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अकेले खेलना पसंद करते हैं तो अंदर बाहर गेम है आपके लिए अच्छा विकल्प

ऑनलाइन गैंबलिंग साइट G2G पर आपको अंदर बाहर कैश गेम बड़ी आसानी से मिल जाता है. 10 CRIC की ख़ास बात यह है की आपको ऑनलाइन अंदर बाहर गेम 2 डी या 3 डी में भी मिल जाएगा. इसमें यदि आप अकेले खेलते हैं तो आप सॉफ्टवेयर के साथ खेल सकते हैं जिसमे आपको बताना होता है कि कौन सा ताश/कार्ड किस कार्ड से मैच करेगा. फिर सॉफ्टवेयर आपको बताएगा कि आपका जवाब सही है या गलत. ऐसे आप जब भी चाहें तो अकेले कार्ड खेलने का रोमांच और आनंद ले सकते हैं.

10 CRIC पर अंदर बाहर गेम में आपके पास दोनों ऑप्शन मौजूद रहते हैं आप चाहे तो मुफ्त खेल सकते हैं या फिर आप दांव भी लगा सकते हैं. ऑनलाइन अंदर बाहर कॅश गेम भारतीय खिलाड़ियों द्वारा बहुत खेला जाता है और ऑनलाइन गेमिंग में आजकल ट्रेंडिंग में चल रहा है. कई लोग बिना पैसे लिए पारंपरिक तरीके से खेलने का आनंद लेते हैं, मुफ्त में या वर्चुअल मनी का उपयोग करके. आप मोबाइल में दस मिनट से भी कम समय में इस खेल के एक्सपर्ट बन सकते हैं. मुफ्त खेलने में एक यह फायदा होता है कि आप यह भी सीख सकते हैं कि अगर आप खेल में नए हैं तो कैसे खेलें और कैसे पैसे कमाए जा सकते हैं

हालांकि, यह भी सच है कि कई खिलाड़ियों को कैसीनो के खेल खेलते समय जीत का रोमांच पसंद है. जब आप Guide2Gambeling रियल मनी के लिए अंदर बाहर गेम खेलने के लिए तैयार होते हैं, तो सबसे पहले अपना छोटा-छोटा दांव लगाएं और खेलें. इससे आपका रोमांच बना रहेगा और गेम को एन्जॉय भी कर पाओगे.

टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में मीडिया फेस्ट !

technia media fest

रोहिणी स्थित टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में एकदिवसीय 15 वें वार्षिक मीडिया फेस्ट “वर्चस्व 2020 ” 10 नवम्बर 2020 को धूमधाम से संपन्न हुआ |

वर्चस्व मीडिया फेस्ट, टेक्निया इंस्टिट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज का एक रचनात्मक पहल है जिसमें संस्थान के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के छात्र- छात्राएं अपने ज्ञान और कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

पिछले कई सालों से टेक्निया ने सफल आयोजन के साथ कुछ अलग करने की प्रथा को कायम रखा था उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस बार के वर्चस्व ने भी कुछ अलग अंदाज मे नई ऊँचाईयों को छूआ। कोरोना महामारी के कारण इस बार वर्चस्व ऑनलाइन माध्यम द्वारा संचालित किया जिसका

थीम “इनक्रेडिबल इंडिया” था जो सफल, सुदृढ़ और उन्नत भारत की आवश्यकता को ध्यान में रखकर निर्धारित की गयी थी। वर्चस्व 2020 के दौरान सोशल डिस्टैन्सिंग एवं सरकार द्वारा सुझाए गए सभी निर्देशों का पालन किया गया

कार्यक्रम की शुरुवात टेक्निया ग्रुप ऑफ इंस्टिटूशन्स के अध्यक्ष डॉ राम कैलाश गुप्ता, संस्थान निदेशक डॉ अजय कुमार, जनसंचार विभाग के डीन डॉ एम एन झा एवं “वर्चस्व 2020 ” की संयोजिका सोनिया बत्रा के द्वारा सरस्वती वंदना व दीप प्रज्जवलन के साथ की गयी।

“वर्चस्व 2020 की मुख्य अतिथि सुश्री रुबिका लियाकत , (एंकर ,एवीपी न्यूज़ ) ने अपने ऑनलाइन उद्धबोधन में छात्रों को कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामना देते हुए उनका उत्साहवर्धन किया |

