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राहुल गाँधी की चुनौतियाँ

ajay nath jha20 जनवरी को जयपुर में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक में श्री राहुल गाँधी को उपाध्यक्ष पद की ताजपोशी के बाद जैसे एक नयी बयार बह चली है कांग्रेसी कार्यकर्ता अपने राहुल भैया की तारीफ करते नहीं थकते हैं और उनके अभूतपूर्व, ओजस्वी भावनात्मक भाषण को पार्टी में एक नए युग का आगाज़ मानते हैं.

कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में भी मीडिया से अपने पहले साक्षात्कार में उन्होंने” सकारात्मक राजनीति” का पाठ पढ़कर कुछ नेताओं को चित्त और बाकी को आश्चर्यचकित कर दिया. ये अलग बात है कि अब से उनके हर बोल हरकत और अदा पर होगी और वहीँ से पार्टी की दशा और दिशा – दोनों का पता चल जायेगा.

विगत चार दिनों में तकरीबन हर राजनीतिक पंडित और मठाधीशों ने राहुल गाँधी की तारीफ़ के पूल बांधे और उनकी संवेदनशीलता और भावनात्मक गंगा के बहाव में स्नान किया, अगर बीच में गृह मंत्री शिंदे जी भगवा आतंकवाद वाला नमक नहीं परोस देते तो शायद ये स्तुतिगान का सिलसिला नवरात्र की तरह बदस्तूर चलता रहता.

ईरान ने हिरासत में लिए 13 पत्रकार

ईरान में फ़ारसी भाषा के विदेशी मीडिया संगठनों के साथ सहयोग करने के आरोप में कम से कम तेरह पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. इनमें सात पुरुष और छह महिला पत्रकार शामिल हैं जो अलग-अलग मीडिया संगठनों के लिए काम करते हैं.

ख़बरों में कहा गया है कि उन्हें रविवार को हिरासत में लिया गया था. ईरान बीबीसी की फ़ारसी सेवा और अमरीका की वॉयस ऑफ अमरीका को शत्रु संगठन के तौर पर देखता है.

लेकिन ईरान के संस्कृति मंत्री का कहना है कि इन लोगों को पत्रकार होने की वजह से नहीं, बल्कि सुरक्षा संबंधी आरोपों की वजह से हिरासत में लिया गया है.

बीते हफ्ते, बीबीसी ने ईरान के अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वह लंदन स्थित बीबीसी फ़ारसी सेवा के कर्मचारियों को धमका रहे हैं. ईरान में रहने वाले बीबीसी पत्रकारों के परिवार के सदस्यों को खुफिया सेवाओं के अधिकारी पूछताछ के लिए बुलाते रहे हैं. इतना ही नहीं, पत्रकारों के नाम से फ़र्ज़ी वेबसाइट और फेसबुक एकाउंट बनाए गए हैं और उन पर यौन दुर्व्यवहार समेत कई तरह के अभियोग लगाए जाते रहे हैं.

वहीं ईरान का कहना है कि बीबीसी, राष्ट्रपति मेहमूद अहमदीनेजाद के साल 2009 में विवादित दोबारा चुनाव के बाद अशांति को बढ़ावा देता रहा है. (साभार – बीबीसी हिंदी)

पेड न्यूज़ के मामले में मीडिया से ज्यादा ईमानदार राजनीतिक वर्ग – पी.साईनाथ

paid news of indiaचुनाव नजदीक ही है और एक बार फिर से पेड न्यूज़ का मामला गरमाने लगा है. इसी संदर्भ में पी. साईनाथ का एक महत्वपूर्ण लेख ‘द हिंदू’ में छपा है.

‘Yes, we spent money on paid news ads’ शीर्षक से छपे इस लेख में पी.साईनाथ ने अपने शुरूआती लाइनों में ही लिखा है कि, ‘The political class is more honest than the media when it comes to ‘paid news’ during elections, judging by the fact that several poll candidates have owned up to this corrupt practice.’

