Home Blog Page 242

रवीश जी एनडीटीवी के होते प्रोपगेंडा चैनल की क्या जरूरत ?

रवीश कुमार,संपादक,एनडीटीवी इंडिया
रवीश कुमार,संपादक,एनडीटीवी इंडिया

ओम प्रकाश

punya-prasun-propgendaये महज संयोग है कि प्रोपेगैंडा चैनल पर जिस दिन रवीश कुमार ने प्रोपेगैंडा लेखन किया, ठीक उसी दिन आजतक पर अपने रोजाना कार्यक्रम ‘दस दिन’ में पुण्य प्रसून बाजपेयी ने कश्मीर के संदर्भ में चल रहे प्रोपेगैंडा वॉर के संदर्भ में उसे वैश्विक प्रोपेगैंडा से जोड़ते हुए बड़े मार्के की बात कही. उन्होंने राष्ट्र के संदर्भ में कहा – युद्ध होता है तो प्रोपगेंडा वॉर सबसे अधिक कारगर हथियार होता है और जो काम सामरिक हथियारों से नहीं हो सकता, वो प्रोपगेंडा से हो जाता है. इस संदर्भ में उन्होंने अर्जेंटीना और ब्रिटेन के बीच के प्रोपगेंडा युद्ध की घटना और ब्रिटिश प्रोपगेंडा का शिकार होकर अर्जेंटीना की हार की दास्तान भी विस्तार से बताई.फिर ‘आजतक’ जैसे जंगी खबरिया बेड़े’ में खड़े होकर ‘भारत हमको जान से प्यारा’ गीत भी सुनाया.गौरतलब है कि आज ‘दसतक’ का वॉल भी देशभक्ति के रंग में रंगा था और लिखा था – “भारत हमको जान से प्यारा “.कुल मिलाकर यह एक मुकम्मल खबर थी, कोई प्रोपेगैंडा नहीं.



चीन प्रेम में रवीश कुमार का प्रोपेगेंडा
चीन प्रेम में रवीश कुमार का प्रोपेगेंडा

बहरहाल रवीश कुमार के ‘प्रोपेगैंडा’ पर वापस आते हैं जिसमें वे दिनों-दिन दक्ष होते जा रहे हैं.लगता है कि न्यूज़रूम की ठंढक उन्हें रास आ गयी है तो वहां टिके रहने के लिए प्रोपेगैंडा चैनल का आइडिया देकर वे प्रोपेगैंडा कर रहे हैं.अलग लिखने और दिखने की चाहत में हमेशा की तरह वे आज अपने ब्लॉग पर प्रोपेगैंडा चैनल का आइडिया लेकर आए. उन्होंने लिखा – “आवश्यकता है एक प्रोपेगैंडा चैनल की। भारत में माडिया प्रोपेगैंडा का हथियार बन गया है।शेयर बाज़ार के विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि प्रोपेगैंडा का बहुत बड़ा बाज़ार है।बड़ी संख्या में चैनलों को प्रोपेगैंडा मशीन में बदलने के बाद भी बाज़ार का पेट नहीं भरा है।इसलिए युवाओं को आगे आकर प्रोपेगैंडा के क्षेत्र में स्टार्ट अप करना चाहिए।बल्कि बहुत से लोग स्टार्ट अप कर भी रहे हैं।फेक आईडी से लोगों को गाली देना,धमकाना ये सब उसी के तहत आता है।इन सबको देखते हुए एक और नए प्रोपेगैंडा चैनल की आवश्यकता है।”

लेकिन उनकी लिखी लाइनों को पढकर यही ख्याल आया कि भारत में किसी और ‘प्रोपेगैंडा चैनल’ की क्या आवश्यकता है जब आपके पास एनडीटीवी है और एनडीटीवी के पास आप जैसा मंजा एंकर जो कहीं भी किसी भी समय आर्डर करते ही बिरयानी तैयार कर सकता है. ऐसे में एनडीटीवी के होते प्रोपगेंडा चैनल की क्या जरूरत है रवीश कुमार? चलेगा नहीं. वैसे आप अपनी ही दूकान बंद करवाने पर क्यों तुले हैं. कीजिये न इस दिवाली चीन का प्रोपेगैंडा.लाल सलाम.

