केजरीवाल के वीडियो संदेश पर लानत-मलानत करते सुधीर चौधरी
ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
केजरीवाल के वीडियो संदेश पर लानत-मलानत करते सुधीर चौधरी
प्रधानमंत्री मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ने वाले केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को सैल्यूट किया। पहले एक भाजपा नेता ने इस बात का मज़ाक़ उड़ाया। अब केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपा नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसलिए घेर रहे हैं कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार (प्रोपेगैंडा) को बेनक़ाब करने की माँग सरकार से क्यों की। यह भाजपा की छिछली राजनीति है।
दरअसल, यह वार केजरीवाल पर नहीं उन सब लोगों पर है जो सामरिक मामले में सेना और मोदी के साथ खड़े हैं, लेकिन कुछ सवाल कर रहे हैं या कुछ अपेक्षाएँ ज़ाहिर कर रहे हैं। इसमें क्या बुरा है? यह तो कोई लोकतांत्रिक माहौल नहीं हुआ; ऐसा तानाशाही में होता है।
उन टीवी चैनलों पर भी शर्म आती है जो सत्ताधारी पार्टी से भी आगे जाकर पाकिस्तान में केजरीवाल के बयान के इस्तेमाल की ख़बरों पर उन्हें “पाकिस्तान का हीरो” क़रार दे रहे हैं। यानी देश का ग़द्दार? अजीबोग़रीब तमाशा है। बात-बात पर राष्ट्रप्रेम और राष्ट्र्द्रोह की जुमलेबाज़ी इस सरकार के राज में जैसे बच्चों का खेल हो गई है!
(भक्तों को आगाह कर दूँ कि अब मुझे तुरंत ‘आप’ पार्टी का बंदा न कह दें! कल ही तो उन्होंने – मनमोहन सिंह की संजीदगी और मोदी की ढिंढोरापीट राजनीति पर टीप साझा करने पर – मुझे कांग्रेस समर्थक होने का ख़िताब अता फ़रमाया था!) @fb
भारतीय चैनलों के ड्रामे से मन भर गया हो तो पाकिस्तानी न्यूज़ चैनलों को देखिये। दिल पर बोझ नहीं लेंगे तो बहुत आनंद आएगा। पाकिस्तान का टीवी चैनल देखेंगे तो भारत आपको चींटी की तरह दिखाई देगा,जिसे जब मर्जी तब पाकिस्तान मसल सकता है.
मान गए कि डींग हांकने में हिन्दुस्तान से कम नहीं हैं पाकिस्तान के चैनल.वैसे तो भारत के सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तानी चैनलों ने सवाल उठाते हुए इसे रामलीला करार दिया.लेकिन देखा जाए तो पाकिस्तानी चैनलों पर असल रामलीला चल रही है और इस रामलीला के हनुमान आजकल अरविंद केजरीवाल बने हुए.
पाकिस्तान न्यूज़ चैनलों पर अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के वजीरेआज़म अपने कल के वीडियो संदेश को लेकर पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर छाये हुए हैं.वहां न्यूज़ चैनलों पर काम करने वाली मोहतरमा उछल-उछल कर उनके बयान को ब्रेकिंग न्यूज़ में पढ़ रही हैं.
दरअसल भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान हर मुमकिन कोशिश कर इसे फर्जी करार देने की कोशिश कर रहा है.मगर अबतक उसे ऐसा करने में कामयाबी नहीं मिली. लेकिन कल जब केजरीवाल ने अपने वीडियो संदेश में बड़ी चतुराई से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत दिखने का शिगूफा छोड़ दिया तो पाकिस्तानी चैनलों ने उसे झट से लपकते हुए रायता फैलाना शुरू किया और केजरीवाल का बयान चैनल-चैनल स्क्रीन पर ऐसे कुदा-फांदा मानो पाकिस्तानी चैनलों की रामलीला के हनुमान वही हो. जोर से बोलो जय सियाराम की.
