आलोक कुमार
राष्ट्र की पहचान बापू व शुचिता व दृढ़ता के प्रतीक शास्त्री जी को कोटिशः नमन ….
बापू के लिए बहुत – कुछ कहा सुना जा चुका है और आगे भी जब भारत की चर्चा होगी तब बापू का नाम स्वत: ही आएगा लेकिन शास्त्री जी हमारी वो अमूल्य धरोहर हैं जिन्हें ‘एक परिवार विशेष’ को अनावश्यक रूप से महिमा-मंडित करने हेतू जान-बूझ कर नजर अंदाज किया गया ….. आज भारत का नेतृत्व फिर से ‘श्रेष्ठ – भारत’ की बातें कहता दिख रहा है , इस अवधारणा का आह्वान आज से दशकों पहले शास्त्री जी ने सरल शब्दों “जय जवान , जय किसान” के रूप में किया था ….. आधुनिक व मजबूत भारत की अगर कोई सोच चरितार्थ होते हुई दिखाई देती है तो उसमें शास्त्री जी योगदान किसी से कम नहीं है … मैं फिर से दुहराऊंगा “किसी से कम नहीं” ….. कोई माने या ना माने लेकिन ये सत्य (निर्विवाद) है कि राष्ट्रहित पर कोई भी “समझौता” नहीं करना देश को शास्त्री जी ने ही सिखलाया …. स्वतंत्र भारत के पहले दृढ़ व अडिग नेतृत्व- कर्ता के रूप शास्त्री जी को याद करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी ….
अजीब विडम्बना है …. भारत में ‘एक परिवार’ के शासन के अलावा भी कई सरकारें आईं लेकिन किसी ने भी शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई रहस्यमयी मौत पर से पर्दा उठाने की कोशिश ही नहीं की …. क्या ये राष्ट्रहित में नहीं होगा या देशवासी इसके हकदार नहीं कि शास्त्री जी की मौत के सच से रूबरू हों ? क्या शास्त्री जी की संदेहास्पद व असामान्य परिस्थितियों हुई मृत्यु के ‘तार’ भारत से नहीं जुड़े हैं ? क्या आज शास्त्री जी की प्रासंगिकता केवल जयंती , पुण्यतिथि व उनके तैलचित्रों – मूर्तियों पर माल्यार्पण तक ही सीमित है ?
आज भारत का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है जिसे देश एक राष्ट्र-भक्त व मजबूत शासक के रूप में देखता है और जो अपने भाषणों में शास्त्री जी का जिक्र बड़े फक्र से करता आया है , ऐसे में यहाँ अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इनके कार्यकाल में शास्त्री जी को उस रूप में याद करने की कोई कोशिश होती है जिससे शास्त्री जी का नहीं अपितु देश का मान बढ़ेगा और आने वाली पीढ़ियाँ शास्त्री जी जैसे , काठी में छोटे लेकिन हिमालय से भी ज्यादा अडिग , व्यक्तित्व से प्रेरणा ले सकें ….. आज महानवमी के पावन अवसर पर कामना व प्रार्थना है “सबको (भारत के नेतृत्व व राजनीतिक तबके को ) सन्मति दे भगवान ….” और भारत माँ की कोख से अनेकों ‘लाल बहादुरों’ का फिर से जन्म हो …..
वन्दे मातरम …… जय जवान , जय किसान …..
(आलोक कुमार )
(वरिष्ठ पत्रकार व विश्लेषक, पटना ).