जीतेंद्र प्रताप सिंह
वाह रे राग दरबारी कवि … दरबार में तो चाटुकार रस की कविताये सुनाते है और दरबार के बाहर वीर रस की कविताये सुनाते है ?
अभी एक चैनेल पर कुमार विश्वास को नरेद्र मोदी को ललकारते देखा … देखकर हंसी भी आई और हैरानी भी हुई
अहमदाबाद के कर्णावती क्लब और राजपथ क्लब में होने वाली हिंदी कवि सम्मेलनों को देखने के लिए दसियों बार गया हूँ … कई अन्ना आन्दोलन के पहले कुमार विश्वास जी बिना बुलाये ही आते थे और ईटीवी में काम करने वाले अपने एक मित्र से जुगाड़ लगवाकर मंच पर आते थे .. एक हापुड़ के अग्रवाल जी थे जिनका अहमदाबाद में एक मामूली होटल है उसी होटल में कुमार विस्वास रुकते थे |
और मंच पर नरेंद्र मोदी के शान में खूब कविताये सुनाते थे … धीरे धीरे संघ के नेताओ से भी उनकी करीबी बढ़ी और संघ के तीन चार कार्यक्रमो में उन्हें कविता पाठ के लिए बुलाया गया था .. इसी बहाने उनकी नरेंद्र मोदी से नजदीकी भी बढ़ी … और सीएम हाउस में कुमार विस्वास का बिना रोकटोक आना जाना होने लगा था |
फिर एक दिन नरेंद्र मोदी को पता चला की उनकी नजदीकी का फायदा उठाकर कुमार विस्वास लोगो के काम करवाने की दलाली कर रहे है तो नरेंद्र मोदी के उनका सीएम ऑफिस और सीएम निवास में घुसना ही प्रतिबंधित करवा दिया |
थोड़े समय के बाद अन्ना आन्दोलन हुआ और कुमार विस्वस को मंच संचालन की जिम्मेदारी मिली ..उस मंच को कुमार विस्वास ने अपनी निजी प्रसिद्धी के लिए बखूबी इस्तेमाल किया और मंच पर बीच बीच में अपनी कविताये भी सुनाने लगे … इसके बाद तो उन्होंने अपना रेट सीधे दस लाख कर दिया | एक स्टिंग ओपरेशन में भी हमने देखा की अब वो अपने और अपने मैनेजर के लिए बिजनस क्लास में आने जाने का टिकट और फाइव स्टार होटल में सुइट के बिना कवि सम्मेलनों में नही जाते |
वाह रे समय का चक्र …. राग दरबारी कवि भी अब दूसरे राग में गाने लगे ?
bhai konse patrakar ho, jo Modiji ke fever me bol rahe ho. accha laga koi to patrakar hai jisme patrakarita jivit hai