मनीष ठाकुर,वरिष्ठ पत्रकार-
भारतीय ‘कॉम रेड’ की नफरत और साजिश में बड़ी ताकत है.देखिए न वाजपेयी सरकार को कमजोर करने के लिए लगातार गुजरात के मोदी के खिलाफ साजिश की ताकि दाग वाजपेयी सरकार पर लगे.इसके लिए तहलका से फर्जी स्टिंग कराया गया,तीस्ता सितलबाड को फंडिंग की गई.स्तर इतना गिरा की एक स्टिंग यह किया गया कि एक दंगे के दौरान एक मुस्लिम महिला के गर्भ से बच्चा निकाला गया फिर उसे पटक कर हत्या कर दी गई. एक मुस्लिम युवक की तस्वीर अखबारों में खुब बेचा गया कि वो दंगाई से डर हुआ है.जिंदगी की भिख मांग रहा है.जब कि सच का इससे कोई वास्ता नहीं था.
यू ट्यूब पर उस युवक का इंटरव्यू आप देख सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी एसआईटी की रिपोर्ट मे इसका पूरा सच है . इसी रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस काल में सुप्रीम कोर्ट की बनी एसआईटी ने माना कि कैसे दंगा के दौरान गलत तरीके से अपने आरोप को साबित करने के लिए देश को बदनाम किया गया. कभी ये रिपोर्ट मीडिया की सुर्खियों में नहीं रहा।
एक कहावत है कि झूठ बार बार बोलने से सच हो जाता है.लेकिन एक मानवीय सोच है कि यदि आप किसी की शिकायत या उसके खिलाफ फरेब करते हैं तो माहोल आपके खिलाफ बनने लगता है. इस देश की राजनीति के साथ यही हुआ है. मोदी उसी नफरत की उपज है.जो देश मानता थी कि बीजेपी कभी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करेगी और मोदी जैसे लोग देश के प्रधानमंत्री नहीं हो सकते उनने आज यूपी में योगी को भी देख लिय़ा.
हद है कि प्रचंड बहुमत से चुने गए मोदी को ये कॉम रेड खुद मिट जाने के बाद भी स्वीकार नहीं कर पा रहे. मोदी की जनता में बढती ताकत उसी की प्रतिक्रिया है.
केसरिया रंग स्रवाभिमान,बलिदान और वीरता का प्रतिक है.केसरिया, भारतीय ध्वज में बल और साहस भरने का प्रतिक है लेकिन कांग्रेस एजेंट कॉमरेड पत्रकारों ने केसरिया को नफरत का प्रतिक बना दिया.यह सब सिर्फ मुस्लिम वोटों के तुष्टिकरण के कारण हुआ. कई दशक तक कांग्रेस एजेंटो का यह दांव लोकतांत्रिक व्यवस्था में सटीक साबित हुआ. मेरा मानना है कि लोकतंत्र में सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक दल को हर तरकीब अपनाना चाहिए.इसमें कुछ भी बुरा नहीं लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद उसे जनहित में काम करना चाहिए. यह फंडा किसी राजनीतिक दल के लिए तो मान्य हो सकता है लेकिन नफरत फैलाना साजिश करने का धंधा चौथा स्त्ंभ कैसे कर सकता है.लेकिन वो लगातार कर रहा है.अब छवि योगी की जो बनाई जा रही है वो कट्टर हिंदु की,डराने वाले राजनेता की,जब यह भ्रम टूटेगा तो साजिश करने वाले फरेबी ज्ञानवीरों,कांग्रेस एजेंट कॉम रेड और हाशिए पर जाएंगे. लेकिन विपक्ष का लगातार गिरता स्तर जनता की नजर में ज्ञानवीरों के फरेबी होने की पहचान लोकतंत्र के लिए घातक है.