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समाचार चैनलों का एग्जिट पोल – सच और कल्पना का अंतर

समाचार चैनलों पर चुनाव परिणाम के पहले एग्जिट पोल सर्वे बहुतायत में होते हैं. कई बार ये सर्वे सही साबित होते हैं तो कई दफे बिलकुल गलत. गुजरात चुनाव के पहले भी सभी चैनलों ने अलग – अलग संस्थानों के साथ मिलकर सर्वे करवाया. अब चुनाव परिणाम आ चुके हैं तो दौर है चुनाव परिणामों और एग्जिट पोल के तुलनाताम्क अध्ययन का. कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे जगदीश्वर चतुर्वेदी की नज़र में समाचार चैनलों का एग्जिट पोल :

1. हिमाचल के बारे में एग्जिट पोल सर्वे गलत साबित हुए हैं। इन सर्वेक्षणों में जो अनुमान भाजपा के बारे में लगाए गए थे वे सही साबित नहीं हुए हैं। मसलन सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर है। इस सर्वे में कांग्रेस को 41 फीसद और भाजपा को 40 फीसद वोट मिलने की बात कही गई है। सीटों के हिसाब से देखें तो इस सर्वे में कांग्रेस को 29-35 सीटों पर जीत दिखाई गई है तो भाजपा को भी कमोबेश इतनी ही सीटें दी गई हैं। वहीं सीवोटर्स द्वारा कराए गए सर्वे में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल करते हुए दिखाया गया है। इसमें कांग्रेस को 40 सीटों पर विजयी दिखाया गया है जबकि भाजपा के खाते में कुल 24 सीटें ही दिखाई गई हैं। वहीं सीएनएन आईबीएन के सर्वे में भी कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर होने की बात सामने आई है। इस सर्वे में कांग्रेस को कुल मतों का 41 फीसद और भाजपा को 40 फीसद मत मिलने का दावा किया गया है। न्यूज 24 के सर्वे में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दिया है। इस सर्वे में कांग्रेस को 40 सीट और भाजपा को 23 सीटें दी गई हैं। ताजा परिणाम बताते हैं कि भाजपा को 26 और कांग्रेस को 36 सीटें मिली हैं।

टाइम्स नाउ पर गुजरात का शेर हिमाचल का बकरा

vinod kapdi

नरेंद्र मोदी और भाजपा की गुजरात में जीत के बाद अंग्रेजी और हिंदी के न्यूज़ चैनलों पर लगातार विश्लेषण चल रहा है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं पर मंथन शुरू हो गया है.

आजतक के अभिसार शर्मा मोदी की जीत से इस कदर उत्साहित हो गए कि उन्हें 2014 का प्रधानमंत्री ही करार दिया. ज़ी न्यूज़ पर भी उनका महिमामंडन चल रहा है और तारीफों के पुल बंधे जा रहे हैं.

वही कुछ चैनलों पर कटाक्ष का दौर भी शुरू हो चुका है. इसी क्रम में टाइम्स नाउ पर एक मजेदार टिप्पणी आयी. टाइम्स नाउ पर पत्रकार जे.स्वामीनाथन अय्यर ने कहा कि गुजरात का शेर हिमाचल का बकरा. कलकत्ता विश्वविश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा –

नरेंद्र मोदी ज्यादा टेलीविजन देख रहे हैं – दिबांग

मीडिया पर मोदी का निशाना

मोदी मीडिया से नाराज हैं. गुजरात में जीत के बाद अपने पहले संबोधन में ही मीडिया पर मोदी ने कई बार निशाना साधा. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि टीवी पंडितों को जीत पच नहीं रही है.

टेलीविजन चैनलों पर मोदी की गुजरात में तीसरी जीत को कम कर आंकने को लेकर मोदी नाराज दिखे. इसी वजह से अपने भाषण के दौरान मीडिया को कई बार आड़े हाथ लिया.

एबीपी न्यूज़ पर वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने सुमेरा खान के पूछने पर कहा कि लगता है कि मोदी ज्यादा टेलीविजन देख रहे हैं और देख ही नहीं रहे बल्कि चुनाव विश्लेषण से उनके दिल को चोट भी पहुँच रही है.

आज तक का अंजना कश्यप छेड़खानी मामला क्या नाट्य रूपांतरण था?

anjana kashyap आजतक की मुहिम पूछता है आजतक. दस महिला पत्रकारों का जत्था. दिल्ली की सड़कों पर यहाँ – वहां और इस मुहिम के दौरान अंजना कश्यप के साथ तीन मनचलों की चुहलबाजी. आजतक ने पूरी घटना को बतौर उदाहरण पेश करते हुए इसे चैनल पर लगातार चलाया.

