अभय सिंह,राजनीतिक विश्लेषक-
ना तो मैं ओम थानवी,अभय दुबे हूँ जो दिन रात केजरीवाल की चापलूसी करूँगा और ना ही जी न्यूज़ का एंकर हूँ जो उनकी लगातार आलोचना करूँगा।
दोनों ही रूप नकारात्मक एवं सत्य से कोसों दूर हैं। बस एक दृष्टा के रूप में केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य का आकलन तर्कसंगत, तथ्यों के आधार पर करने का प्रयास करूँगा.
-केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के राजनीतिक सफर की शुरुआत बेहद सकारात्मक एक बड़ी उम्मीद के साथ हुई थी ।2015 में दिल्ली की जनता के अपार जनसमर्थन से केजरीवाल के राजनीतिक पारी की शानदार शुरुआत हुई।चुनावों में किये गए वायदों के अनुसार उन्होंने बिजली, पानी के बिल कम किये साथ ही,मोहल्ला क्लीनिक ,आड इवन जैसे बेहतरीन प्रोग्राम भी बनाये जिसकी जनता से भरपूर सराहना भी मिली ।लेकिन ये अपेक्षित सफलता नहीं पा सके।मोहल्ला क्लीनिक आप कार्यकर्ताओ के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए और डेंगू पर दोषारोपण लचर रवैया साथ ही उनके गैरजिम्मेदाराना रवैये, प्रशासनिक शिथिलता से दिल्ली में प्रदूषण स्तर खतरनाक स्थिति में पहुँच गया जिससे दिल्ली गैस चेम्बर में तब्दील हो गयी
-वर्ष 2016 आते-आते केजरीवाल को इस बात का आभास भलीभांति होगया था की दिल्ली में उनके अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित हैं ।दिल्लीपुलिस,जमीन के अधिकार ,ट्रांसफर पोस्टिंग सहित अनेक अधिकार एलजी को संविधान द्वारा प्रदत्त है।
-दिल्ली में कामकाज की बजाय उन्होंने मीडिया में सुर्खिया बटोरने के लिए एलजी और केंद्र से टकराव का रास्ता अपनाया ।
-लगातार केंद्र,पीएम मोदी पर अनर्गल आरोप लगाना उनकी नकारात्मक राजनीति का अहम अंग बन गया।जिससे जनता में उनकी छवि नकारात्मक ,अगंभीर राजनेता की हुई।
-उनके विधायको पर लगातार लगते गंभीर आरोप ,विधायको का वेतन भत्ता 5 गुना करना,जनता के 525 करोड़ पंजाब चुनाव के लिए खुद के विज्ञापन प्रचार प्रसार में फूंकना,नोट बंदी जैसे मुद्दों पर ढुलमुल नीति जैसे अनेको नकारात्मक कार्यो से 1 साल के भीतर ही दिल्ली में एक अभूतपूर्व सत्ता विरोधी लहर मौजूद हो गयी ।अभी हाल ही में केजरीवाल सरकार के 2 साल पुरे होने के सर्वे में उनको जनता ने नापसंद किया ।
-पंजाब चुनाव में केजरीवाल को दिल्ली की मीडिया,पत्रकारों के भारी समर्थन,अनेक एग्जिट पोल में आगे रहने के बावजूद वे अकाली बीजेपी सरकार की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने में बुरी तरह नाकाम रहे।इसका अंदाजा इस बात से लगाइये की उनको अकाली दल(25.4℅) से भी कम वोट मिले29 सीटों पर उनकी जमानत जब्त हुई ।गोवा में 39 सीटों में 37 में उनकी जमानत जब्त हुई।इतनी बुरी हार ने केजरीवाल को अंदर ही अंदर इतना भयभीत कर दिया इसकी झलक चुनाव आयोग से ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान का उनका आग्रह जाहिर कर देता है।
-कुछ दिनों में ही उनके 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होगी हो सकता है की उसके चुनाव एमसीडी चुनाव के साथ ही संपन्न हों ।2 साल में दिल्ली में केजरीवाल के खिलाफ बनी सत्ता विरोधी लहर का बीजेपी,कांग्रेस को फायदा मिलना तय है।
– पंजाब,गोवा, मणिपुर में कांग्रेस का प्रदर्शन अभूतपूर्व रहा।पंजाब, में कांग्रेस ने आप को बुरी तरह हराया ।कांग्रेस का उत्थान ही केजरीवाल की राजनीति का अंत तय कर देगा ये तय है।