रवीश कुमार टीवी पर भात-भुजिया खाने से कोई गरीबों का मसीहा नहीं बन जाता
ओम प्रकाश
रवीश कुमार का चीन प्रेम
चीन के सामान का बहिष्कार करने की मुहिम अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई कि रवीश कुमार ने लेख लिखकर उसपर गरीबी का खूँटा गाड़ दिया। वकालत कर दी कि इस दिवाली चीन का माल ज़रूर ख़रीदें क्योंकि उन्हें उन गरीबों की चिंता है जो दीवाली के लिए चीन के बने सामान खरीद कर अपने शहर – कस्बों में वापस जा चुके हैं.लेकिन उनका लेख पढकर प्रतीत होता है कि गरीबों से ज्यादा उन्हें चीन की चिंता है और उसकी चिंता में दूसरे वामपंथियों की तरह वे भी घुले जा रहे हैं. दूसरी तरफ उनका विरोध इसलिए भी है क्योंकि मोदी समर्थक भी चीन की चीजों के बहिष्कार में शामिल है. अपने ब्लॉग में इस संदर्भ में पहली लाइन में ही अपनी मंशा प्रकट करते हुए वे लिखते हैं –
“रेहड़ी पटरी पर बैठ कर सस्ता माल बेचने वालों ध्यान से सुनो।मुझे पता है आपके पास ख़बरों का कूड़ेदान यानी अख़बार पढ़ने और चैनल देखने का वक्त नहीं है।जिनके पास फेसबुक और ट्वीटर पर उल्टियाँ करने का वक्त हैं वो आपके माल की जात पता करना चाहते हैं।ज़ोर शोर से अभियान चला रहे हैं कि इस दिवाली चीन का माल नहीं ख़रीदेंगे।पाकिस्तान का साथी चीन को सबक सीखाने के लिए इन लोगों ने आपके पेट पर लात मारने की योजना बनाई है।थोक बाज़ार से अपना माल खरीद कर आप अपने अपने ज़िलों और क़स्बों की तरफ निकल चुके होंगे। चीन का माल आपकी गठरी में आ गया होगा कि इस दिवाली कुछ कमाकर बच्चों के नए कपड़े बनवायेंगे। बच्चों की फीस भरेंगे। फर्ज़ी राष्ट्रवादियों की नज़र आपकी कमाई ख़त्म करने पर है।“
लेकिन रवीश कुमार ये नहीं जानते कि आप जिन रेहड़ी – पटरी वालों की बात कर रहे हैं वो आपका ब्लॉग नहीं पढ़ते.उनके साथ भात-भुजिया खाने के टीवी प्रदर्शन से आप उनके मसीहा नहीं हो गए. टीवी पर बैठकर आपके प्राइम टाइम भाषणों से आजतक किसी गरीब का भला नहीं हुआ. हाँ आपकी ब्रांडिंग में चार चाँद जरूर लग गए.
बहरहाल रवीश कुमार जिन तर्कों का सहारा लेकर चीन के सामान को खरीदने की गुहार कर रहे हैं उस हिसाब से तो आप चीन के सामान का अनंत काल तक बहिष्कार नहीं कर सकते.क्योंकि हर बार चीन से सामान सदर बाजार पहुंचेगा और वहाँ से गाँव कस्बे में और फिर रवीश कुमार गरीबों को लेकर अपनी ब्रांडिंग चमकाने बैठ जाएंगे. तो फिर कब होगा बहिष्कार? ऐसे तो मामला कभी नहीं ठीक होगा और चीन का भारतीय बाज़ार पर एकाधिकार बढ़ता ही जाएगा। ये मुश्किल काम जरूर है. लेकिन इससे कम-से-कम चीन कुछ दबाव में तो आएगा क्योंकि उसके आर्थिक हित भारत में निहित है.और कुछ नहीं तो कम से कम खुलकर पाकिस्तान का साथ देने से गुरेज तो करेगा.ग्लोबलाइजेशन के ज़माने में विश्व समुदाय के साथ बिजनेस के अनुबंधों से जुड़े हैं तो देश की सरकार चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती. मसलन चीन या दूसरे देशों के अपने देश में व्यापार को नहीं रोक सकती. लेकिन उपभोक्ता चाहे तो कर सकता है और उसी को लेकर भारत में सुगबुगाहट शुरू हुई जो रवीश कुमार जैसे बुद्धिजीवियों को भी नहीं पच रहा.
