Home Blog Page 1027

14 वां आचार्य निरंजननाथ सम्मान समारोह संपन्न

राजसमन्द। आज साहित्य और राजनीति के संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत आ गई है। जहां साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतिनिधि है वहीं राजनीति संस्कृति का नुक्सान किये बगैर आगे नहीं बढ़ती। पतनशीलता के ऐसे दौर में अभिधा से काम चल ही नहीं सकता। इसीलिए जब शब्द कम पड़ने लगते हैं तब शब्दों को मारना पड़ता है ताकि नए शब्द जन्म ले सकें। उक्त विचार अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द में पुरस्कृत साहित्यकार असग़र वजाहत ने आचार्य निरंजननाथ स्मृति सेवा संस्थान तथा साहित्यिक पत्रिका ‘संबोधन’ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सम्मान समारोह में व्यक्त किये।

संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है: मनोज श्रीवास्तव

हमें संवेदना पांच ज्ञानेंद्रियों से प्राप्त होती है और हर गतिविधि की प्रेरणा संवेदना से मिलती है. पत्रकार भी संवेदना के आधार पर ही काम करते हैं. संवेदनशीलता पत्रकारिता का प्राण है. यह उद्गार मौर्य टीवी के झारखंड हेड मनोज श्रीवास्तव के हैं, जो गिरिडीह झंडा मैदान में अभिव्यक्ति फाउंडेशन के तत्वावधान में पुस्तक मेले में आयोजित ‘मीडिया और संवेदनशीलता’ विषयक परिचर्चा में व्यक्त कर रहे थे.

श्रीवास्तव ने संवेदना, संवेदनशीलता और पत्रकारिता पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि मीडिया अब नयी-नयी टेक्नोलॉजी की ओर मुखातिब होने लगा है, जिसका हिस्सा अब एक आम आदमी भी होता जा रहा है. लोगों का अब मीडिया से सीधा जुड़ाव हो गया है और यह जुड़ाव इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है. लोगों के हाथ में नयी-नयी टेक्नोलॉजी के मोबाइल, टैब आते जा रहे हैं, जो पल-पल की खबरें ब्रेक कर रहे हैं. इसलिए आने वाले समय में हर लोग पत्रकार होंगे.

क्रॉस फायर के एडिटर राकेश सिन्हा ने कहा, मीडिया संवेदनशील है. संवेदनशीलता की वजह से ही दिल्ली में दामिनी रेपकांड ने देश को उद्वेलित कर दिया और रेप जैसे मुद्दे पर बहसें हो रही हैं, नया कानून बनाने पर बात चल रही है. पत्रकार अरविंद कुमार ने कहा कि हम पत्रकारों को सिर्फ खबरें ही नहीं बनानी चाहिए, बल्कि सामाजिक सरोकार रखते हुए गरीब, जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए. कुमार ने पत्रकारों की ओर से गरीबों, जरूरतमंदों को की गयी कई मदद का उदाहरण भी पेश किया. पत्रकार विस्मय अलंकार, चुन्नूकांत व अमित राजा ने भी संवेदनशीलता पर अपनी बातें रखीं. परिचर्चा का संचालन पत्रकार आलोक रंजन कर रहे थे.

मौके पर तीन पुस्तकों दीपक वर्मा लिखित ‘लव लाइफ एंड ऑल द डॉटस’, डॉ रूपाश्री मौलिक खेतान लिखित ‘राजेंद्र यादव के उपन्यासों में नारी’, साप्ताहिक पत्रिका ‘सब का न्यूज एक्सप्रेस’ एवं हरिहर प्रसाद सिंह लिखित ‘सामाजिक जहर’ का विमोचन किया गया.

