मुंबई में दो महिला पत्रकार समेत तीन पत्रकारों को बुरी तरह से पिटा गया. मुंबई के सांताक्रूज में गोलीबार इलाके में एक गैस सिलेंडर का विस्फोट हुआ.इस दुर्घटना को कवर करने प्रिन्ट और इलेक्टॉनिक मीडिया के रिपोर्टर तथा कैमरामैन घटनास्थल पर पहुच गए.
पत्रकार अपना काम कर रहे थे कि तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने हाथ में चप्पल ले के एबीपी माझा की रिपोर्टर मंनश्री तथा टीवी 9 की कविता और श्रीकांत शंखपाळ को पिटना शुरू कर दिया. इन गुंडो ने पहले महिला पत्रकारों को गालियाँ दी और उनके कैमरा जबरन लेने की कोशिश की.इसका जब वहां मौजूद पुरूष पत्रकारों ने विरोध किया तो सबको पिटाई शुरू कर दी.
इस घटना की पत्रकार हमला विरोधी कृती समिति के प्रमुख एस.एम.देशमुख ने कड़ी शब्दों में आलोचना की है.इस वारदात की जानकारी पुलिस को भी दी गयी है.बाद में एक हमलावार को पुलिस ने हिरासत मे लिया है.
मुंबई जैसे महानगर मे अगर पत्रकार सुरक्षित नही होंगे तो महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके की स्थिति क्या हो सकती है इसका अंदाज लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं. महाराष्ट्र मे हर पाच दिन मे एक पत्रकार पिटा जाता है.इस के विरोध मे राज्य मे पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर पत्रकार पिछले सात साल से लड़ रहे है.
म्माम में सभी नंगे है यहां और हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा।
रातों रात एक छोटा सा रिपोर्टर एक चैनल का मालिक या बड़े अखबार का प्रमुख बन बैठता है यहाँ, और मंच से ऐसी बातें करता है जैसे कोई बहुत बड़ा सामाजिक या रसूखवाला व्यक्ति है वह।
जनाब ये पब्लिक है ये सब जानती है। ख़याल रहे एक दिन ढोल की पोल होकर ही रहती है, बचने का मौक़ा काम ही मिलता है।
हम्माम में सभी नंगे है यहां और हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा।
रातों रात एक छोटा सा रिपोर्टर एक चैनल का मालिक या बड़े अखबार का प्रमुख बन बैठता है यहाँ, और मंच से ऐसी बातें करता है जैसे कोई बहुत बड़ा सामाजिक या रसूखवाला व्यक्ति है वह।
जनाब ये पब्लिक है ये सब जानती है। ख़याल रहे एक दिन ढोल की पोल होकर ही रहती है, बचने का मौक़ा काम ही मिलता है।