क्या जापानी मीडिया ने भी मोदी के जापान दौरे को उतनी ही तरजीह दी जितना की भारतीय मीडिया ने दी?

पंकज कुमार @ Email : pankajk@abpnews.in

Modi japan 2क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे को भारतीय मीडिया ने ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर दिखाया? प्रधानमंत्री जापान दौरे पर थे, उनके हर प्रोग्राम को भारत में लगभग सभी न्यूज चैनलों ने लाइव दिखाया. उनकी हर बात अखबारों में पहले पेज की सुर्खियां बनीं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो विदेश के दौरे पर गए थे. क्या पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अटल बिहारी बाजपेयी किसी विदेश दौरे पर नहीं गए?

आखिर तब उनकी विदेश यात्राएं अखबारों की सुर्खियां क्यों नहीं बनीं? या फिर नरेंद्र मोदी पहले पीएम थे जो जापान के दौरे पर गए थे जिससे भारतीय मीडिया अति उत्साहित हो गई. या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जापान से कुछ ऐसा मिल गया हों जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं जिसकी वजह से भारतीय मीडिया मोदी-मोदी कर रही है.

ये तमाम सवाल हैं जो शायद आपके मन में भी उठ रहा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे को भारतीय मीडिया ने कैसे जगह दी ये तो आपने देखा ही, लेकिन क्या जापानी मीडिया ने भी मोदी के जापान दौरे को उतनी ही तरजीह दी जितना की भारतीय मीडिया ने दी? ये एक अहम सवाल है. जब हम जापानी अखबारों का विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि जापानी मीडिया ने मोदी को कुछ खास जगह नहीं दी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जापानी अखबारों ने अपने बिजनेस के पेज तक ही सीमित रखा. जापान टाइम्स ने नरेंद्र मोदी के उस स्टेटमेंट को हेडलाइन बनाया है जिसमें वो कहते हैं कि ‘जापान के लिए भारत एक विशाल बाजार है.’

अखबार जापान टूडे ने भी मोदी के जापान दौरे को बिजनेस के पेज पर जगह देते हुए लिखता है कि जापान 3.5 ट्रिलियन येन (जापानी मुद्रा) अगले पांच सालों में भारत में निवेश करेगा. और 50 बिलियन येन (जापानी मुद्रा) भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लोन देगा. अखबार अपने आखिरी कॉलम में लिखता है कि जापानी बिजनेसमैन तेजी से बढ़ते दक्षिण पूर्व एशिया और भारत के बाजार में अपना व्यापार और निवेश बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि यहां करीब 1.3 बिलियन आबादी है.

तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जापान से ये मिला. जिसका भारतीय मीडिया ने किस तरह विश्लेषण किया और जापानी मीडिया ने किस तरह विश्लेषण किया आपने देखा. हर देश भारत में निवेश करना चाहता है क्योंकि विकसित देशों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. अमेरिका, यूरोपिय देश या फिर एशिया के चीन हो या जापान सभी भारत में निवेश करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले हर साल भारतीय प्रधानमंत्री और जापानी प्रधानमंत्री मिलते रहे हैं. ये रिवाज करीब 15 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने शुरू किया था.

भारतीय मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के उस पहलू को तो दिखा दिया जिसमें जापान अगले पांच सालों में भारत में लंबा चौड़ा निवेश करने वाला है. लेकिन भारत और जापान के बीच एक अहम परमाणु समझौता नहीं हो पाया. इसकी कोई खास चर्चा किसी मीडिया समूह ने नहीं की.

जिसके तहत जापान को अपने न्यूक्लियर तकनीक भारत को देना था. जिससे की भारत के न्यूक्लियर प्लांट और सक्षम हो पाएं. भारत में फिलहाल 6 जगहों पर 20 छोटे रिएक्टर हैं. जिनसे करीब 4780 मेगावॉट बिजली बनती है. जिससे की बिजली की कुल जरुरतों का 2 प्रतिशत ही पूरा हो पाता है. लेकिन भारत साल 2032 तक न्यूक्लियर प्लांट से 63000 मेगावॉट तक बिजली बनाना चाहता है. लेकिन अब जापान और भारत के बीच न्यूक्लियर डील ना हो पाने की वजह से भारत की इन कोशिशों को करारा झटका लगा है.

यानी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा को अगर भारत के लिहाज से देखें तो पूरी तरह सफल नहीं मानी जा सकता है. फिर सवाल उठता है कि भारत के लगभग सभी अखबार और न्यूज चैनल सरकार के प्रवक्ता की तरह मोदी के जापान दौरे को क्यों तरजीह दी. क्या चुनावों के बाद भी नरेंद्र मोदी का मीडिया मैनेजमेंट काम कर रहा है ? या फिर नरेंद्र मोदी जानबूझकर ऐसा करते हैं ताकि मीडिया उनको जगह दे. और वो मीडिया के माध्यम से आम जनता तक अपनी बात को आसानी से पहुंचा सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में बांसुरी बजायी, एक बच्चे के कान खींचे, वंदे मातरम् गाया. ड्रम बजाया. जापान के सम्राट को श्रीमद् भागवत गीता भेंट की.

ये वो चीजें हैं जो फिलहाल भारतीय मीडिया के लिए दो देशों के सामरिक रणनीतियों और समझौतों से ज्यादा महत्वपूर्ण है. भारत और जापान के न्यूक्लियर डील से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. और ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जानते हैं. ये सभी खबरें अखबारों की हेड लाइन बनीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान दौरा सफल घोषित कर दिया गया. लेकिन क्या नरेंद्र मोदी का जापान दौरा वाकई सफल है ये तो अगले पांच साल बाद ही पता चलेगा. आखिर जापान भारत के किन क्षेत्रों में निवेश करता है. और उस निवेश से किसे ज्यादा फायदा होता है, जापान को या फिर भारत को ?

(एबीपी न्यूज़ के ब्लॉग सेक्शन से साभार)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.