अभिरंजन कुमार
केजरीवाल का आज का भाषण बेहद संतुलित और राजनीतिक रूप से परिपक्व था। पिछली बार की ग़लतियों से सबक लेने और इस बार कुर्सी पर जमे रहने का संकल्प उनके भाषण में दिखाई दिया। लालच और अहंकार से बचने का सबक अच्छा है।
केजरीवाल ने मीडिया से हनीमून पीरियड मांगा हैं। वे कह रहे हैं कि 24 घंटे, 48 घंटे, 72 घंटे में किसी चीज़ की अपेक्षा न करें। सरकार ऐसे नहीं चलती है। ये अलग बात है कि आंदोलनकारी के तौर पर और पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर वे केंद्र सरकार को ऐसे ही घंटों में अल्टीमेटम दिया करते थे।
केजरीवाल मीडिया से मज़ाक न बनाने की भी गुज़ारिश कर रहे हैं। इसी के साथ साफ़ हो गया कि कम से कम 5 कमरों का बंगला और 500 लोगों के बैठने लायक दफ्तर वे लेने जा रहे हैं। सभी मंत्रियों और विधायकों को ठीक-ठाक गाड़ियां भी बांटी जाने वाली है। उन्होंने कहा है कि बिना गाड़ी के काम कैसे होगा?
उन्होंने हालांकि यह तो कहा है कि अभी दूसरे राज्यों में चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि लोकसभा चुनाव जैसी हड़बड़ाहट वे भले ही न दिखाएं, लेकिन सधे हुए कदमों से पर्याप्त समय लेकर बारी-बारी से वे अन्य राज्यों में भी जाएंगे। महत्वाकांक्षा और केजरीवाल पर्यायवाची हैं।
दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे के मुद्दे पर वे बीजेपी को घेरते रहेंगे और भ्रष्टाचार को खत्म करने का मैकेनिज्म वही होगा, जो पहले था। मसलन- हेल्पलाइन, स्टिंग ऑपरेशन, जनलोकपाल और घूस मांगने वालों में डर पैदा करना।
पांच साल में दिल्ली को देश का पहला भ्रष्टाचार-मुक्त राज्य बनाने का संकल्प उन्होंने लिया है। दिल्ली भ्रष्टाचार-मुक्त बन जाए तो सोने में सुगंध, लेकिन इस दौरान अगर उनकी अपनी पार्टी के लोग भी भ्रष्ट होने से बचे रह पाए, तो हम इसे बहुत बड़ी उपलब्धि मानेंगे। @fb