(लेखक कॉरपोरेट वर्ल्ड से जुड़े हैं और रवीश कुमार के प्रशंसक हैं)


यहाँ पढ़िए प्रोपेगैंडा चैनल पर रवीश कुमार का लेख : (साभार)

आवश्यकता है एक प्रोपेगैंडा चैनल की। भारत में माडिया प्रोपेगैंडा का हथियार बन गया है।शेयर बाज़ार के विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि प्रोपेगैंडा का बहुत बड़ा बाज़ार है।बड़ी संख्या में चैनलों को प्रोपेगैंडा मशीन में बदलने के बाद भी बाज़ार का पेट नहीं भरा है।इसलिए युवाओं को आगे आकर प्रोपेगैंडा के क्षेत्र में स्टार्ट अप करना चाहिए।बल्कि बहुत से लोग स्टार्ट अप कर भी रहे हैं।फेक आईडी से लोगों को गाली देना,धमकाना ये सब उसी के तहत आता है।इन सबको देखते हुए एक और नए प्रोपेगैंडा चैनल की आवश्यकता है।

प्रोपेगैंडा चैनल का संक्षिप्त और क्यूट नाम प्रोचै होगा। प्रोचै का लक्ष्य होगा सरकार विरोधी सवालों को ख़त्म करना। राष्ट्रवाद और सेना के सम्मान के नाम पर सवाल पूछने से डराना। प्रोचै का संपादक प्रकृति से निर्लज्ज होना चाहिए। उसका काम गाली देना होगा न कि गाली खाने से विचलित होना होगा।

प्रोचै विपक्ष विरोधी पत्रकारिता को नई धार देगा। व्यवस्था विरोधी पत्रकारिता को ही श्रेष्ठ समझने की प्रवृत्ति समाप्त की जाएगी। पुलित्ज़र जैसे पुरस्कार अब तक समाज और सरकार की व्यवस्था से लड़ने वाली ख़बरों को दिये जाते थे।लेकिन प्रोचै विपक्ष विरोधी पत्रकारिता को सम्मानित करवायेगा।बहुत दिनों बाद व्यवस्था के साथ खुलकर खड़े होने की पत्रकारिता ने ज़ोर पकड़ा है।दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ।भारत में ऐसा जमकर हो रहा है।

मीडिया और सरकार इतने करीब आ चुके हैं कि आप मीडिया की आलोचना करेंगे तो लोग आपको सरकार विरोधी समझ लेंगे। भारत की जनता को भी इसका श्रेय देना चाहिए। भारत की जनता भी पहली बार व्यवस्था समर्थक पत्रकारिता का साथ दे रही है। जनता भी पत्रकारिता के इस पतन पर ख़ामोश है। वो रोज़ ये तमाशा देख रही है लेकिन उसे पता ही नहीं कि वह इस तमाशे का हिस्सा बन चुकी है।

इसलिए युवा पत्रकारों यही सही समय है। पूरी निर्लज्जता के साथ व्यवस्था समर्थक हो जाएँ। जो टीचर पत्रकारिता के सिद्धांत बताये उनसे कहिये कि मौजूदा संपादकों पत्रकारों से होड़ करते हुए हम युवा पत्रकार कैसे चाटुकार बन पायेंगे, कृपया हमें ये पढ़ायें । व्यवस्था समर्थक होने के गुर जल्दी सीख लें। यह एक बेहतर समय है पत्रकारिता में काला धन को सफेद करने का। जल्दी लाभ उठाइये।आप देखेंगे कि आपका संपादक भी आपसे डरेगा। रोज़ रोज़ स्टोरी फ़ाइल करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। दफ़्तर आने की भी जरूरत नहीं होगी।

व्यवस्था समर्थक पत्रकारिता का यह स्वर्ण युग है। जब पब्लिक व्यवस्था विरोधी पत्रकारिता को देशद्रोही बताने के खेल में शामिल हो जाए तो समझिये वो आपके लिए शानदार मौका बना रही है। जनसरोकार की पत्रकारिता को आप जनसरकार की पत्रकारिता समझिये। जो मिलता है ले लीजिये। जब जनता पत्रकार को दगा दे तो पत्रकार को भी जनता का ख़्याल छोड़ देना चाहिए। सवालबंदी के खेल में सब शामिल हैं। प्रोचै का पत्रकार खुलकर कलमबंदी करेगा।

