भोपाल, 24 सितम्बर / मध्यप्रदेश सरकार दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन के आधार पर चला रहा हूँ। विकास का प्रकाश गरीब की जिंदगी तक पहुँचे यही मेरा मुख्य उद्देश्य है। सबको भोजन मिले, रहने के लिए मकान और पहनने के लिए कपड़ा मिले, शिक्षा मिले, स्वास्थ्य लाभ मिले ऐसा प्रयास मध्यप्रदेश सरकार कर रही है और यही दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन का मूल मंत्र है। इस दर्शन को हम मध्यप्रदेश की धरती पर उतार कर उसे विकास के पथ पर अग्रणी राज्य बनाने के काम में लगे हुये हैं। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में “एकात्म मानवदर्शन और मीडिया की भूमिका” पर बोलते हुये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं विश्वविद्यालय महापरिषद के अध्यक्ष श्री शिवराज सिंह चौहान ने रखे।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती तथा उनके द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन की 50वीं वर्षगांठ के प्रसंग पर आयोजित व्याख्यान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के जनसंपर्क एवं ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम मंगल मिशन की सफलता पर प्रदेशवासियों को एवं देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हमारे सत्ताधीशों को पश्चिम का मार्ग उचित लगा, उन्हें लगा कि इस राह पर चलकर देश को सफल बनाया जा सकता है। आज राजतंत्र, साम्यवाद और पूँजीवाद का हश्र दुनिया के सामने है। भारत को पूरी दुनिया के समक्ष अग्रणी राष्ट्र बनाने का एकमात्र रास्ता है कि हमारा देश एकात्म मानवदर्शन के रास्ते पर चले। यह दर्शन शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा के सुख पर आधारित है। मनुष्य शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा का समुच्चय है। अतः मनुष्य को शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा का सुख मिलना चाहिए। अर्थ का अभाव बुरा है परंतु अर्थ का प्रभाव भी नहीं होना चाहिए। धर्म, अर्थ, मोक्ष, काम हमारे पुरुषार्थ हैं। व्यक्ति में, ‘मैं’नहीं बल्कि ‘हम’का भाव होना चाहिए।
एकात्म मानवदर्शन कहता है कि समाज के भी शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा होते हैं। हम सब सामूहिक रूप में समाज का शरीर हैं, सामूहिक इच्छाशक्ति मन है। समाज को चलाने के नियम बुद्धि है और भारत की चिति भारत की आत्मा है। देश का प्रेम हमारा पुरुषार्थ है। सभी प्राणियों के प्रति आत्मभाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी के इसी दर्शन के आधार पर मैं मध्यप्रदेश की सरकार चला रहा हूँ। सरकार की सभी योजनाओं में आपको दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन की झलक मिलेगी।
इस अवसर पर बोलते हुये मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि एकात्म मानवदर्शन एक बहुत ही सुंदर दर्शन है और इसके प्रसार में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह दर्शन समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने पर केन्द्रित है। इस दर्शन की परिकल्पना दीनदयाल उपाध्याय जी ने मध्यप्रदेश में जनसंघ के ग्वालियर अधिवेशन में प्रस्तुत की थी। अतः मध्यप्रदेश का यह फर्ज बनता है कि हम इस दर्शन को पूरी दुनिया में फैलायें। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की दो पुस्तकों ‘इलेक्ट्रॉ निक मीडिया’ एवं ‘भारतीय जनजाति समाजः संवाद परंपराएं एवं सांस्कृतिक आस्थाएं’ का लोकार्पण किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय की त्रैमासिक गृह पत्रिका ‘एमसीयू समाचार’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुठियाला ने मुख्यमंत्री एवं जनसंपर्क मंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुये धन्यवाद ज्ञापित किया।