वर्तमान सच्चाई ये है कि चीन हमारे ही पैसों से पाकिस्तान के आतंकवाद को शह दे रहा है. वीटो पावर का इस्तेमाल कर अजहर मसूद को बचा रहा है और हम या हमारी सरकार कुछ नहीं कर पा रहे. ऐसे में यदि देश के आम नागरिक चीन में बनी चीजों का बहिष्कार अपने स्तर पर करना चाहते हैं तो रवीश जैसों को आपत्ति क्यों? क्या इससे आपकी फंडिंग पर कोई असर पड़ता है क्या? और जहाँ तक बहिष्कार का सवाल है तो ये बहिष्कार देश से ज्यादा विदेशों में हो रहा है तो क्या रवीश कुमार उन तमाम अप्रवासी भारतीय को भी फर्जी राष्ट्रप्रेमी और मोदी भक्त करार देंगे.
दरअसल रवीश की दिक्कत है कि प्रतिभाशाली पत्रकार होने के बावजूद अब वे एक चश्मे से तमाम चीजों को देखने के आदि हो गए हैं और इस चश्में का रंग वामपंथ ने काला कर दिया है जिससे रवीश को पूरी दुनिया ही काली दिखाई देती है और इसलिए कभी-कभी वे स्क्रीन भी काला कर देते हैं.फिर इकोनोमिकल मॉडल भी तो कोई चीज होती है और उस मॉडल में चीन,पाकिस्तान और कश्मीर तो टॉप प्रायोरिटी में है ही. वैसे भी वामपंथियों का ‘चीनी’ प्रेम जगजाहिर है.लेकिन ज्यादा चीनी सीधे-सीधे डायबिटीज को न्योता देना है.
बहरहाल रवीश कुमार इस दीवाली मुबारक हो आपको चीन और चीनी सामान.संभव हो तो चाइनीज भी सीख लें.एंकरिंग में बहुत स्कोप है. वहां के मजदूरों की दमन कथा कभी प्राइम टाइम में सुनाईयेगा जरूर. शिगूफा छोड़ने में आपका भी जबाव नहीं.
(लेखक कॉपोरेट वर्ल्ड में काम करते हैं और रवीश कुमार के बड़े प्रशंसक हैं)
रवीश का उनके ब्लॉग पर प्रकाशित लेख – इस दिवाली चीन का माल ज़रूर ख़रीदें
रवीश कुमार October 03, 2016 21 Comments रेहड़ी पटरी पर बैठ कर सस्ता माल बेचने वालों ध्यान से सुनो।मुझे पता है आपके पास ख़बरों का कूड़ेदान यानी अख़बार पढ़ने और चैनल देखने का वक्त नहीं है।जिनके पास फेसबुक और ट्वीटर पर उल्टियाँ करने का वक्त हैं वो आपके माल की जात पता करना चाहते हैं।ज़ोर शोर से अभियान चला रहे हैं कि इस दिवाली चीन का माल नहीं ख़रीदेंगे।पाकिस्तान का साथी चीन को सबक सीखाने के लिए इन लोगों ने आपके पेट पर लात मारने की योजना बनाई है। थोक बाज़ार से अपना माल खरीद कर आप अपने अपने ज़िलों और क़स्बों की तरफ निकल चुके होंगे। चीन का माल आपकी गठरी में आ गया होगा कि इस दिवाली कुछ कमाकर बच्चों के नए कपड़े बनवायेंगे। बच्चों की फीस भरेंगे। फर्ज़ी राष्ट्रवादियों की नज़र आपकी कमाई ख़त्म करने पर है। ये लोग नुक्कड़ पर बैठी उस महिला की कमाई पर नज़र गड़ाए बैठें जो हज़ार दो हज़ार की लड़ियाँ फुलझड़ियाँ बेचकर अपने नाती-पोतों के लिए कुछ कमाना चाहती है।
