत्रकारों ने उसके साथ सेल्फी भी ली।

@एजेंसी

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