प्रोचै देश भर में विपक्ष विरोधी पत्रकारिता को प्रतिष्ठित करेगा।विपक्ष को लेकर सवाल करना होगा। विपक्ष नहीं होगा तब भी इधर उधर से विपक्ष खड़ा करना होगा ताकि उसे गरिया गरिया कर अधमरा किया जाए और सरकार महान सरकार महान का जाप किया जाए। विपक्ष विरोधी पत्रकारिता का मूल सूत्र यह है कि हर समय एक ऐसे शत्रु को खड़ा करना जिसके मुक़ाबले सरकार को महान बताते रहने का प्रपंच चलता रहे। रोज़ ऐसे शत्रु को गढ़ना ही होगा।

व्यवस्था विरोधी पत्रकारिता का साहस अब पत्रकारिता संस्थानों में नहीं रहा। बहुत कम है। जहाँ कम है वहाँ भी तरीके से महान वृतांत यानी ग्रैंड नैरेटिव का ही प्रचार हो रहा है। सरकार की बड़ी कमियों को उजागर करने का काम बंद हो गया है। पूरे भारत में इसी तरह की पत्रकारिता हो गई है। राज्यों में भी पत्रकारिता का यही हाल है। खास उद्योगपति और ख़ास नेता पर सवाल बंद हो गया है।

लिहाज़ा निरीह पत्रकार अपना जीवन दाँव पर न लगायें।नियमित गुटखा खायें ताकि आगे चलकर कैंसर से मौत हो। कैंसर से मरने पर किसी को पता नहीं चलेगा कि पत्रकार ज़मीर से ही मर चुका था। आप सरकार और पत्रकारिता संस्थानों के इस गठजोड़ से नहीं लड़ पायेंगे। लड़ना बेकार है क्योंकि जनता भी व्यवस्था समर्थक पत्रकारिता की सराहना करती है। जब उसी का ईमान और ग़ैरत नहीं है तो युवा पत्रकारों तुम अपना ईमान किसके लिए बचाओगे। इसलिए जमकर दलाली करो।

इसलिए प्रोचै में आइये। भारत का अकेला चैनल जो एलानिया प्रोपेगैंडा करेगा। तरफ़दारी के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर देगा। चाटुकारिता ही नई नैतिकता है। प्रोचै एक समय में ही एक ही सरकार का प्रोपेगैंडा करेगा। जब वह बदल जाएगी तभी दूसरी सरकार का प्रोपेगैंडा करेगा।

दुनिया भर की पत्रकारिता अब ऐसी ही होती जा रही है। प्रोचै का एंकर बिजली का करंट लेकर बैठेगा। विरोधी दल या विचार के प्रवक्ताओं के गरदन में झटका देगा। यह भी देखा गया है कि गाली खा खाकर लोग चैनलों में आ रहे है। यक़ीन रखिये ये लोग बिजली का झटका भी खाने आयेंगे। एंकर अब चीख़ेगा चिल्लायेगा नहीं बल्कि सेट पर उसके साथ तगड़े बाउंसर होंगे जो विरोधी दल या विचार को वहीं पर लाइव पटक पटक कर मारेंगे और लोग फिर वहाँ पटकाने के लिए आयेंगे। एंकर सिर्फ इशारा करेगा।

प्रोचै आज की आवश्यकता है।प्रोचै का एक ही मोटो है।विपक्ष नहीं सिर्फ एक पक्ष।सवाल नहीं गुणगान।प्रोचै में हर शनिवार पत्रकारिता का मृत्यु भोज होगा।हर हफ्ते श्राद्ध होगा ताकि अगले हफ्ते के लिए प्रोचै नए जीवन के लिए तैयार रहे।बड़ी संख्या में ऐसे पत्रकार चाहिए जो प्रोचै के योद्धा बन सकें।नव पत्रकार जो पैसे देकर पढ़ रहे हैं।अपने माँ बाप को उल्लू बना रहे हैं,उन मूर्खों को पता ही नहीं कि वे ख़ुद उल्लू बन चुके है।हा हा हा हा।तुम मारे जा चुके हो नवोदित,तुम्हारी धड़कनें किसी के पास उधार हैं।तुम प्रोपेगैंडा करो।प्रोपेगैंडा ही मुक्ति है।नवोदित पत्रकारों तुम्हारी नियति तय है।प्रोचै है तुम्हारी नियति।प्रोचै में वही टिकेगा जो दिल से राष्ट्रवादी होगा। वो आगे चलकर प्रोचैवादी कहलाएगा।

