आलोक नंदन
मीडिया वाले पहले संतों को भगवान के आसन पर बैठाते हैं…लगभग सभी टीवी चैनलों पर संतों का विज्ञापन चलता है…उन्हें खुद को चमत्कारिक पुरुष सिद्ध करने के लिए पूरा मौका दिया जाता है….अंधविश्वास को मीडिया के माध्यम से दूर दूर तक फैलाया जाता रहा है और भविष्य में भी यह सिलसिला चलता रहेगा…पुलिसवाले भी इंसान है, मीडिया के दोगलेपन को अच्छी तरह से समझते हैं….इस बार उन्होंने आपा खो दिया…और डंडा लेकर पील पड़ गये मीडियावालों के पीछे….चलिये हम भी उनकी निंदा कर देते हैं..लेकिन मीडियावालों से भी एक सवाल है, अंधविश्वास को फैलाने का औजार वे क्यों बनते हैं, महज विज्ञापन के लिए ? यदि लोभ सिर पर सवार होगा तो डंडा भी सिर पर ही पड़ेंगे ना…तो अब हाय हाय क्यों..? वैसे भी अब आप इस मुगालते में मत रहिये कि दुनिया आपको कोई बड़ा खंभा मान रही है…आप भी लूट खसोट संस्कृति का एक औजार बने हुये हैं….
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