सोशल मीडिया पर मैं अक्सर देखता हूँ कि नरेंद्र मोदी किसी महिला से मिले नहीं कि उसे लेकर चुटकुलेबाजी शुरू हो जाती है..उनके अकेले होने का मज़ाक उड़ाया जाता है, मसखरी की जाती है.
एक प्रधानमंत्री के नाते आप उनकी नीतियों की,विचारधारा की,फैसले की जमकर आलोचना कीजिये लेकिन किसी के अकेले होने, अविवाहित होने,तलाकशुदा होने,परित्यक्ता होने का उपहास उड़ाना सिर्फ नैतिकता के आधार पर गलत नहीं,मानवाधिकार का उल्लंघन है..और अफ़सोस कि ऐसा करने में एक से एक प्रोग्रेसिव लोग शामिल है..
कई बार उन पर नरेंद्र मोदी इतने हावी होते हैं कि वो ये भूल जाते हैं कि वो आलोचना के नाम पर वही तंग नजरिया पेश कर रहे हैं जिसके लिये वो दूसरों को कोसते हैं..आपको पब्लिक स्फीयर में किस करने की आज़ादी चाहिये जो कि बेहद ज़रूरी है तो क्या किसी को अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से चुनने का हक़ नहीं है ?
और नरेंद्र मोदी के साथ की महिला के साथ आपकी क्या समझ होती है?