चीन का माल नहीं ख़रीदना है तो इन्हें भारत सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह चीन से आयात पर प्रतिबंध लगा दे। भारत में काम कर रही चीन कंपनियों को भगा दे। कारोबारियों का गला पकड़े कि वे चीन का माल न लायें।अरबों रुपये उनके भी दाँव पर लग गए हैं मगर वे तो छोटे दुकानदारों को बेच कर निकल चुके हैं। फिर जो माल बचा है उसे मंडी में जला कर दिखा सकते हैं कि वो राष्ट्रवाद के आगे पैसे की परवाह नहीं करते। क्या ऐसा होगा? कभी नहीं होगा लेकिन मोहल्ले में जो आपने ‘पुलिस को कुछ ले देकर’ पटरियाँ लगाई हैं कि इस दिवाली कुछ कमायेंगे,उन पर इन लोगों की नज़र है।
चीन के ख़िलाफ़ अभियान ही चलाना है तो यह भी चले कि किस किस कंपनी का निवेश चीन में है।पूरी लिस्ट आए कि इनका माल नहीं ख़रीदेंगे और ख़रीद लिया है तो उसे कूड़ेदान में फेंक देंगे।उन कंपनियों से कहा जाए कि अपना निवेश वापस लायें ।अपने माल का आर्डर कैंसल करें।भारत में जहाँ जहाँ चीन है उसे खदेड़ देना चाहिए।सरकार से बयान दिलवाना चाहिए कि वे चीन के माल का बहिष्कार कर रहे हैं इसलिए कंपनियाँ वहाँ के लोगों से कारोबार न करें। वहाँ से माल लाकर यहाँ के लोगों को न बेचें।
क्या ऐसा होगा? राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ ग़रीब को ही जान और माल का इम्तहान क्यों देना पड़ता है? आपने जो माल ख़रीदा है वो बेशक चीन का होगा लेकिन पैसा तो आपका है। उस माल का मालिकाना हक़ आपका है। अगर इन फेसबुकिये राष्ट्रवादियों को चीनी माल से इतनी नफरत है तो ये अपने घरों से पहले से ख़रीदे गए चीन माल बाहर निकालें और उनकी होलिका जला दें।अपना स्मार्ट फोन क्यों नहीं शहर के मुख्य चौराहे पर फेंक देते हैं?सिर्फ दिवाली के वक्त ग़रीब दुकानदारों के ख़िलाफ़ ये साज़िश क्यों हो रही है?ये राष्ट्रवाद नहीं है बल्कि पूरी योजना है कि कैसे इसी के नाम पर ग़रीबों के सवाल को ग़ायब कर दिया जाए। ग़रीब को ही ग़ायब कर दिया जाए। अगर चीन के माल का विरोध करना ही है तो ऐसा करने जा रहे उन लोगों से गुज़ारिश है कि चीन माल बेच रहे दुकानदारों को घाटा न होने दें।उनसे माल ख़रीदें और फिर होलिका जला दें।जिन लोगों से आप माल लेकर आये हैं,उनका तो काम हो गया है।उन्हें तो पैसा मिल गया है। राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी हर कमियों को ढँकने वाले ये लोग कैसे आपकी पेट पर लात मार सकते हैं? सरकार ने चीन से कारोबार करने के लिए बहुत सी नीतियाँ बनाई होंगी। क्या वे सब भी रद्द की जा रही हैं?
सावधान रहियेगा। चीन के नाम पर आपका घर जलाया जा रहा है। अमरीका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिरा कर लाखों लोगों को मार दिया था। वही जापान आज अमरीका को ट्योटा कार बेच रहा है। पाकिस्तान से अभी तक बाकी कारोबार चल ही रहा है। उसके रद्द होने का औपचारिक एलान नहीं हुआ है तो चीन के माल के बहिष्कार क्यों हो रहा है?