मीडिया में लड़कों के साथ भेदभाव

Discrimination against boys in media

अक्सर कहा जाता है कि भारत में महिलाओं एवं लड़कियों के साथ भेदभाव होता है। लेकिन यर्थाथ में होता है जो होता है वो बिल्कुल अलग होता है, भेदभाव के शिकार अक्सर लड़के होते हैं। आज विष्णु गुप्त से इसी पर बात हो रही थी कि किस तरह से मीडिया में सुंदर दिखने वाली उन लड़कियों को रख लिया जाता है जिन्हें कुछ नहीं आता है। मेरे पास भी कई उदाहरण हैं। एक उदाहरण खुद एक लड़की ने बताया था।

एक मीडिया स्कूल में उसके साथ पढ़ने वाले एक लड़के ने अपने किसी जानने वाले के रेफरेंस से एक प्रमुख हिन्दी चैनल में वरिष्ठ पद पर काम करने वाले पत्रकार से मिलने का समय मांगा था। उन्होंने मिलने का समय दे दिया। जब वह लड़का उनसे मिलने चैनल के नौएडा स्थित मुख्यालय जाने लगा तो उसने उस लड़की को भी बताया कि चाहे तो वह भी चल सकती है और अपना बायोडाटा उस चैनल में दे सकती है।

वे दोनों जब चैनल के मुख्यालय के पास पहंचे तब लड़के ने फोन करके उक्त पत्रकार को बताया कि वह चैनल दफतर आ चुका है। उक्त पत्रकार ने कहा कि वे इस समय आफिस में नहीं हैं, इसलिये बाद में आ जाये। जब दोनों लौटने लगे तभी लड़की ने उक्त पत्रकार का नम्बर उस लड़के से ले लिया और उसने भी सोचा कि कि उक्त पत्रकार से फोन पर बात करके मिलने का समय मांग ले।

जब उस लड़की ने फोन किया तो पत्रकार ने सहर्ष जवाब दिया कि वह अपने आफिस में ही हैं और वह कभी भी मिल सकती है। वह लड़की उसी समय पत्रकार से मिली और उसे नौकरी पर भी रख लिया लेकिन उस लड़के को इतनी ग्लानी हुयी कि उसने मीडिया में नहीं आने की कसम खा ली।

चैनल और पत्रकार का नाम जानबूझ कर नहीं बता रहा हूं। हालांकि कुछ साल बाद उस लड़की ने भी मीडिया को छोड़ दिया। यह एक उदाहरण है कि किस तरह से मीडिया में लड़कों के साथ भेदभाव होता है।

ऐसा केवल मीडिया में ही नहीं और भी क्षेत्रों में होता है….चैनलों में नौकरी और प्रमोशन का पैमाने केवल सुंदरता और अच्छी आवाज होती है, भेले ही उसके दिमाग में भूसा भरा हो।

(लेखक पत्रकार हैं)

Bloomberg TV India announces DOWN TO EARTH

January 28, 2013: Bloomberg TV India, India’s premier business news channel, today announced the launch of “DOWN TO EARTH’, a special series that will highlight cutting edge developments in philanthropy and the social sector in India. It is a series that celebrates the spirit of social entrepreneurship. Dasra, India’s leading strategic philanthropy foundation is Bloomberg TV India’s ‘Knowledge Partner’ for this unique series.

Down to Earth chronicles the stories of four social entrepreneurs viz., Inir Pinheiro of Grassroutes, Naveen Krishna of SMV Wheels, Rajesh Shah of SABRAS and Shilpi Kapoor of Barrier Break Technologies who are leading organisations that are successfully applying business ideas to create social good, employment and provide access to improved livelihood opportunities for the poor and downtrodden.

Grassroutes is based on the concept of responsible rural tourism owned and operated by local village communities. Community based tourism, where the community is at the centre of ownership, decision making and management, would ensure economic development with a check on the undesired effects of tourism. Till date, Grassroutes intervention in two villages has resulted in an average increase of approximately Rs 1,800 in the annual income of each of 90 households.

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