चौधरी साहब,प्लीज हिन्दुस्तानी दर्शकों को शर्मिंदा मत कीजिये

चौधरी साहब हिन्दुस्तानी दर्शकों को क्यों शर्मिंदा करते हैं?
चौधरी साहब हिन्दुस्तानी दर्शकों को क्यों शर्मिंदा करते हैं?

चौधरी साहब हिन्दुस्तानी दर्शकों को क्यों शर्मिंदा करते हैं?
चौधरी साहब हिन्दुस्तानी दर्शकों को क्यों शर्मिंदा करते हैं?
ज़ी न्यूज़ पर घंटे भर यदि राष्ट्रभक्ति का ‘डीएनए’ आपने देख लिया तो आप इतने जोश में आ जाएंगे कि उस वक्त पाकिस्तान आपके सामने आ जाए तो आप उसका मुंह तोड़ देंगे. यकीन मानिए हम ये बाते सुधीर चौधरी पर व्यंग्य करने के इरादे से नहीं कह रहे. बल्कि हकीकत बयान कर रहे हैं. राष्ट्रभक्त ख़बरों का ही असर रहा कि पाकिस्तान की सरपरस्ती में आतंक की दुकान चला रहे हाफ़िज़ सईद ने ज़ी न्यूज़ का बाकायदा नाम लिया और सर्जिकल स्ट्राइक की धमकी दी. उसके बाद ज़ी न्यूज़ ने हाफ़िज़ सईद के वीडियो को जी भर के चलाया और अपने दर्शकों को बताया कि ज़ी न्यूज़ की ख़बरों से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. बात सच भी है और यही वजह है कि ज़ी न्यूज़ के एंकर के रिकॉर्डेड फूटेज पाकिस्तानी न्यूज़ चैनलों पर शिकायती अंदाज़ में लगातार चल रहे हैं.


लब्बोलुआब ये है कि हिंदुस्तान के अलावा पाकिस्तान में ज़ी न्यूज़ बेहद लोकप्रिय/कुख्यात हो गया(अपने हिसाब से शब्द का चयन कर लें) है और इसकी उदघोषणा ज़ी न्यूज़ पर बिगुल बजाकर सुधीर चौधरी अपने कार्यक्रम ‘डीएनए’ में अक्सर करते रहते हैं.लेकिन सोशल मीडिया पर आते ही मामला उलट दिखता है. वही सुधीर चौधरी जो ज़ी न्यूज़ पर हाफ़िज़ सईद को ललकारते हुए दावे से कहते हैं कि हम जानते हैं कि तुम अभी ज़ी न्यूज़ देख रहे हो, सोशल मीडिया पर गाँव-जवार में ज़ी न्यूज़ देखते हुए लोगों की तस्वीर लगाते रहते हैं.किसी ने भी ज़ी न्यूज़ देखते हुए तस्वीर भेजी या सुधीर के हाथ लगी तो उसे फ़ौरन जनाब शान से ट्विटर पर लगाकर ज़ी न्यूज़ की बढ़ती लोकप्रियता का मानो सबूत पेश करते हैं. लेकिन चौधरी साहब सबूत पेश करके आप हम दर्शकों को शर्मिंदा क्यों करते हैं? आपका सिक्का तो हाफ़िज़ सईद तक चलता है. प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? प्लीज हिन्दुस्तानी दर्शकों को शर्मिंदा मत कीजिये.

