अभय सिंह,राजनीतिक विश्लेषक-
यूपी चुनाव में मायावती और पंजाब,गोवा में केजरीवाल की ऐसी दुर्गति हुई की आज मायावती राज्यसभा में जाने की स्थिति में नहीं है और वहीँ दूसरी ओर सरकार बनाने का दावा करने वाले केजरीवाल की गोवा और पंजाब में करारी हार हुई साथ ही वहाँ क्रमशः 37 एवं 29 सीटों पर उनके उमीदवारो की जमानत जब्त हुई।उन्हें पंजाब में कमजोर अकाली दल से भी कम वोट मिले।
2007 में मायावती को और 2015 में केजरीवाल को यूपी और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारी जीत मिली तब इन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताया था तब इन्हें इवीएम से कोई परहेज नहीं था और आज करारी हार मिली तो लोकतंत्र की हत्या ,चुनाव आयोग पर ही प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया। बेहतर तो ये होता की हार से बौखलाए,कुंठित नेता अपनी हार को स्वीकार करते एवं अपनी कमियों पर आत्ममंथन करते।