कमाल है हमारे पिछड़े आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ में एक नही लगभग दर्ज़न भर अबोध बालिकाओ से यौन दुराचार हुआ और उनमे से चार के साथ बलात्कार भी. मगर इस पर कहीं कोई बहस नहीं ?
सारी की सारी बेटियां आदिवासी परिवार की थी,जिन्हे बड़े – बड़े सपने देखने के लिये सरकारी हॉस्टल भेजा गया था. सपने तो पूरे हुये नहीं. हाँ इज़्ज़त जरुर तार – तार हो गई. हैरानी तो इस बात की है कि इस मामले में राष्ट्रीय मीडिया ने जो सचिन, सलमान, शाहरूख की खांसी-सर्दी तक पर घंटो बहस करता है. खामोश नज़र आ रहा है.
दिल्ली की बहन की इज़्ज़त लूटने पर जो तेवर दिखाये थे वे यहाँ नज़र नही आ रहे है. समझ में नही आ रहा है कि क्या मेरे प्रदेश की आदिवासी बालाओ की इज़्ज़त महानगरो की बालाओं से कम है?
क्यों नही हो रही इस पर बहस? सभी क्यों खामोश है? क्या सिर्फ टीआरपी के हिसाब से खबर और इज़्ज़त आंकी जायेगी? छत्तीसगढ की अपनी उन 11 आदिवासी बहनो-बेटियो से मैं क्षमाप्रार्थी हूं टीआरपी के खिलाडियों के रवेये के लिये.
( Anil Pusadkar के फेसबुक वॉल से )