डॉ राम कैलाश गुप्ता ने अपने अभिभाषण में छात्रों को कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामना देते हुए उन्हें प्रेरित किया व अपने युवा जीवन की कुछ मजेदार घटनाओं को साझा कर उत्साहवर्धन किया। “वर्चस्व” 2020 में कई प्रकार के ईवेंट हुए और उसमें दिल्ली एन.सी.आर के 50 से अधिक कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भाग लेते हुए अपनी कला का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण फैशन परेड, ग्रुप डांस, सोलो डांस, सोलो सिंगिंग, एड-मैड, मोनो एक्टिंग, नुक्कड़ नाटक , मिस्टर एंड मिस वर्चस्व आदि रहे।

इस बार वर्चस्व 2020 का अपना अलग ही अंदाज था जहां टेक्निया के म्यूजिक बैंड ने जलवा बिखेरते हुए अपने सुरीले गीतों से ऑनलाइन उपस्थिति दर्शकों के उत्साह को दोगुना कर दिया ।

इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ अजय कुमार , डॉ एम एन झा (डीन ,पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ), शिक्षक और छात्र- छात्राएं मौजूद रहे |

एकाउंट निष्क्रिय रहेगा तो गूगल हटाएगा कंटेंट !

google

गूगल अपने उपभोक्ता के अकाउंट के लिए नई नीतियां ला रहा है, जो अगले साल 1 जून से प्रभावी होंगी। साथ ही यदि आप दो साल से जीमेल, ड्राइव या फोटो को लेकर निष्क्रिय हैं, तो कंपनी अपने उन प्रोडक्ट्स में से आपके कंटेन्ट को हटा सकती है, जिनमें आप निष्क्रिय हैं। कंपनी ने बुधवार को कहा, नई नीतियां उन उपभोक्ता के अकाउंट्स के लिए हैं जो या तो निष्क्रिय हैं या जिनकी जीमेल, ड्राइव (गूगल डॉक्स, शीट्स, स्लाइड, ड्रॉइंग, फॉर्म और जैमबोर्ड फाइलों सहित) पर स्टोरेज केपेसिटी की सीमा पार कर रहे हैं।

कंपनी ने कहा, “यदि आपका अकाउंट 2 साल से अपनी स्टोरेज सीमा से अधिक है, तो गूगल आपके कंटेन्ट को जीमेल, ड्राइव और फोटो पर से हटा सकता है।” साथ ही कंपनी ने कहा है कि वह कंटेन्ट हटाने का प्रयास करने से पहले उपयोगकर्ताओं को कई बार इसकी सूचना देगी। ऐसे में अपने खाते को सक्रिय रखने का सबसे सरल तरीका यह है कि जब भी साइन इन करें या इंटरनेट पर काम करें तो समय-समय पर अपने जीमेल, ड्राइव या फोटो पर जाएं। इसके अलावा इनेक्टिव अकाउंट मैनेजर भी आपके विशेष कंटेन्ट को मैनेज करने में मदद कर सकता है।

कंपनी ने आगे कहा, “यदि आपको अपने निशुल्क 15 जीबी स्टोरेज से अधिक की आवश्यकता है, तो आप गूगल वन के साथ एक बड़े स्टोरेज प्लान में अपग्रेड कर सकते हैं।”

अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

arnab goswami

रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अर्नब गोस्वामी और अन्य सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। गोस्वामी को साल 2018 के इंटीरियर डिजाइनर (वास्तुकार) अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में 4 नवंबर को न्यायिक हिरासत में लिया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गहरी चिंताजनक बात है कि अगर अदालतें मानवीय स्वतंत्रता को संरक्षित नहीं करती हैं और यदि संवैधानिक अदालतें स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करती हैं, तो कौन करेगा?

