अज्ञात कुमार-
एक बड़ी खबर ‘नेशनल वॉयस’ चैनल से है. ख़बरों के मुताबिक़ मीडिया के बड़े बाजीगर ब्रजेश मिश्रा ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को धोबी पछाड़ देते हुए ‘यूपीटीवी’ में फंसे पेंच को न सिर्फ सुलझा लिया बल्कि नेशनल वॉयस पर मालिकाना हक हासिल करते हुए अपने मीडिया वेंचर को डूबने से बचा लिया. खबर ये भी आई कि उन्होंने देश के कुछ बड़े मीडिया घरानों के मुंह पर कालिख पोत दी है जो हर साजिश में लगे थे कि किसी तरह ब्रजेश मिश्रा को यूपी चुनावों के दौरान आन एयर होने से रोका जाए. लेकिन ये खबर बिल्कुल नहीं आई कि नेशनल वॉयस के मालिक विजेंदर सिंह और ब्रजेश मिश्रा ने एक दूसरे को काजू बर्फी खिलाकर नेशनल वॉयस के पुराने स्टाफ के लिए भूखे मरने का इंतजाम कर डाला है. खबर ये भी आई कि ब्रजेश मिश्रा को उनके विरोधियों ने किस कदर चक्रव्यूह में घेर रखा था ताकि वो अपने महत्वाकांक्षी चैनल को यूपी चुनाव के वक्त ऑन एयर न कर सकें, लेकिन ब्रजेश मिश्रा ने एक कुशल योद्धा कि तरह न केवल इस व्यूह को छिन्न-भिन्न कर डाला बल्कि रातों रात नेशनल वॉयस न्यूज चैनल का अधिग्रहण कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। लेकिन ये खबर कहीं कोने में दब गई या जानबूझकर दबा दी गई कि अब लखनऊ से चल रहे न्यूज चैनल के बाद नोएडा ऑफिस में बैठकर अपने मालिक के वापस लौटने का इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों का क्या होगा.
जवाब सबको पता है लेकिन नेशनल वॉयस मैनेजमेंट फिलहाल मुंह पर टेप लगाए बैठा है और ऊधर नोएडा दफ्तर के लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. नेशनल वॉयस के लखनऊ ऑफिस (पूर्व में यूपीटीवी) के सूत्रों के मुताबिक ब्रजेश मिश्रा ने विजेंदर सिंह से साफ शब्दों में कह दिया है कि उनका नोएडा दफ्तर से अब कोई सरोकार नहीं है, चैनल लखनऊ से चलेगा और लखनऊ में स्टॉफ पर्याप्त हैं। ऐसे में एक बात तो साफ है कि नोएडा के मीडियाकर्मियों के पास अब करने को कोई काम नहीं है. लेकिन फिलहाल ये लोग दफ्तर आ रहे हैं. मैनेजमेंट न उन्हें इस्तीफा देने को कह रहा है न कोई काम करने को कह रहा है. सभी कर्मचारियों की जनवरी की और कुछ लोगों की दिसंबर महीने की सैलरी बकाया है. नेशनल वॉयस लेट से सैलरी देने और मनमाने तरीके से लोगों को नौकरी से निकाल देने के लिए पहले से ही बदनाम रहा है.
लेकिन अब मामला उलट गया है. एकसाथ सभी कर्मचारियों को निकाल देने का फरमान सुनाने का साहस मैनेजमेंट के पास नहीं है. यूपी और उत्तराखंड में चुनाव सर पे है. मामला पलक झपकते ही बिगड़ सकता है. अगर ब्रजेश मिश्रा खेमा किसी खास राजनीतिक दल के पक्ष में संपादकीय लाइन लेता है तो विरोधी दल खामोश नहीं बैठेंगे. वो इस मुद्दे को बयानबाजी के जरिए जरूर गरमा देंगे और देखते ही देखते ब्रजेश मिश्रा-विजेंदर सिंह की शतरंज की बाजी बिखर सकती है. लिहाजा इस जोड़ी ने तय किया है कि चुनाव तक किसी को छेड़ना नहीं है. जिसके जी में आए वो नोएडा दफ्तर आए जिसके न आए वो घर बैठे लेकिन सैलरी भुगतान किसी को मिलेगा या नहीं मिलेगा ये अभी तक तय नहीं है.
लेकिन विजेंदर सिंह के गैर-पेशेवर रवैये से रोष सभी कर्मचारियों में है और सभी नोएडा दफ्तर में बैठकर अपने मैनेजिंग डायरेक्टर के लखनऊ से वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
(नेशनल वॉयस के एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित)