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अध्यात्म की खोज करेगी www.iswaqt.com

एक नयी न्यूज़-वेबसाईट शीघ्र (संभवतः जनवरी 2016 में) आने वाली है ! ये “महादेव ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री (MBI)” के बैनर तले, कई संभावित प्रोजेक्ट में से एक, लांच होने वाली इस साईट का नाम है —- “इस वक़्त” (www.iswaqt.com) ! वरिष्ठ टी.वी. पत्रकार रहे और सोशल मीडिया का जाना-पहचाना नाम नीरज वर्मा इस वेबसाईट के प्रबंध सम्पादक हैं ! ये वेब-साईट समसायिक विषयों को तो समेटेगी , साथ ही, आध्यात्म की विभिन्न शाखाओं,ख़ास तौर पर औघड़-अघोरी परम्परा के खोजी तथ्यों के वास्तविक स्वरुप से पाठकों को रू-ब-रू कराने की कोशिश करेगी !

ये साईट, नामचीन लोगों के अलावा, उन लोगों के साक्षात्कार पर भी केन्द्रित होगी , जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में ख़ासा योगदान तो दिया, पर, “शख्सियत” के तौर पर अनदेखा कर दिए गए !

डिबेट में ज्वलंत मुद्दों पर भी, ये वेबसाईट, आपको आमंत्रित करती है ! लेखकों और पाठकों का हार्दिक स्वागत है ! अपनी लेखनी/विचार/सुझाव् को आप mahadevbroadcast@gmail.com के ज़रिये आप इस साईट तक पहुंचा सकते हैं !

प्रिटिंग और पैकेजिंग भारत का सबसे ज्यादा रोजगार एवं स्वरोजगार देने वाला प्रोफेशन

भोपाल 18 दिसम्बर 2015 कैरियर काउंसलिंग प्रिटिंग और पैकेजिंग के विषय पर शुक्रवार को माखनलाल विश्वविद्यालय के न्यू मीडिया डिपार्टमेंट में व्याख्यान का आयोजन हुआ। जिसमें श्री कमल चोपड़ा (वाइस प्रसिडेंट, नेशनल प्रिंटर एसोसिएशन) ने विद्यार्थीयों को एक प्रजेन्टेशन के माध्यम से प्रिटिंग और पैकेजिंग के उभरते हुए भविष्य के बारे में बताया।

उन्होने बताया कि कैसे यह प्रोफेशन भारत मे सबसे ज्यादा बढ रहा है। उन्होने प्रिटिंग में 3डी प्रिटिंग, वीडियो प्रिटिंग, क्यू.आर. कोड के बारे में बताया। साथ मे उन्होने प्रिटेंड इलेक्ट्रानिक, बेटरी प्रिटिंग, सिक्योरिटी प्रिटिंग की नवीन टेक्नालोजी के बारे में भी विद्यार्थीयों को अवगत करवाया।

कमल चोपड़ा जी नें कहा कि आज घर में किसी भी चीज की प्रिटिंग व पैकेजिंग के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रिटिंग व पैकेजिंग की एक छात्रा के प्रश्न का जवाब देते हुए श्री चोपड़ा ने कहा कि कोर्स मे डिग्री के साथ प्रतिभा व प्रैक्टिकल नालेज होने पर ही आप इस क्षेत्र में आगे तक जा सकते है और कुछ नया कर सकते है।

इस मौके पर अम्बरीश पाण्डेय जी, दीपक शर्मा जी, नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष डॉ. पी शशिकला एवं विभाग के प्राध्यापकगण और विद्यार्थी उपस्थित थे।

आम लोगों के लिए ‘नो योर मेडिसिन कैंपेन’ की शुरूआत

प्रेस विज्ञप्ति

नई दिल्ली.स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए स्वस्थ भारत ट्रस्ट ने स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत ‘नो योर मेडिसन कैंपेन’ की शुरूआत यहां शुक्रवार को की। नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित कैंपेन के उद्घाटन समारोह में दवाओं के प्रति जागरूकता की जरूरत को बताती हुई लघु फिल्म का लोकार्पण भी किया गया, जिसे बॉलीवुड के हस्तियों ने तैयार किया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विषय में रूचि रखने वाले बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, चिकित्सकों, फार्मा क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों और अन्य अंशधारकों ने सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।