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर किसी को टीवी चैनल पसंद नहीं है तो उस व्यक्ति को इसे नहीं देखना चाहिए।

अर्नब और दो अन्य को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के सिलसिले में पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था।

पीठ ने अर्नब की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि पीड़ित निष्पक्ष जांच का हकदार है और जांच आगे बढ़नी चाहिए, लेकिन अगर राज्य इस आधार पर व्यक्तियों को निशाना बनाता है तो एक मजबूत संदेश जाना चाहिए।

चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से कहा, “हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से मजबूत है। बात यह है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती। प्रधान न्यायाधीश ने बहुत महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने कहा है कि हम सभी पक्षों से जिम्मेदारी की उम्मीद करते हैं।”

पीठ ने कहा कि अर्नब को जांच में सहयोग करना चाहिए और आरोपियों की रिहाई में देरी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने उन्हें 50,000 रुपये के बांड प्रस्तुत करने को भी कहा।

अर्नब ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने उनकी अंतरिम जमानत पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा, “अगर संवैधानिक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करती हैं, तो हम विनाश के रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं।”

अर्नब का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत के समक्ष कहा, “क्या अर्नब गोस्वामी आतंकवादी हैं? क्या उन पर हत्या का आरोप है? उन्हें जमानत क्यों नहीं दी जा सकती है?”

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने महाराष्ट्र पुलिस और वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व किया।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सह आरोपी नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख की अंतरिम रिहाई की भी अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत देने के लिए आवेदन को खारिज कर हाईकोर्ट ने त्रुटि की है। (एजेंसी)

दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज चैनलों को भेजा सम्मन

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी सहित विभिन्न मीडिया चैनलों को सम्मन जारी किया। कोर्ट ने चार बॉलीवुड संगठनों और 34 निर्माताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की और इन आउटलेट्स से समाचार रिपोर्टिग के मानकों में सुधार के लिए उचित समाधान के साथ आने के लिए कहा। याचिकाकर्ताओं ने समाचार चैनलों पर हिंदी फिल्म उद्योग और उसके सदस्यों के खिलाफ ‘गैर-जिम्मेदाराना, अपमानजनक टिप्पणी’ को लेकर लगाम लगाने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने मीडिया चैनलों से जवाब मांगा और मामले की आगे की सुनवाई 14 दिसंबर तक के लिए टाल दी।

जब अदालत इस मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कर रही थी, तब याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव नायर ने कहा कि यह सब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से शुरू हुआ, जो बाद में हत्या बन गई, फिर बॉलीवुड आपराधिक बन गया, फिर ड्रग पेडलर्स और अब आईएसआई से जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि यह बात इस मानहानि शिकायत का आधार है।

उन्होंने अनुरोध किया कि यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया जाए। नायर ने अदालत के समक्ष गुहार लगाते हुए कहा, “मैं तुरंत चाहता हूं कि यूट्यूब और ट्विटर पर जो अपमानजनक चीजें सामने आई हैं, उन्हें तुरंत हटा दिया जाए।”

बॉलीवुड संस्थाओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल भी पेश हुए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के आदर्श विचार और टीवी मीडिया के एक निश्चित वर्ग द्वारा किए गए काम के बीच एक अंतर है।

सिब्बल ने तर्क दिया कि प्रेस किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता है। उन्होंने कहा, “सबूतों की जांच कोर्ट द्वारा की जाती है, मीडिया चैनलों द्वारा नहीं।”

अदालत ने सवाल किया, “वे (बॉलीवुड सेलेब्स) खुद इस मुकदमे के पक्षकार क्यों नहीं बन गए? चूंकि वे पीड़ित हैं, उन्हें व्यक्तिगत रूप से संपर्क करना चाहिए।” इसने कहा कि इससे पता चलता है कि ये लोग नुकसान का दावा करने में हिचकिचाते हैं।

हाईकोर्ट ने समाचार चैनलों से यह भी सवाल किया कि रिपोर्टिग मानकों में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, “अगर आप आत्म-संयम नहीं बरत रहे हैं, तो हम क्या करेंगे? अदालतों के सामने आपका अंडरटेकिंग भी नहीं काम कर रहा है।”

अदात ने कहा, “मुझे लगता है कि ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन युग बहुत बेहतर था।”

न्न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा, “लोगों में प्रेस के बारे में डर फैल गया है। यहां तक कि अगर बड़ी हस्तियों की निजता का मुद्दा कमजोर भी करें तो भी आप (समाचार चैनल) उनके निजी जीवन को पब्लिक डोमेन में नहीं खींच सकते।” (एजेंसी)

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