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परमाणु बम बनाने वाले शख्स की सरलता तो देखिये

भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद
भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद




भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद
भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद

इस तस्वीर को देखकर नही लगता ये नीली शर्ट वाला पांच वक़्त का नमाज़ी था. तस्वीर से ये भी नही लगता कि इस व्यक्ति ने देश को परमाणु शक्ति बनाया था. ये तस्वीर ये भी नही बताती ये व्यक्ति देश का राष्ट्रपति था.

इसलिए कलाम साहब हम आपको अपने पिता समान मानते हैं.
आप साथ हो ना हों या जहाँ भी हों
जन्मदिन मुबारक.

(इंडिया संवाद के संपादक दीपक शर्मा के वॉल से)




पाकिस्तानी टीवी चैनल पर तीन तलाक पर बहस के दौरान हंसी के ठहाके

(संजय तिवारी,पत्रकार)-

MK-300-X-250इसी साल की बात है। पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर बहस हो रही थी। बहस का मुद्दा था तीन तलाक। वह महिला जो तीन तलाक का शिकार हुई थी वह फोन लाइन पर थी और एक मौलवी साहब भी फोन लाइन पर ही थे। मुद्दा यह था कि तीन तलाक के बाद पति पत्नी दोबारा से साथ रहना चाहते थे लेकिन स्थानीय काजी इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। वह कह रहा था कि बिना हलाला के अब दोनों साथ नहीं रह सकते। जबकि पति पत्नी का तर्क था कि पति को अपनी गलती का अहसास हो गया है और अब वह अपनी पत्नी के साथ रहना चाहता है।

मुद्दा टीवी तक पहुंचा तो कई विशेषज्ञ बैठकर सुलझाने लगे। सब काजी के हलाला वाले फैसले को गलत बता रहे थे। अगर पति पत्नी दोबारा साथ रहना चाहते हैं तो उनका आपस का मसला है, वे रहें। लेकिन फोन लाइन पर मौजूद मौलवी साहब इसे गैर इस्लामिक करार दे रहे थे। जब स्टूडियो में बैठे एंकर ने कहा कि मौलवी साहब यह बेचारी उस काजी के साथ हलाला नहीं कराना चाहती तो क्या कोई रास्ता नहीं है? मौलवी ने कहा कि नहीं, बिना हलाला के दोबारा साथ रहने का कोई रास्ता नहीं है। अगर उन्हें काजी से कोई दिक्कत है तो मैं जैसे ही पाकिस्तान आऊंगा ये मोहतरमा मुझसे मिल सकती हैं।

मौलवी के इतना कहते ही सारे स्टूडियो में ठहाका लगा। सबने मौलवी का खूब मजाक उड़ाया। असल में तीन तलाक के पीछे असली कहानी यहीं छिपी है हलाला में। मुल्ला मौलवी काजी तीन तलाक को किसी भी सूरत में खत्म नहीं होने देना चाहते क्योंकि इसके पीछे हलाला का बड़ा खेल चलता है। अक्सर गुस्से में अगर किसी पति ने पत्नी को तलाक दे दिया और बाद में गुस्सा शांत होने पर उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो दोनों के बीच में शरीया आकर खड़ा हो जाता है। अब अगर दोनों साथ रहना चाहते हैं तो पहले उस महिला का दूसरा निकाह हो, वह किसी दूसरे मर्द के साथ कम से कम एक रात गुजारे, फिर वह मर्द उसे तलाक दे तो फिर दोबारा वह अपने पहले पति के साथ रह सकती है।

इस अमानवीय और जाहिलाना व्यवस्था में वैकल्पिक मर्द की भूमिका अक्सर मौलवी या काजी ही निभाते हैं और एक रात के शौहर बनकर अगले दिन तलाक दे देते हैं। लिहाजा वे अपनी हलाला में कोई खलल नहीं चाहते इसलिए इस्लाम के नाम पर विरोध करते हैं। @fb

दहशत फ़ैलाने वालों को न्यूज़ चैनलों की शह

(सुजाता,लेक्चरर,दिल्ली विश्वविद्यालय)-

MK-300-X-250कुछ न्यूज़ चैनल्स पर जिस तरह खुले आम दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है वह देखकर भय नहीं दुःख होता है। IBN7 पर मनसे का नेता कहता है कि पाकिस्तानियों के साथ फ़िल्म बनाने वालों को पकड़ के पीट देंगे हम, गायक अभिजीत इस पर खुश होकर ताली बजाता है और यही दोहराता है,शहज़ाद पूनीवाला अकेला पड़ गया है तर्क करते, उसको जानबूझ कर शहज़ाद कराचीवाला कहा जा रहा है और एंकर चुप है …

वृन्दावन में नास्तिकों का सम्मिलन रद्द करा दिया जाता है, भक्तों की गुंडागर्दी है … टीवी पर इसकी कोई न्यूज़ नहीं है… किसी माता के जागरण में ऐसा होते देखा है? रात- दिन भजन कीर्तन बजता है तो हम वोल्यूम भी कम नहीं करा सकते।

ट्रिपल तलाक भी, एक चैनल पर, पाकिस्तान की साजिश है और उस पर बहस करते करते लोग एक दूसरे को पाकिस्तान भेज रहे हैं … एक कहता है यहाँ रहना हो तो यहाँ के क़ानून के हिसाब से रहो…
यहाँ देश (प्रेम /द्रोह) क़ानून और धर्म की ठेकेदारी की नई व्यवस्था लागू हुई है मानो… देश एक सामंती पिता हो गया है कि मेरे हिसाब से रहो वरना सज़ा भुगतो या दफ़ा हो जाओ !

मैं नास्तिक ही हूँ ठीक- ठीक कह नहीं सकती, नियति में एक विशवास रहा, लेकिन जैसे अपने यहाँ आस्तिक हैं ऐसी तो एकदम नहीं हूँ। मुझे कोई कन्फ्यूज़न नहीं। अपनी जगह चुननी हो तो भक्तों की मंडली में नहीं नास्तिकों के सम्मेलन में ही पाई जाऊँगी। किसी के भी इस इस चुनाव का सम्मान न किया जाना अपने मत का खौफ फैलाना अलोकतांत्रिक है, निंद्य है, गुंडागर्दी है। @fb

पत्रकार आलोक श्रीवास्तव का एल्बम – वीडियो

आलोक श्रीवास्तव







पत्रकारों को लेकर अद्भुत हिप्पोक्रेसी है मित्रों

नरेंद्र नाथ

नरेंद्र नाथ,पत्रकार-

पाकिस्तान के लीडिंग न्यूजपेपर डॉन के पत्रकार सिरिल अलमेडा ने एक न्यूज पेपर ब्रेक की। सरकार और सेना के बीच हुई एक संवेदनशील मीटिंग के कंटेट को सामने ला दिया।

पाकिस्तान में वहां के देशभक्तों के बीच उस रिपोर्ट को देशद्रोही एक्ट माना गया। सिरिल के पाक से बाहर जाने पर रोक लगी।

लेकिन पूरी पाक मीडिया ने रीढ़ दिखाते हुए सरकार और लोगों की देशभक्ति दलील को खारिज करते हुए सिरिल के साथ खड़े हैं।

लेकिन इनके बीच सबसे अद्भुद है कि अपने देश में वे लोग सिरिल अलमेड़ा के पक्ष में खड़े हैं जो अपने देश के पत्रकार की ओर से सरकार से पूछे जाने वाले सवाल को देशद्रोह की केटेगरी में डाल देते हें। अद्भुद हिप्पोक्रेसी है मित्रों।

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