आपका एक दर्शक

चंदन



बड़े स्क्रीन पर ज़ी न्यूज़ को गाँव में देखते दर्शक
बड़े स्क्रीन पर ज़ी न्यूज़ को गाँव में देखते दर्शक

सरकार को सबूत देने में दिक्कत है न्यूज़ चैनलों को नहीं

सरकार को सबूत देने में दिक्कत है न्यूज़ चैनलों को नहीं
सरकार को सबूत देने में दिक्कत है न्यूज़ चैनलों को नहीं

zee-news-surgical-strikeहिन्दुस्तान और पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक पर हंगामा मचा हुआ है.दोनों देश के न्यूज़ चैनल आपस में भिड़े हुए है.दोनों एक दूसरे को झूठा साबित करना चाहते हैं और एक – दूसरे की ख़बरों को रामलीला की कहानी बता रहे हैं. इन सब के बीच सियासतदान अपनी सियासत करने में मशगूल हैं और हर कोई जलते अलाव के बूझने से पहले अपनी सियासत की ज्यादा-से-ज्यादा रोटी सेंक लेना चाहता है.


पाकिस्तानी चैनलों के लहजे में पराये तो पराये अपने भी भारत सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं.इन अपनों में अरविंद केजरीवाल, पी.चिदंबरम और संजय निरुपम के नाम सबसे ऊपर है. पाकिस्तानी चैनलों के साथ सुर में सुर मिलाकर ये सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं.अब ये बात अलग है कि यदि सरकार ने दबाव में आकर प्रमाण दे दिया तो यही लोग कहेंगे कि कितनी बेवकूफ सरकार है, कहीं ऐसी चीजों को बेपर्दा किया जाता है.

बहरहाल सरकार तो सबूत नहीं दे रही मगर भारतीय चैनल कहाँ मानने वाले हैं. सो सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत को लेकर ख़बरों की झमाझम बारिश हो रही है. ज़ी न्यूज़ तो सबूत देने की बात भी कह रहा है. यानी सरकार को सबूत देने में दिक्कत है चैनलों को नहीं। ये बात और है कि सबूतों के नाम पर सिर्फ लफ्फाजी ही देखने को मिलेगी. असल अखबार तो इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबार ही देते हैं. इतिश्री.



Surgical Strike की प्रमाणिकता पर Indian Express की मुहर

पाकिस्तानी चैनलों पर रामलीला
पाकिस्तानी चैनलों पर रामलीला
सर्जिकल स्ट्राइक पर इंडियन एक्सप्रेस
सर्जिकल स्ट्राइक पर इंडियन एक्सप्रेस

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान तो पाकिस्तान हिन्दुस्तान में भी हंगामा बरपा हुआ है.सरकार के इशारे पर पकिस्तान की मीडिया का एकसूत्रीय एजेंडा सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी साबित करना है और पाकिस्तानी मीडिया इस काम में दिलो जान से लगी हुई है.

लेकिन पाकिस्तान के अलावा भारत में भी कुछ नेता,पत्रकार और बुद्धिजीवियों का ऐसा वर्ग है जो अपनी राजनीति के चक्कर में सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी साबित करने पर जुटा है और इस संबंध में लगातार बयानबाजी हो रही है जिसे पाकिस्तान के चैनल हाथो हाथ ले अपने यहाँ चला रहे हैं.

लेकिन ऐसे लोगों के लिए उनका चहेता अखबार इंडियन एक्सप्रेस बुरी खबर लेकर आया है. इंडियन एक्सप्रेस ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से खबर दी है कि नियंत्रण रेखा के पार 29 सितंबर तड़के की गई कार्रवाई में मारे गए लोगों के शवों को ट्रक में भरकर ले जाया गया और बाद में गुप्त तरीके से दफनाया गया. उसके पहले जिहादियों के ठिकानों पर ज़बरदस्त गोलीबारी हुई थी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर –
Surgical strikes: Bodies taken away on trucks, loud explosions, eyewitnesses give graphic details

Eyewitnesses living across the Line of Control (LoC) have provided The Indian Express with graphic accounts of last week’s Indian Army special forces strikes on jihadists’ staging posts, describing how bodies of those killed in clashes before dawn on September 29 were loaded onto trucks for secret burials. The eyewitnesses also described brief but intense fire engagements that destroyed makeshift buildings that housed jihadists before they left for the last stage of their journeys across the LoC.
Their accounts corroborate India’s claims that it carried out strikes against terror launch pads — a claim Pakistan has denied, saying, instead, that its military’s forward positions were targeted with small-arms and mortar fire.
पूरी खबर पढ़ने के लिए लिंक चटकाएं. http://indianexpress.com/article/india/india-news-india/pakistan-border-terror-camps-surgical-strikes-kashmir-loc-indian-army-jihadist-3065975/