सुधीर चौधरी का कलंक धोने आया दामिनी का बॉयफ्रेंड !

zee-news-sudhir

जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी ब्लेकमेलिंग प्रकरण में अभी – अभी जेल की हवा खा कर आये हैं और आजकल फिर सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन इस बार वजह कुछ और है. आते ही स्क्रीन पर एक धमाका किया है (ऐसा जी न्यूज और सुधीर चौधरी समझते हैं). धमाका ये हुआ कि सामुहिक दुष्कर्म की शिकार होकर अपनी जान गँवा चुकी दामिनी (काल्पनिक नाम) के बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू जी न्यूज पर सुधीर चौधरी ने एक्सक्लूसिव की पट्टी के साथ दिखा दिया.

जी न्यूज से पह्ले किसी भी न्यूज़ चैनल पर इस लड़के का इंटरव्यू या बाईट तक प्रसारित नहीं हुआ था. ऐसा नहीं था कि दूसरे चैनल इस लड़के का इंटरव्यू नहीं ले सकते थे. लेकिन दिल्ली पुलिस के निर्देश, आईबी मिनिस्ट्री की एडवाइजरी और नैतिक दवाब के चलते दामिनी के बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू बाकी चैनलों ने करने की कोशिश नहीं की और थाली में परोसकर बॉयफ्रेंड का इंटरव्यू लेने के लिए जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी के लिए छोड़ दिया.

जी न्यूज से आजतक, गर्लफ्रेंड की मौत पर शोहरत की इमारत

कहना तो नहीं चाहिए, पर ऐसा लग रहा है, कि 16 दिसंबर की रात बलात्कार की शिकार हुई लड़की के दोस्त को भी अब अपने हिस्से की शोहरत और दौलत चाहिए । उसे भी चस्का लग चुका है चैनलों पर आकर इंटरव्यू देने का ।

ज़ी न्यूज़ के बाद आज ‘आज तक’ वाले उसे अपने यहां ले आए हैं, और सबसे पहले अपने चैनल पर उसका इंटरव्यू दिखाने का दावा भी कर रहे हैं । हां, आज तक ने बेहद सतर्कता दिखाते हुए उसका चेहरा छिपा दिया है, ताकि बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में वो दिल्ली पुलिस के शिकंजे में ना फंसें ।

लड़का भी ज़ी न्यूज़ में इंटरव्यू की नेट प्रैक्टिस करने के बाद पहले से ज़्यादा कांफिडेंट हो गया है और तेज़ आवाज़ में बातें करने लगा है । हां, उसके गहरी सांसें लेने का अंदाज़ अभी भी वही है । शायद उसे भी अपनी अहमियत का अंदाज़ा हो चुका है ।

देखिए उस लड़के को ‘आज तक’ पर, सुनिए उसे और फ़ैसला कीजिए, कि बलात्कार का बाज़ारीकरण तो नहीं हो रहा अब ख़बरिया चैनलों पर ? कम से कम मुझे तो ऐसा ही लग रहा है, ग़लत भी हो सकता हूं । ( Manoj Vashisth के फेसबुक वॉल से )

हमार टीवी और फोकस टीवी के पत्रकार एकजुट होकर मतंग सिंह को सिखाएंगे सबक

हमार टीवी और फोकस टीवी से नाता तोड़ चुके मीडियाकर्मियों ने चैनलों के मालिक मतंग सिंह से अपना बकाया पीएफ वसूलने के लिए एक साझा अभियान चलाने का फैसला किया है।

ग़ौरतलब है कि दोनों चैनलों के कर्मियों का पीएफ करीब साढ़े चार साल से उनकी तनख्वाह में से कट रहा था जबकि सरकार के पास कुछ ही महीनों का आधा-अधूरा पीएफ ही जमा करवाया गया है। इस बात का पता अधिकतर कर्मियों को तब चल पाया जब वे नौकरी छोड़ने के बाद अपने पीएफ का पता करने उसके दफ्तर गये।

सोशल मीडिया पर मीडिया खबर

665,311FansLike
4,058FollowersFollow
3,000SubscribersSubscribe

नयी ख़बरें