ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार-
तो योगी वे नहीं हैं, योगी उनका महज़ उपनाम है! मैं टीवी आम तौर पर देखता ही नहीं। आज मुख्यमंत्री निवास के
रंगरोगन पर कोई रिपोर्ट देख रहा था, मुख्य द्वार पर ताज़ा-ताज़ा लिखा पढ़ा – आदित्यनाथ योगी। मुख्यमंत्री का अपना नाम घर के बाहर ग़लत नहीं हो सकता। फिर भी मैंने यूट्यूब पर शपथग्रहण का वीडियो खंगाला। वे अपने मुँह से भी यही बोल रहे थे – मैं, आदित्यनाथ योगी …
कोई कह सकता है, इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है? जनाब, योगी पहले और बाद में लिखने में बहुत फ़र्क़ पड़ जाता है: पहले लिखें तो पदवी हो जाती है, बाद में लिखें तो पुछल्ला भर रह जाता है – कोई उपनाम, तख़ल्लुस आदि। मुझे अपनी पोस्ट में उनका नाम दुरुस्त करना होगा। ये बंदा योगी है ही नहीं। @fb