इंडिया टीवी ने किया कश्मीर में हुर्रियत की गुंडागर्दी का पर्दाफाश

कश्मीर पर इंडिया टीवी की पड़ताल
कश्मीर पर इंडिया टीवी की पड़ताल

कश्मीर पर इंडिया टीवी की पड़ताल
कश्मीर पर इंडिया टीवी की पड़ताल
कश्मीर में लंबे समय से चीजें ठीक नहीं. पाकिस्तान की शह पर तनाव चरम पर है और इसमें हुर्रियत जैसे अलगाववादी संगठनों की बहुत बड़ी भूमिका है. इसी का जायजा लेने के लिए इंडिया टीवी के तेज तर्रार पत्रकार अभिषेक उपाध्याय कश्मीर गए तो कश्मीरी युवाओं ने जो सच बताया वो होश फाख्ता करने वाला है. खुद अभिषेक उपाध्याय अपनी स्टोरी का ब्यौरा देते हुए लिखते हैं –

“पत्थर बाज़ी के गढ़ में तब्दील हो चुके श्रीनगर के ‘डाउन टाउन’ में कश्मीरी लड़के हमे पहचान कर रोकते हैं। अपने घर ले जाते हैं और वो बयां करते हैं जो होश फ़ाख्ता कर दे। खुद के पेट्रोल बम का औज़ार बनाने से लेकर। अलगाववादियों की सनक के हाथों बर्बाद होने की पूरी दास्ताँ। ये भी पूछते हैं, “आपने उस बड़े अलगाववादी नेता की कोठी देखी है? कितने करोड़ की है? और हाँ, राज्य और केंद्र सरकार ने क्या ‘करम’ किया उनके साथ, ये भी सुनिएगा। सोचने का बहुत सामान देता है, ये दर्दे बयां।”

दूसरी तरफ इंडिया टीवी के प्रबंध संपादक अजीत अंजुम पूरी स्टोरी का ब्यौरा पेश करते हुए लिखते हैं –

हुर्रियत कैसे कश्मीर के युवाओं को बना रहा है देश का दुश्मन ? उन्हें बम फेंकने और मरने -मारने को को कैसे मजबूर कर रहे हैं पाक परस्त अलगाववादी ?
हुर्रियत की देश विरोधी साज़िशों का कश्मीरी युवाओं ने किया ख़ुलासा ( पार्ट – 1 )
–////————
श्रीनगर के पत्थरबाज़ी के गढ़ ‘डाउन टाउन’ के कश्मीरी लड़कों का कैमरे पर चौकाने वाला खुलासा–
कश्मीर में इंडिया टीवी के लिए रिपोर्टिंग कर रहे अभिषेक उपाध्याय को दो लडकों ने पहचाना …खुद अपने पास बुलाया…घर ले गए और बात की
“हमे पेट्रोल बम बनने पर मजबूर करते हैं..
आर्मी और CRPF कैंप में अटैक करने को कहते हैं…
हुर्रियत के लोगों ने जीना दुश्वार कर रखा है।
इनके बन्द के चलते हमारा धंधा रोज़गार सब तबाह हो गया है।
इनके अपने बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं।
आपने गिलानी की कोठी देखी है? बताइये कितने करोड़ की है वो? और हमारा हाल देखिए।
यही लोग पाकिस्तान के झंडे लहरवाते हैं।
इंडिया की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पत्थरबाज़ी में काफी कमी आई है।
इनकी फंडिंग पर असर पड़ा है।
मैंने BCom किया है। कुछ करना चाहता हूँ। पर ये मजबूर करते हैं।
और भी बहुत सी बातें….
डाउन टाउन के नौहाटा इलाके के दो कश्मीरी लड़कों ने हमसे बात की।”

सोशल मीडिया पर मीडिया खबर

665,311FansLike
4,058FollowersFollow
3,000SubscribersSubscribe

नयी ख़बरें