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क्या मधु त्रेहान को दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लेना भी गंवारा नहीं?

Deepak Chaurasia news anchor

टेलीविजन पत्रकार दीपक चौरसिया अब रिपोर्टर नहीं रहे. एडिटर-इन-चीफ बन गए हैं. इंडिया न्यूज़ की कमान उनके हाथ में है. इसी संदर्भ में न्यूज़लॉन्ड्री नाम की एक वेबसाईट ने उनका इंटरव्यू लिया और उसे अपनी वेबसाईट पर जारी भी किया.

यह वेबसाईट मीडिया पर आधारित है और इसकी मालकिन मधु त्रेहान हैं. वेबसाईट पर हिंदी और अंग्रेजी मीडिया के दिग्गजों का इंटरव्यू भी लिया जाता है और वीडियो की शक्ल में यूट्यूब के सौजन्य से इसे पेश भी किया जाता है.

अमूमन अंग्रेजी और हिंदी के सारे इंटरव्यू अबतक मधु त्रेहान ही लेती आयी है. पुण्य प्रसून बाजपेयी और रवीश कुमार आदि का इंटरव्यू भी उन्होंने लिया. लेकिन दीपक चौरसिया का इंटरव्यू वहीं कार्यरत अभिनंदन सिकरी ने लिया. यदि ऐसा पहले से होता तो बात समझ में आती. लेकिन ये पहली दफा हुआ. इसलिए जरा खटका और सवाल खड़ा हुआ कि क्या मधु त्रेहान को दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लेना भी गंवारा नहीं?

क्या दीपक चौरसिया को अब भी मधु त्रेहान आजतक के शुरूआती दिन वाला दीपक समझती है जहाँ उनकी हैसियत मालिकान की और दीपक की हैसियत रिपोर्टर की………

वैसे इंटरव्यू की गंभीरता उसी वक्त खत्म हो जाती है जब दीपक चौरसिया और अभिनंदन सिकरी पर्सनल – पर्सनल खेलने लग जाते हैं. दीपक चौरसिया पूरे इंटरव्यू के दौरान अभिनंदन सिकरी को निक्कू – निक्कू (घरेलू नाम) नाम से पुकारते रहे हैं और इंटरव्यू का कलेवर इंटरव्यू से हटकर नितांत निजी बातचीत लगने लगी.

फिर दीपक चौरसिया बहुत ही अनौपचारिक तरीके से इंटरव्यू के लिए आये थे और इसमें उनकी गलती कम और इंटरव्यू लेने वाले की ज्यादा थी. इंटरव्यू को गंभीरता का एहसास दीपक को कराया ही नहीं गया.

पिछले साल मीडिया खबर डॉट द्वारा आयोजित एस.पी.सिंह स्मृति समारोह में दीपक आए थे तो कितने सलीके से उन्होंने ‘एस.के बाद टेलीविजन’ विषय पर अपनी बात रखी और लोगों की तालियाँ बटोरी थी.

उम्मीद करते हैं कि इंटरव्यू लेने वाले आगे इसका ख्याल रखेंगे. यदि मधु त्रेहान ने दीपक चौरसिया का इंटरव्यू लिया होता तो बेहतर होता. कम -से –कम अनौपचारिकता के नाम पर ऐसा हल्कापन तो नहीं दिखता.

(लेखक पत्रकार हैं)

वनिता, गृहशोभा, मेरी सहेली वीमेंस एरा जैसी पत्रिकाएं एक कम्प्लीट शोरुम

महिला आधारित पत्रिकाओं पर मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार की तीन टिप्पणियाँ :