दवाओं के प्रति जागरूकता पर बनी इस फिल्म का निर्देशन जाने-माने फिल्म डायरेक्टर सुनील अग्रवाल ने किया है, वहीं इसकी एडिटिंग बल्लु सलुजा ने की है। पुनीत वशीष्ठ, संचिता बनर्जी व संजय बडोनी अभिनित ढाई मिनट की इस फिल्म में लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि वे दवा लेने की स्थिति में अपने डॉक्टर अथवा फार्मासिस्ट से उस दवा की सही जानकारी जरूर लें। उल्लेखनीय है कि दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण मरीज कई बार अनावश्यक दवाओं का भी सेवन करते चले जाते हैं जिसके दुष्परिणाम स्वास्थ्य पर दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो चितकित्सकों की ओर से भी दवाओं के बारे में जानकारी देने में आना-कानी की जाती है, जिससे मरीज अपनी बीमारी, अपने ईलाज और अंततः अपने स्वास्थ्य के बारे में ही जागरूक नहीं रह पाता है।

स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मरीज को दवाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है और इसमें डॉक्टरों, फार्मासिस्टों तथा सरकार की भूमिका अहम है। खासकर इस संबंध में कड़े कानूनों के बनाए जाने और ठीक से उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है। फिलहाल तो डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी पर्चियों पर दवाओं का नाम तक स्पष्ट नहीं होता है और सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र तक के अस्पतालों में डॉक्टरों के पास मरीजों से बात करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता ताकि वे मरीजों को दवा के बारे में समझा सकें। यह स्थिति देश के स्वास्थ्य जगत के हितो के प्रतिकूल है और इसमें शीघ्रातिशीघ्र सुधार की आवश्यकता है।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने इस कैंपेन की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है। वही मुख्य वक्ता डॉ मनीष कुमार ने दवाइयों के बारे में लोगों को जागरूक होने की अपील कहते हुए कहा कि हमें अपने शरीर को व्यवस्थित रखना है तो दवा का प्रयोग अनुशासित तरीके से करना पड़ेगा। सिम्पैथी के निदेशक डॉ. आर.कांत ने भी दवाइयों के पढ़ते दुरुपयोग पर अपनी चिंता जाहिर की। फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने कहा कि लोगों को अपनी दवा के बारे में जानने का पूरा हक है। वहीं वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार धनंजय कुमार, अरविंद कुमार सिंह और कुमार संजोय सिंह आदि ने देश में स्वास्थ्य चिंतन की धारा को तीव्र करने पर जोर दिया।

आइडिया क्रैकर्स व स्वस्थ भारत अभियान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन सोशल मीडिया एक्सपर्ट कनिश्क कश्यप ने की। धन्यवाद संबोधन धीप्रज्ञ द्विवेदी ने की।

एजुकिस्तान.कॉम ने डिजिटल मीडिया में दी दस्तक

मीडिया खबर
मीडिया खबर

जयपुर। डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में अब नए करियर और एजुकेशन पोर्टल एजुकिस्तान ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। पोर्टल पर मुख्य तौर पर छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों और अच्छे करियर की तलाश वाले युवाओं से संबंधित सामग्री उपलब्ध है। इसमें कॉलेज, यूनिवसिज़्टीज, नौकरी, स्कॉलरशिप से संबंधित खबरें मिलेंगी। इसके अलावा यह पोर्टल आपको देश-विदेश के छात्रों से जुडऩे का प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध करा रहा है। पोर्टल के कम्यूनिटी सेक्शन के जरिए से आप अपने विचारों और आइडियाज से दूर-दराज विदेशों में बैठे छात्रों को भी रूबरू करा सकते हैं।

पोर्टल के संस्थापक संजय रोहिल्ला का कहना है, ‘आज के वक्त हर कोई डिजिटल की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल होती जा रही देश की युवा पीढ़ी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हमनें इस वेंचर की शुरुआत की है। हमने इस वेंचर के जरिए कोशिश की है कि देश की युवा पीढ़ी को नौकरी, एडमिशन और स्कॉलरशिप पाने में ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े।’

साथ ही रोहिल्ला ने कहा, ‘हम छात्रों को दूर-दराज बसे देश-विदेश के छात्रों को अपने विचारों को आदान-प्रदान करने के लिए भी प्लेटफॉर्म मुहैया करा रहे हैं। यह प्लेटफॉर्म अभी तक डिजिटल क्षेत्र में यूनिक है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए छात्र अपने विचारों से दूसरे छात्रों को रूबरू करा सकते हैं। इसके साथ ही यह पोर्टल छात्रों को अपना स्टार्ट-अप शुरू करने में सहयोग करेगा।’

