“अनिल पांडे,वरिष्ठ पत्रकार”-
#बजट विश्लेषण:
बच्चों के लिहाज से बजट का विश्लेषण कर रहा था। थोड़ी माथा पच्ची के बाद समझ में आया की मोदी सरकार ने बच्चों का बजट बढ़ाया है। मनरेगा के बजट में वृद्धि और किसानों की आय बढ़ाने जैसी योजनाओं से भी बच्चों को लाभ होगा। सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है। पिछले साल की तुलना में बच्चों के बजट में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन इसे और बढ़ाने की जरूरत है। महिला एंव बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के करीब दर्जनभर ऐसे मंत्रालय हैं जिनका बच्चों से वास्ता रहता है। पिछली बार इन मंत्रालयों के तहत बच्चों के मद में 65,758.45 करोड़ रूपये आवंटित किए गए थे, इसे इस बार बढ़ा कर 71,305.35 करोड़ रूपये कर दिया गया है। लेकिन देश में बच्चों की जनसंख्या के हिसाब से यह धन भी अपर्याप्त है। भारत की जनगणना-2011 के मुताबिक देश में बच्चों की जनसंख्या (18 साल से कम उम्र) करीब 39 फीसदी है। लेकिन केंद्रीय बजट का महज 3.3 फीसदी हिस्सा ही उनकी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खर्च किया जाता है। आखिर बच्चे ही तो देश का भविष्य हैं। लेकिन, हर साल लाखों बच्चे कुपोषण, यौन हिंसा और दासता के शिकार हो रहे हैं। उनकी खरीद फरोख्त कर उनसे वेश्या वृत्ति और बाल मजदूरी कराई जा रही है। जानेमाने बाल अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी बार-बार दुहरा रहे हैं कि बच्चों के विकास के बगैर किसी भी देश का दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास नहीं हो सकता। “सुरक्षित बचपन- सशक्त भारत” का उन्होंने नारा भी दिया है।
बजट की कुछ और घोषणाओं का बच्चों पर सकारत्मक असर होगा। केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है। अरुण जेटली ने पांच सालों में किसानों की आय में दुगनी बढ़ोत्तरी का एलान किया है। किसानों की आय बढ़ने से वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे। कृषि में ही सबसे ज्यादा बाल मजदूरी है। ज्यादातर सीमांत किसान स्कूल भेजने की बजाए अपने बच्चों से खुद के खेतों में या फिर किसी और के खेत में बाल मजदूरी करवाते हैं। आय बढ़ने पर वह अपने बच्चों को तालीम दिलवा पाएंगे। देखा गया है कि गरीब लोगों में भी अब अपने बच्चों को पढ़ाने और कुछ बनाने की ललक जगी है। लेकिन धन के अभाव में वह अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाते। मनरेगा से भी देश में बाल मजदूरी कम होगी। मोदी सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए मनरेगा बजट को 38,500 करोड़ से बढ़ा कर 48,000 करोड़ रूपये कर दिया है। यह मनरेगा का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। इससे गरीबों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। तमाम अध्ययनों से पता चला है कि ज्यादातर बेरोजगार लोग ही अपने बच्चों को बाल श्रमिक बनाते हैं।