निखिल वागले के बगैर अधूरा है आईबीएन लोकमत का प्राईम टाईम

सुजीत ठमके

आईबीएन-लोकमत के एडिटर इन चीफ निखिल वागले इन दिनों स्वस्थ ठीक ना होने के कारण छुट्टी पर है। नेटवर्क-१८ को रिलायंस समूह के अधिग्रहण के बाद कई दिग्गज पत्रकारों नेटवर्क-१८ से बाहर हो गए। कुछ स्वयम छोड़ गए। टीवी-१८ नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई छुट्टी पर है। फुटबॉल वर्ल्ड कप मैचों का लुफ़्त उठाने का हवाला दिया है। वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष ने भी इस्तीफा दिया है। आईबीएन- लोकमत इस मराठी चैनल की जिम्मेदारी जिनके कंधो पर है वो कद्दावर पत्रकार निखिल वागले इन दिनों छुट्टी पर है। कई अफवाओं का बाजार भी गर्म है। लेकिन ऐसी अफ़वाए उड़ती रहती है। राजदीप सरदेसाई के खासम- ख़ास में से एक माने जाते है निखिल वागले। छुट्टी पर जाने के पहले राजदीप ने टीवी-१८ नेटवर्क प्रबंधन को जो मेल भेजा था जिसमे कई नाम थे उसमे एक नाम वागले का भी था। राजदीप ने कहा था कर्मी हताश, निराश ना हो आईबीएन- लोकमत की जिम्मेदारी निखिल वागले जैसे मजबूत कंधो पर है।

नेटवर्क-१८ के चीफ राघव बहल मराठी चैनल आईबीएन- लोकमत लांच होने से पहले एडिटर- इन- चीफ की जिम्मेदारी वरिष्ठ पत्रकार समीरण वालवेकर को देना चाहते थे। किन्तु राजदीप की पसंद निखिल वागले थे। वागले राजदीप के कसोटी पर खरे उतरे। ६ महीने में ही यह चैनल टीआरपी में नंबर-०१ पर पहुचाने में वो कामियाब रहे। धीरे धीर राजनीतिक खींचतान, व्यक्तिक अहंकार, कॉस्ट कटिंग के चलते सुभाष शिरके, मंदार फनसे, प्रशांत कोरटकर, रविन्द्र आम्बेकर, निरंजन टिकले, संजय वरकड जैसे कई बेहतर पत्रकार आईबीएन- लोकमत से बाहर हो गए। इसका असर चैनल के टीआरपी पर भी पड़ा। नंबर वन का चैनल नंबर-०२ के पायदान पर चला गया। बावजूद निखिल वागले द्वारा होस्ट किये जा रहे दोनों शो को नंबर-०१ रैंकिंग में रखने में वो कामयाब रहे। वागले ने कुछ दिन पहले निराशाजनक ट्वीट करके कहा था वो मुंबई के लाईफ में ऊब गए है। उससे वो दूर जाना चाहते है। वागले पिछले २५ वर्ष से पत्रकारिता में है। परदे के पीछे की राजनीति से वागले वाक़िब है। वागले के जितने समर्थक है उससे कई ज्यादा विरोधक भी है। वागले पर कई बार जानलेवा हमले हुए। शिवसेना, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, बीजेपी के कार्यकर्ताओ ने कई बार उन पर जानलेवा हमले किये। मसलन स्वर्गीय पंतप्रधान राजीव गांधी के हत्या के बाद महागर में वागले ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी पर विवादित खबर छापी थी। जिसके चलते युथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओ ने महानगर पर हमला बोला। उस हमले में वागले बाल बचे। चूकि बाद में वागले ने माफ़ी भी मांगी थी। शिवसैनिको का धुस्से का वो कई बार शिकार हुए। महाराष्ट्रा के कद्दावर नेता नारायण राणे के बेटे द्वारा मानहानी का केस दायर करने के बाद वागले काफी निराश हो चुके थे। बेबाक राय रखने के लिए पहचाने जाने वाले वागले मानहानी केस बाद आज का सवाल नामक प्राईम टाईम शो में संभलकर बोलते थे। धुर विरोधी भी निखिल वागले के पत्रकारिता के योगदान को नकारते नहीं। जेपी के समाजवाद का गहरा असर वागले पर है। जिसके चलते वो सामाजिक सरोकार के जुड़े मुद्दो को तवज्जो देते है। वागले ने आपातकाल का दौर भी देखा। सामाजिक आंदोलन को लेकर रास्ते पर भी उतरे। महानगर के जरिये पत्रकारिता की शुरुवात की। मराठी अखबारों में कई मुद्दो पर बेबाक राय भी रखते रहे। डीडी मराठी सह्याद्रि के कई कार्यक्रमों को होस्ट किया है। एबीपी न्यूज़ ( पहले स्टार न्यूज़ ) , ज़ी न्यूज़ के कई कार्यक्रमों में गेस्ट के रूप में हिस्सा लिया। किन्तु वर्ष २००८ में आईबीएन- लोकमत के जरिये टीवी पत्रकारिता में पूर्ण रूप से सक्रीय हुए। वागले की केवल राजनीतिक खबरों में ही नहीं सामाजिक, आर्थिक, ह्यूमन इंटरेस्ट, फीचर बेस आदी खबरों में भी महारथ हासिल है। वागले द्वारा होस्ट किये जा रहे ” आज का सवाल ” और ” ग्रेट भेट” दोनों भी शो दर्शको में हिट है। किसी भी न्यूज़ चैनल के लिए ७ से १० बजे यानी प्राईम टाईम अहम होता है। प्राईम टाईम में टीवी पर कुछ जाने पहचाने फेसेस ना दिखाई दिए तो प्राईम टाईम देखने का मजा किरकिरा हो जाता है। निजी विचार अलग अलग हो सकते है किन्तु वाकई वागले के बगैर आईबीएन- लोकमत का प्राईम टाईम अधूरा है।

सुजीत ठमके
पुणे- 411002

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