सहयोगी चैनल हेडलाइन्स टुडे ने भी आजतक की इस खबर के साथ खूब खेला और अपनी खबर और अपनी संवाददाता बनाकर जनता जनार्दन के सामने पेश किया. ख़ैर चलिए इसमें कोई बात नहीं. लेकिन हेडलाइन्स टुडे और आजतक के वीडियो फूटेज देखने के बाद संदेह की स्थिति पैदा हो गयी है कि अंजना कश्यप छेड़खानी मामला कहीं कोई नाट्य रूपांतरण तो नहीं था?

आप सोंच रहे होंगे कि मीडिया खबर पर ये क्या बकवास लिखा जा रहा है. लेकिन हम कोई हवाई बात नहीं कर रहे है. वीडियो फूटेज देखकर आप भी एकबारगी ऐसा ही सोंचेगे.

अंजना कश्यप असमंजस में क्यों डाल रही, अब बता भी दीजिए !

anjana om kashyap

अंजना कश्यप आजतक की प्रमुख एंकर हैं. अबतक हम यही जानते थे और शायद आप भी ऐसा ही समझते होंगे. लेकिन पिछले दो दिन से भारी असमंजस की स्थिति है.

असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई जब दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म मामले में आजतक ने दस महिला रिपोर्टरों की टीम को दिल्ली की सड़कों पर उतारा. उद्देश्य दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करना और महिलाओं की सुरक्षा के हिसाब से आंकलन करना.

ऐसी ही एक इलाके की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए अंजना कश्यप उस समय हतप्रभ रह गयी जब कुछ मनचलों ने चुहलबाजी की कोशिश की. लेकिन कैमरा देख तुरंत रफूचक्कर हो गए.

दरअसल यह किसी तरह की पत्रकारिता तो नहीं थी लेकिन चुकी ऐसे मौके पर ये घटना घटी और उसका विजुअल भी रिकॉर्ड हो गया तो आजतक ने इसे खूब दिखाया और भुनाया.

मामला संसद तक में उठ गया और एक बारगी तो दुष्कर्म मामले में पीड़ित लड़की से भी ज्यादा बड़ी खबर बन गयी. अंजना कश्यप की प्रसिद्धि में भी इजाफा हुआ.

आजतक जो पहले से ही इस खबर में आगे था, इसके बाद और ज्यादा आगे हो गया. लेकिन एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी.

असमंजस की वजह
अंजना को लेकर दो चैनलों की दावेदारी को लेकर है. आजतक की एंकर – रिपोर्टर हैं . ये तो हम जानते – मानते हैं. लेकिन उसी ग्रुप (टीवी टुडे ग्रुप) के दूसरे चैनल हेडलाइन्स की रिपोर्टर अंजना कब से बन गयी?

दरअसल अंग्रेजी चैनल हेडलाइन्स टुडे भी अपने चैनल पर वही फूटेज दिखाकर यह दावा करता नज़र आया कि हेडलाइन्स टुडे की रिपोर्टर के साथ छेड़खानी. अब बताइए कि हेडलाइन्स टुडे पर बतौर संवाददाता आपने अंजना कश्यप को कितनी बार अंग्रेजी में गिटिर – पिटिर करते देखा है?

माना कि आजतक और हेडलाइन्स टुडे एक ही ग्रुप के चैनल हैं और एक ही जगह और एक ही इन्फ्रास्ट्रकचर से चलते हैं. लेकिन दोनों के दर्शक अलग – अलग हैं. दोनों का स्क्रीन है. दोनों के चैनल हेड अलग है. ठीक उसी तरह दोनों के एंकर – रिपोर्टर भी अलग हैं. ऐसे में अंजना कश्यप के नाम पर हेडलाइन्स टुडे का अपने दर्शकों से ये छलावा करने की क्या जरूरत ?

हेडलाइन्स टुडे इस खबर को ‘सहयोगी चैनल आजतक की रिपोर्टर अंजना कश्यप के साथ रिपोर्टिंग के दौरान छेड़खानी’ कहकर भी चला सकते थे. इससे उनकी स्टोरी का प्रभाव कम नहीं होता और न दर्शक असमंजस में पड़ते कि अंजना हेडलाइन्स टुडे की संवाददाता हैं या फिर आजतक की एंकर – रिपोर्टर?

बहरहाल बात बड़ी नहीं, लेकिन इतनी छोटी भी नहीं. फर्ज कीजिये कि हेडलाइन्स टुडे की किसी रिपोर्टर के साथ ये घटना घटी होती तो क्या आजतक इसी अंदाज में खबर चला सकता था कि आजतक की रिपोर्टर के साथ छेड़खानी. मतलब कि हेडलाइन्स टुडे की रिपोर्टर को आजतक अपनी रिपोर्टर बनाकर आजतक पर पेश कर सकता था?

(एक दर्शक की नज़र से )

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