भविष्य की योजनाओं पर रोहिल्ला का कहना है, ‘अभी हम लोग इसी पोर्टल पर फोकस कर रहे हैं। एजुकेशन क्षेत्र में हमारे कई वेंचर अभी पाइपलाइन में हैं। जिन्हें पर हम लोग आने वाले वक्त में शुरू करेंगे।’

एजुकिस्तान छात्रों और संस्थानों को खुद की खबरें खुद शेयर करने का मौका भी देता है। इसके लिए आपको साइट पर जाना होगा और वहां राइट फॉर अस लिंक पर क्लिक करके आप अपने से संबंधित खबर, इवेंट की कवरेज, प्रेस रिलीज शेयर कर सकते हैं। जिसके बाद पूरे देश के साथ ही विदेशों में भी खबर कुछ सैकंड के बाद देखी जा सकती है।

पोर्टल के संस्थापक संजय रोहिल्ला छह साल से डिजिटल इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम किया है। एजुकिस्तान की शुरुआत करने से पहले रोहिल्ला देश के जाने माने हिंदी समाचार-पत्र राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड में बतौर प्रोडेक्ट हेड कार्यरत थे। इन्होंने ग्रुप के कई पोर्टल लॉन्च कराने में अहम भूमिका निभाई है। इससे पहले पहले देश के मशहूर पोर्टल कारदेखो.कॉम में कार्यरत थे। इससे पहले भी रोहिल्ला कई डिजिटल कंपनियों के साथ जुड़े रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र त्रिवेदी की याद में राहुल देव

rahul dev, journalist
राहुल देव, वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र त्रिवेदी का रविवार को निधन हो गया. उनके निधन की खबर से पत्रकारिता जगत शोकाकुल हुआ और उन्हें जानने वाले पत्रकारों ने उन्हें अपने-अपने तरीके से याद किया. वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने उन्हें कुछ ऐसे याद किया.

राहुल देव

कई दिन बाद अभी फेसबुक पर आने पर अचानक यह जानकारी मिली कि सुरेन्द्र चले गए। सन्नाटे में हूं। कुछ दिनों पहले उन्होंने फोन किया था, जैसे हर महीने दो महीने करते रहते थे, और अपनी बीमारी के बारे में बताया था। पर उनकी बातों, स्वर, भंगिमा में वही पुराना विनम्र आत्मबल था। लगा जैसे उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई झंझावात झेले वैसे ही हंसते-लड़ते इससे भी पार हो जाएंगे। इतना कुछ गंभीर मामला था इसका कोई आभास या पूर्वाभास सुरेन्द्र की आवाज में नहीं था। सन्नाटे में हूं।

सुरेन्र्द से जनसत्ता के दिनों में जो सहयोगी के रूप में परिचय हुआ वह अखबार से कब और कैसे बाहर निकल कर पारिवारिक संबंध बन गया इसका सारा श्रेय सुरेन्द्र को ही जाता है। एक कानपुर यात्रा में उनके आग्रह से बंधा उनके घर भी गया, सबसे मुलाकात हुई। एक बहुत स्नेहिल ऊष्मा से भरा परिवार। वह दिल्ली आने पर बिना नागा फोन पर तो बात करते ही थे, समय हो तो जरूर घर भी आते थे। सदा बड़ा भाई माना और उस नाते से घरेलू, आर्थिक, व्यावसायिक और पत्रकारीय सब चिन्ताओं, समस्याओं, सरोकारों को साझा भी किया।

सुरेन्द्र चाहते तो अपने पारिवारिक व्यवसाय से जु़ड़े रहकर, अपनी ऊर्जा और प्रतिभा को उसमें लगाते तो पर्याप्त सम्पन्न बन सकते थे। लेकिन जनसत्ता की सात्विक पत्रकारिता के अनुभव ने मूल्यपरकता का ऐसा स्वाद, ऐसा स्वाभिमान भर दिया था उनमें कि घोर कष्ट, बेरोजगारी, अकेलापन झेलने और अपने आस पास के, कनिष्ठ पर चालू पत्रकारों को आगे बढ़ते देखने के बावजूद सुरेन्द्र त्रिवेदी अपना पत्रकारीय खरापन नहीं छो़ड़ पाए। हमेशा स्वाभिमानी, मूल्यपरक, संघर्षशील और निष्ठावान बने रहे।

एक जमीनी, सच्चा, खरा और अच्छा पत्रकार यूं अचानक गया, जबकि अभी उसके पास देने को, करने को, लिखने को बहुत कुछ था। यह दुख बना रहेगा, सुरेन्द्र की यादों के साथ…

(स्रोत-एफबी)

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