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भास्कर की माने तो आजतक पर सीधी बात प्रभु चावला पेश करते हैं

bhaskar prabhu error

मीडिया की दुनिया आगे बढ़ गयी. प्रभु चावला आगे बढ़ गए. उनका कारवाँ सीधी बात से तीखी बात तक पहुँच गया.

लेकिन भास्कर वाले अभी तक ऐसे कुम्भकर्णी नींद में सोये हुए हैं कि उन्हें दुनिया वहीं–की-वहीं दिखाई दे रही है.

भास्कर को प्रभु चावला इंडिया टुडे के संपादक और सीधी बात के एंकर दिखाई देते हैं जबकि प्रभु चावला को इंडिया टुडे ग्रुप को अलविदा कहे हुए एक जमाना हो गया.

इस दौरान ईटीवी और IBN-7 पर उनका शो चला . इधर सीधी बात को कुछ समय तक एम.जे.अकबर और उसके बाद से राहुल कँवल पेश कर रहे हैं.

लेकिन भास्कर वाले तब भी नहीं जागे और जब जागे तब ये रिपोर्ट फ़ाइल की. आप भी गौर फरमाएं. वैसे यह कम जानकारी के अलावा कॉपी – पेस्ट का भी मामला जान पड़ता है :

दीपक जी इंडिया न्यूज़ का नाम लेने में जी बहुते घबड़ा रहा है का?

दीपक चौरसिया की आप प्रशंसा कर सकते हैं या फिर आलोचना. लेकिन उन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता. अपनी बेबाकी के लिए भी वे जाने जाते हैं और इसीलिए टेलीविजन न्यूज़ के सबसे अधिक चर्चित चेहरों में उनका नाम भी शुमार है.

अभी हाल ही में उन्होंने एक मीडिया वेबसाईट को इंटरव्यू दिया तो यहाँ भी बेबाक राय देने से नहीं चूके. दीपक चौरसिया ने इंटरव्यू में कहा कि आज के समय में पत्रकार वो है जो लिखता है, दिखता है और बिकता है.

क्या मधु त्रेहान को दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लेना भी गंवारा नहीं?

Deepak Chaurasia news anchor

टेलीविजन पत्रकार दीपक चौरसिया अब रिपोर्टर नहीं रहे. एडिटर-इन-चीफ बन गए हैं. इंडिया न्यूज़ की कमान उनके हाथ में है. इसी संदर्भ में न्यूज़लॉन्ड्री नाम की एक वेबसाईट ने उनका इंटरव्यू लिया और उसे अपनी वेबसाईट पर जारी भी किया.

यह वेबसाईट मीडिया पर आधारित है और इसकी मालकिन मधु त्रेहान हैं. वेबसाईट पर हिंदी और अंग्रेजी मीडिया के दिग्गजों का इंटरव्यू भी लिया जाता है और वीडियो की शक्ल में यूट्यूब के सौजन्य से इसे पेश भी किया जाता है.

अमूमन अंग्रेजी और हिंदी के सारे इंटरव्यू अबतक मधु त्रेहान ही लेती आयी है. पुण्य प्रसून बाजपेयी और रवीश कुमार आदि का इंटरव्यू भी उन्होंने लिया. लेकिन दीपक चौरसिया का इंटरव्यू वहीं कार्यरत अभिनंदन सिकरी ने लिया. यदि ऐसा पहले से होता तो बात समझ में आती. लेकिन ये पहली दफा हुआ. इसलिए जरा खटका और सवाल खड़ा हुआ कि क्या मधु त्रेहान को दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लेना भी गंवारा नहीं?

क्या दीपक चौरसिया को अब भी मधु त्रेहान आजतक के शुरूआती दिन वाला दीपक समझती है जहाँ उनकी हैसियत मालिकान की और दीपक की हैसियत रिपोर्टर की………

वैसे इंटरव्यू की गंभीरता उसी वक्त खत्म हो जाती है जब दीपक चौरसिया और अभिनंदन सिकरी पर्सनल – पर्सनल खेलने लग जाते हैं. दीपक चौरसिया पूरे इंटरव्यू के दौरान अभिनंदन सिकरी को निक्कू – निक्कू (घरेलू नाम) नाम से पुकारते रहे हैं और इंटरव्यू का कलेवर इंटरव्यू से हटकर नितांत निजी बातचीत लगने लगी.

फिर दीपक चौरसिया बहुत ही अनौपचारिक तरीके से इंटरव्यू के लिए आये थे और इसमें उनकी गलती कम और इंटरव्यू लेने वाले की ज्यादा थी. इंटरव्यू को गंभीरता का एहसास दीपक को कराया ही नहीं गया.

पिछले साल मीडिया खबर डॉट द्वारा आयोजित एस.पी.सिंह स्मृति समारोह में दीपक आए थे तो कितने सलीके से उन्होंने ‘एस.के बाद टेलीविजन’ विषय पर अपनी बात रखी और लोगों की तालियाँ बटोरी थी.

उम्मीद करते हैं कि इंटरव्यू लेने वाले आगे इसका ख्याल रखेंगे. यदि मधु त्रेहान ने दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लिया होता तो बेहतर होता. कम -से –कम अनौपचारिकता के नाम पर ऐसा हल्कापन तो नहीं दिखता.

(लेखक पत्रकार हैं)

वनिता, गृहशोभा, मेरी सहेली वीमेंस एरा जैसी पत्रिकाएं एक कम्प्लीट शोरुम

महिला आधारित पत्रिकाओं पर मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार की तीन टिप्पणियाँ :

mag-vineeta

  • आप कहते हैं टीवी सीरियल स्त्रियों को बददिमाग और मर्दों की चाटुकार बनाकर छोड़ देते हैं. वो पुरुषों के लिए विटामिन की गोली से ज्यादा नहीं हैं लेकिन आप मुझे बताइए वनिता,गृहशोभा, मेरी सहेली और वीमेंस एरा जैसी पत्रिकाएं इससे अलग क्या करती हैं ? सरोकार की तो गोली मारिए, क्या कभी वो धंधे के लिए भी स्त्री अधिकारों के लिए सामने आएंगे जिसे कि हम मीडिया इन्डस्ट्री में कार्पोरेट गवर्नेंस कहते हैं. नहीं तो फिर आप इस पर गंभीरता से बात कीजिए न कि ये पत्रिकाएं कितनी मजबूती से देश की लाखों स्त्रियों की ऐसी माइंड सेट तैयार करते हैं जिसके अनुसार पति के लिए बिस्तर में जाने से पहले सजना, लंपट औलाद के हरेक अपमान को सहते जाना, बदमिजाज ससुर के आगे मत्था टेक देना कभी गलत नहीं लगता. आफ कहते हैं स्त्रियां विरोध क्यों नहीं करती, इन पत्रिकाओं से बनी माइंडसेट के तहत जब कुछ गलत ही नहीं लगता तो फिर विरोध किस बात का करेगी ?

सोशल मीडिया राजनीति का नया रामलीला मैदान

इंटरनेट और सोशल मीडिया का बढ़ता साम्राज्य’
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