ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
भाषणबाज़ी, नारों और पोस्टरबाज़ी में कुछ ऐसा संदेश देने की कोशिश हुई मानो सैनिक कार्रवाई देश ने नहीं, भाजपा ने की हो! लेकिन ‘पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘पहली बार पाकिस्तान को घर में घुस कर मारा’ वाले बड़बोलेपन की पोल “ऑपरेशन जिंजर” के दस्तावेज़ी सबूतों ने खोलकर रख दी है। मनमोहन सिंह शासन में सेना ने 2011 में बदले की वह सनसनीखेज़ कार्रवाई अंजाम दी थी। हाँ, उस पर शासन का बड़बोलापन नहीं दिखा; न सबूत माँगे गए न दिए गए। जबकि हाल की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का इतना हल्ला ख़ुद सरकार ने मचा दिया कि लोग (देश में भी, विदेश में भी) दावों की पुष्टि की माँग करने लगे।
“ऑपरेशन जिंजर” की सर्जिकल स्ट्राइक (उसे नाम कुछ भी दिया गया हो) की विस्फोटक ख़बर को हमारा मडिया इतना दबकर क्यों दिखा रहा है? ज़्यादातर अख़बारों में उसका फ़ालोअप भी नहीं है। कल रात को बस वीर सांघवी ‘पैनल’ चर्चा करते नज़र आए। बाक़ी दहाड़ने वाले एंकर शायद इतवार की छुट्टी मना रहे थे।
जो हो, इस स-सबूत ख़ुलासे ने सैनिक कार्रवाई के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल के भाजपाई मंसूबे पर पानी फेर दिया है।
“ऑपरेशन जिंजर” पर ‘हिंदू’ ख़बर का ब्योरा आज हिंदी में ‘भास्कर’ ने इस तरह प्रकाशित किया है:
नई दिल्ली. इंडियन आर्मी ने 2011 में पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया था। यह दावा ‘द हिंदू’ अखबार ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इसमें कहा गया कि इंडियन कमांडोज ने एलओसी पार करके 6 जवानों की शहादत का बदला लिया था। इसे ‘ऑपरेशन जिंजर’ नाम दिया गया था। इसमें 8 पाकिस्तानी जवानों को मार गिराया गया था। हमारे जवान तीन के सिर काटकर भारत लाए थे।इस ऑपरेशन के लिए तीन पोस्ट को चुना था…
– अखबार ने 2011 के इस ऑपरेशन के ऑफिशियल डॉक्युमेंट्स, वीडियो और फोटोग्राफ्स के आधार पर पुख्ता सबूत होने का दावा किया है। इसमें एम्बुश, ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने, सर्जिकल स्ट्राइक और निगरानी के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं।
– जिंजर ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान की तीन पोस्ट को चुना गया था।
– बता दें कि 18 सितंबर को उड़ी के आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। चारों आतंकियों को मार गिराया गया।
– इसकी जवाबी कार्रवाई में 28-29 सितंबर की रात भारत ने एलओसी पार कर पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक किया। 38 आतंकी मारे गए।
– तब से ऐसी कार्रवाई के दावे हो रहे हैं। एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा था कि यूपीए के दौरान चार बार सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था। कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भी ऐसे ही दावे किए।
क्यों किया गया था यह ऑपरेशन?
– अखबार के मुताबिक, 30 जुलाई, 2011 को कुपवाड़ा की गूगलधर चोटी पर स्थित इंडियन आर्मी पोस्ट पर पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) ने हमला किया था। इस हमले में 5 भारतीय जवान मौके पर शहीद हो गए थे। बीएटी दो भारतीय जवान हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंंद्र सिंह के सिर काटकर ले गई थी। इसकी जानकारी 19 राजपूत बटालियन के जख्मी जवान ने दी थी। ये जवान भी हॉस्पिटल में शहीद हो गया था।
आर्मी के किस अफसर ने बनाई थी स्ट्रैटजी
– अखबार के मुताबिक, कुपवाड़ा बेस 28 डिवीजन के चीफ रहे रिटायर्ड मेजर जनरल एसके चक्रवर्ती ने भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग की थी। चक्रवर्ती ने कार्रवाई की पुष्टि की है, लेकिन ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।
मंगलवार का दिन चुना था?
– अखबार ने ऑपरेशन जिंजर को अंजाम देने वाले आर्मी अफसर के हवाले से लिखा- “हमने इसके लिए 30 अगस्त को मंगलवार का दिन चुना था, क्योंकि पहले हमने इस दिन कारगिल वॉर समेत हमेशा जीत हासिल की थी। यह ऑपरेशन ईद से एक दिन पहले किया गया, क्योंकि पाकिस्तान को इस वक्त हमले की उम्मीद ना के बराबर थी।”
कैसे दिया इस ऑपरेशन को अंजाम
– अखबार के मुताबिक, इस कार्रवाई को 25 पैरा कमांडो ने अंजाम दिया था। ये लोग उनके लॉन्च पैड पर सुबह 29 अगस्त को 3 बजे पहुंच गए थे और दूसरे दिन 30 अगस्त सुबह तक रहे। यहां इन्होंने लैंड माइंस बिछाईंं और 30 अगस्त को सुबह 7 बजे तक इंतजार किया। जब इन्हें तीन पाकिस्तानी जवान दिखे और सुनिश्चित किया कि एम्बुश वाली जगह की तरफ आ रहे हैं। तब तक कमांडो इंतजार करते रहे। लैंडमाइंस धमाके में वह चारों जख्मी हो गए। उसके बाद ग्रेनेड और गोलियां दागी गईं।
– रिपोर्ट के मुताबिक, एक पाकिस्तानी जवान भागने में सफल रहा। इंडियन कमांडो ने दौड़कर बचे तीन जवानों के सिर काट लिए। ये अपने साथ उनके हथियार और पर्सनल चीजें भी ले आए। इसके बाद जवानों की बॉडी के नीचे आईईडी बिछा दी। यह ऑपरेशन करीब 45 मिनट चला।
– रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद इंडियन आर्मी की पहली टुकड़ी सुबह 7.45 तक लौट आई। इसके बाद दूसरी टीम दोपहर 12 बजे और तीसरी टुकड़ी 2.30 बजे तक लौटी। इस हमले में कुल 8 पाकिस्तानी जवान मारे गए थे, जबकि दो या तीन गंभीर रूप से जख्मी हुए।
(लेखक के एफबी से साभार)