इसलिए जो ग़रीब हैं वो यह समझें कि कुछ लोग राष्ट्रवाद के नाम पर वीडियो गेम खेल रहे हैं।आपकी आवाज़ वैसे ही मीडिया से बेदख़ल कर दी गई है।अब आपको पटरी से भी ग़ायब करने के लिए कभी चीन तो कभी पाकिस्तान के माल के विरोध का शिगूफ़ा छोड़ा जा रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति होना पहले से तय था. हर राजनीतिक पार्टी इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करेगी. भाजपा चुकी सत्तारूढ़ पार्टी है तो इसे इसका लाभ भी सबसे ज्यादा मिलेगा. बहरहाल चुनाव में इसे भुनाने की तैयारी शुरू हो गयी है और पोस्टर बैनर में सैनिकों की तस्वीर डालकर शहादत की कीमत राजनेता उठाने में लग गए हैं. इसी कड़ी में उत्तरप्रदेश में लगे एक पोस्टर पर दलित चिंतक फेसबुक एक्टिविस्ट दिलीप मंडल लिखते हैं –
दिलीप मंडल
स्टेटस1- यूपी में बीजेपी के चुनावी बैनर पोस्टर में सैनिक की फ़ोटो लगाए जाने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है। सेना को राजनीति में घसीटना, क्या यह देशद्रोही गतिविधि नहीं। इस बैनर के नीचे कांग्रेस का पोस्टर भी नज़र आ रहा है। उसमें सैनिक नहीं हैं।
भाजपा के पोस्टर पर सैनिक
स्टेटस1- सैनिक शहीद हो रहे हैं और बीजेपी को “कैश” कराने की चिंता है. दैनिक भास्कर, 3 अक्टूबर, जालंधर संस्करण, पेज – 4. बीजेपी के नेताओं ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक को अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा “कैश” कराएं. कैश कराने का मतलब समझ रहे हैं आप?
कुछ वर्ष पहले राजदीप सरदेसाई के CNN-IBN चैनल को भारत के शीर्ष अंग्रेजी चैनलों में गिना जाता था।राजदीप की बेहतरीन एंकरिंग के सभी मुरीद थे।मेरे पिता जी भी उनकी एंकरिंग के बड़े प्रशंसक थे।वे राजदीप के ऐसे मुरीद थे कि यदि कभी तकनीकी खराबी के कारण उनका चैनल नहीं आता तो मुझपर भड़क जाते थे। लेकिन अचानक राजदीप के हाथ से चैनल निकल गया और एक बेजोड़ एंकर को क्रांतिकारी चैनल में नौकरी पर मजबूर होना पड़ा।
अर्नब गोस्वामी पर विरोधियों का सर्जिकल स्ट्राइक
दूसरी तरफ बरखा दत्त अपने ओज हीन हो चुके पत्रकारिता करियर के साथ वही घिसीपिटी ख़बरें दे रही थी. और उनके ,देशविरोधी कृत्यो से लोग तंग आ चुके थे। ठीक उसी वक्त टाइम्स नाऊ के स्क्रीन पर अर्नब गोस्वामी नाम के सितारे का उदय हुआ और दर्शको को एक तेजतर्रार युवा एंकर मिल गया । अर्नब ने अपनी खास पहचान बनाई जिसकी बदौलत जल्दी ही उन्होंने अंग्रेजी न्यूज़ चैनल में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। उनके प्राइम टाइम न्यूज़आवर को रवीश, पुण्यप्रसून,बरखा दत्त,राजदीप से भी अधिक लोकप्रियता मिली। लोग कहने लगे न्यूज़आवर नहीं देखा तो क्या देखा. उनकी ख्याति देश-विदेश तक फैल गयी. पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू ने उन्हें और बुलंदी पर पहुँचाया।
बरखा दत्त
उरी हमले के बाद उनकी लगातार प्रसारित राष्ट्रवादी डिबेट को जबरदस्त लोकप्रियता मिली। इससे कुछ वामपंथी, बुद्धिजीवी एवं खास पार्टी के लोग बौखला गए। उन्होंने ट्विटर,फेसबुक,अखबारो में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ चारों दिशाओ में सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। इतना ही नहीं एक वामपंथी संपादक और गुप्त रूप से घोषित नेता अपने सहयोगियों के प्राइम टाइम का बायकाट करके अर्नब गोस्वामी के न्यूज़ आवर में सिर खपाते अक्सर मिलते है।लेकिन कहते हैं न कि हमारे सबसे बड़े विरोधी ही हमारे सबसे बड़े सहयोगी होते हैं। मसलन नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में कांग्रेस का बड़ा योगदान है और कांग्रेस ही बीजेपी के कॉंग्रेसमुक्त अभियान की सबसे बड़ी सहयोगी बनी। क्या ठीक उसी तरह विरोधियों का अर्नब गोस्वामी पर सर्जिकल स्ट्राइक अर्नब को और ऊँचाइयों पर ले जाएगा.