mag-vineeta

  • आप कहते हैं टीवी सीरियल स्त्रियों को बददिमाग और मर्दों की चाटुकार बनाकर छोड़ देते हैं. वो पुरुषों के लिए विटामिन की गोली से ज्यादा नहीं हैं लेकिन आप मुझे बताइए वनिता,गृहशोभा, मेरी सहेली और वीमेंस एरा जैसी पत्रिकाएं इससे अलग क्या करती हैं ? सरोकार की तो गोली मारिए, क्या कभी वो धंधे के लिए भी स्त्री अधिकारों के लिए सामने आएंगे जिसे कि हम मीडिया इन्डस्ट्री में कार्पोरेट गवर्नेंस कहते हैं. नहीं तो फिर आप इस पर गंभीरता से बात कीजिए न कि ये पत्रिकाएं कितनी मजबूती से देश की लाखों स्त्रियों की ऐसी माइंड सेट तैयार करते हैं जिसके अनुसार पति के लिए बिस्तर में जाने से पहले सजना, लंपट औलाद के हरेक अपमान को सहते जाना, बदमिजाज ससुर के आगे मत्था टेक देना कभी गलत नहीं लगता. आफ कहते हैं स्त्रियां विरोध क्यों नहीं करती, इन पत्रिकाओं से बनी माइंडसेट के तहत जब कुछ गलत ही नहीं लगता तो फिर विरोध किस बात का करेगी ?

सोशल मीडिया राजनीति का नया रामलीला मैदान

इंटरनेट और सोशल मीडिया का बढ़ता साम्राज्य’
इंटरनेट और सोशल मीडिया का बढ़ता साम्राज्य’

एनएसडी में हाईवोल्टेज ड्रामा, वंदना को बोलने से क्यों रोक रहे थे विनीत?

nsd vandana actor

रंगकर्मी विनीत पर फॉरवर्ड प्रेस के पत्रकार को धमकाने का आरोप : गत सोमवार को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में ख्यात रंगमंच अभिनेत्री वंदना के साथ किये गये दुव्य‍वहार का मामला नये तथ्यों के आलोक में संगीन मोड लेता नजर आ रहा है। मामले की आंच टीम अन्ना की कोर कमिटी के सदस्य व रंग निर्देशक अरविंद गौड तक पहंचने लगी है। रंगमंच से जुडे लोग बताते हैं कि यह 14 साल पहले एक उदयीमान अभिनेत्री की अवहेलना और शोषण से जुडा मामला है।

इस संवाददाता ने मामले से जुडे लगभग सभी पक्षों से बात की लेकिन इन सभी की बातें इतनी विरोधाभासी और आपत्तिजनक हैं कि उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस संवाददाता को वंदना का फोन नंबर अथवा उनका पता देने लिए न तो अरविंद गौड राजी हुए, न ही रंगकर्मी विनीत, न ही उक्त कार्यक्रम में विमोचित पत्रिका ‘समकालीन रंगमंच ‘ के संपादक राजेश चंद।

गौरतलब है कि फारवर्ड प्रेस के पास मौजूद विडियो में अभिनेत्री वंदना चीख-चीख कर अरविंद गौड पर आरोप लगा रही हैं और 14 साल पहले की किसी घटना का उल्लेख करना चाह रही हैं लेकिन रंगकर्मी विनीत उन्हें बोलने से रोक रहे हैं। वीडियो के अंत में वंदना बेहद तल्ख लहजे में अरविंद गौड को ”गददार” कहती हैं। वीडियो में रंगकर्मी विनीत माइक का वायर उखाड़ते दिख रहे हैं जबकि अरविंद गौड मीडियाकर्मी को कैमरा बंद करने को कह रहे हैं।

सवाल यह उठता है कि वंदना के पास कहने के लिए ऐसा क्या है, जिसे दबाने के लिए इन ‘सभ्य, प्रगतिशील’ रंगकर्मियों को माइक तक उखाडना पडा? और इससे भी बडा सवाल यह कि ये लोग वंदना का फोन नंबर क्यों नहीं देना चाहते?

उम्मीद की जानी चाहिए कि ये लोग जल्दी ही वंदना को मीडिया के सामने लाएंगे – लेकिन क्या तब जब वंदना को इन समर्थ लोगों द्वारा समझाने-बुझाने, दबाने, बरगानले का दौर पूरा हो चुका होगा?

(जीतेन्द्र कुमार ज्योति (सवांददाता ,फॉरवर्ड प्रेस ) की रिपोर्ट. दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया का अभी इंतजार है)

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बिग मैजिक के जरिये भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में रिलायंस ब्राडकास्ट नेटवर्क अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा. यह चैनल धनबाद, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, आरा, जमशेदपुर और रांची में दिखने के अलावा झारखंड में भी दिखेगा.

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