आउटलुक ग्रुप को लेबर कोर्ट ने जोर का झटका धीरे से दिया है और पत्रकारों के नौकरी से निकाले जाने पर रोक लगा दी है क्योंकि यह श्रम कानूनों के खिलाफ है. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते आउटलुक ग्रुप ने अचानक से ग्रुप की तीन पत्रिकाओं पीपल,जियो और मैरी क्लेयरी को बंद करने का फैसला कर लिया. ग्रुप के अचानक से लिए गए फैसले की वजह से सौ से अधिक मीडियाकर्मियों की नौकरी खतरे में पड़ गयी थी.
मुंबई के बांद्रा स्थित लेबर कोर्ट ने यह फैसला पीपल की संपादक सायरा (Saira Menezes) और 16 मीडियाकर्मियों की याचिका पर सुनाया. हालांकि ग्रुप की तरफ से अबतक लिखित रूप में कुछ भी नहीं दिया गया है कि इन पत्रिकाओं में काम करने वाले मीडियाकर्मियों की सेवायें समाप्त की जा रही.
इसी मुद्दे पर सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार अपनी बात रख रहे मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार लिखते हैं :
‘आउटलुक के मीडियाकर्मियों के निष्कासित किए जाने के फैसले पर मुंबई की श्रम अदालत,बांद्रा ने रोक लगा दी है. पिछले दिनों आउटलुक मीडिया समूह ने जिस बर्बरता से अपने करीब 135 मीडियाकर्मियों को निष्कासित करने की खबर ट्वीट की,वो मीडिया इन्डस्ट्री पर बड़ा धब्बा था. मैनेजमेंट के इस फैसले का विरोध करते हुए मीडियाकर्मियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी.वैसे ये तो आउटलुक जैसी बड़े और अंग्रेजी मीडिया समूह की बात है, मंझोले और छोटे मीडिया संस्थानों में ये काम आए दिन होता रहता है, रुटीन का हिस्सा है लेकिन कहीं कोई विरोध में आवाज नहीं उठाते..मीडियाकर्मियों के खुलकर विरोध में आने और कोर्ट के इस फैसले से कुछ नहीं तो कम से कम ये संदेश तो गया ही है कि अभी इतनी अंधेरगर्दी नहीं आयी है मीडिया में, मीडियाकर्मी कलम के साथ-साथ अपनी लाठी दुरुस्त रखें तो मनमानी एक हद तक रुक सकती है. अब यहां ये हो सकता है कि अभी रख ले फिर एक-एक करके निकाले और संगठित मीडियाकर्मियों को तोड़ दे लेकिन जब तक मीडियाकर्मी लोटने नहीं लग जाते, तब तक मैनेजमेंट की मनमानी एक हद तक तो रोक ही सकते हैं.’