पाकिस्तानी-जेहादी भोंपू चैनल NDTV को इतनी कम सज़ा क्यों ? – सी.पी.सिंह

सी.पी.सिंह, मीडिया शिक्षक, आईपी युनिवर्सिटी
सी.पी.सिंह, मीडिया शिक्षक, आईपी युनिवर्सिटी

NDTV के मालिक सेकुलर खाल में जेहादी एजेंडा चला रहे हैं 

NDTV पर 2500 करोड़ से ज्यादा के मनी लॉन्डरिंग के पुख्ता सबूत हैं। इसने अपने एक एंकर की पत्नी और ITO को अनैतिक और गैरकानूनी लाभ पहुँचाया।इसकी एक पत्रकार पर 2G घोटाले में दलाली के प्रमाण हैं।एक ईमानदार ITO को चिदंबरम की मदद से निलंबित कराकर उसे पागल घोषित कराया गया, उसपर एनडीटीवी के एंकर की पत्नी से सेक्सुअल हरासमेंट के फर्ज़ी मामले लदवाये गए।
रवीश कुमार का गुद्दा तब कहाँ गया था? तब नहीं तो अब ही बोल दे। ये सारी जानकारी अब सार्वजनिक है।अगर ऐसा नहीं तो NDTV के मालिक सेकुलर खाल में जेहादी एजेंडा चला रहे हैं।

NDTV को एक दिन के प्रतिबंध की सजा क्यों मिली है

कुछ लोग कह रहे हैं कि जो गलती NDTV ने की वह गलती कुछ और चैनलों ने भी की।क्या एक बलात्कारी को इसलिए सजा नहीं मिलनी चाहिये कि उसके साथ और भी बलात्कारी थे? क्यों नहीं बाकी बलात्कारियों को भी सजा की मुहिम चलायी जाए?आज NDTV का आचरण उपरोक्त बलात्कारी की तरह ही है। सवाल यह नहीं है कि NDTV को एक दिन के प्रतिबंध की सजा क्यों मिली है सवाल यह है कि इस पाकिस्तानी-जेहादी भोंपू को नियम के अनुसार पूरी सजा क्यों नहीं मिली है?कौन हैं जो इसे बचा रहे हैं?NDTV को देश के कानून पर कम सीमा पार के आकाओं पर ज़्यादा भरोसा है। तभी तो खुल्लमखुल्ला उन्हें सुरक्षा संबंधी जानकारी लीक कर दी। सज़ा भी इतनी कम पाई कि मानों कह बैठे.सईयाँ भए कोतवाल अब डर काहे का? असली टारगेट होना चाहिये ये सईयाँ। और ज्यादा सर्जिकल स्ट्राइक करने पर कोई संवैधानिक रोक तो नहीं है?

देश की सुरक्षा से जानबूझकर समझौता करनेवाले इस चैनल को इतनी कम सज़ा क्यों?

आठवीं सदी से शुरू हुये इस्लामी हमलों ने भारत के शरीर को ज़्यादा क्षत-विक्षत किया था, आत्मा को कम। लेकिन 18 वीं सदी में आये अँगरेज़ हमलावरों और 15 अगस्त 1947 के बाद सत्ता पर काबिज़ काले अंगरेज़ों ने देश की आत्मा को ही भीषण रूप से घायल कर दिया। भला हो मोबाइल , इंटरनेट और सोशल मीडिया कि अब इस घायल आत्मा पर युवापीढ़ी मलहम-पट्टी लगा रही है और काले अंगरेज़ों से उनके काले कारनामों का दोटूक हिसाब माँग रही है। NDTV पर एक दिन के प्रतिबंध पर सरकार को मिले समर्थन से तो यही लगता है। लोग तो यह भी पूछ रहे हैं कि देश की सुरक्षा से जानबूझकर समझौता करनेवाले इस चैनल को इतनी कम सज़ा क्यों?

एनडीटीवी के प्रति इतना लाड़-प्यार क्यों?

राष्ट्रीय सुरक्षा और फौजियों के जान से खिलवाड़ करनेवाले NDTV को 2016 में एक दिन की सज़ा और एक रिपोर्ट के निराधार होने पर LIVE INDIA को एक महीने बंद करने की सज़ा (2007) जब मनमोहन सिंह पीएम थे।सेकुलरदास कहते हैं कि Live India का न कोई Pope कनेक्शन था न ही इटली वाला। तो यही है राज़ बड़ी ग़लती छोटी सज़ा और छोटी ग़लती बड़ी सज़ा का। (सी.पी.सिंह,मीडिया शिक्षक,आईपी युनिवर्सिटी)

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