क्या ‘जय श्रीराम’ धार्मिक उन्माद का प्रतीक बन चुका है?

राम और श्रीराम के बीच का अंतर : वरिष्ठ पत्रकार रजत अमरनाथ ने सोशल मीडिया पर एक अहम् बहस शुरू की है. उन्होंने सवालिए लहजे में पूछा –

राम राम और जय श्रीराम में फर्क समझना चाहता हूँ…

बहरहाल वे अपनी ही बात को आगे बढ़ाते हुए लिखते हैं – सवाल छोटा सा था पर गंभीर था,मेरे बहुत सारे मुस्लिम दोस्तो को जब मैं “अस्सलाम वलैयकुम” बोलता हूं तो वो बदले मे मुझे “राम राम भाईजान” बोलते हैं क्योंकि उनकी नज़र में राम राम में अगर मिठास है तो “जय श्रीराम” धार्मिक उन्माद का प्रतीक बन चुका है। पुरानी दिल्ली में पैदा हुआ वहीं पला बड़ा रोज़े इफ्तार व्रत नवरात्र ईद दशहरा एक साथ दोस्तो के साथ मनाया लेकिन पिछले कुछ समय से लग रहा सबकुछ जबरदस्ती बांटा जा रहा है बहुत सारे दोस्त राम राम के जवाब में जय श्रीराम कहने लगे हैं हिन्दू दोस्त कट्टरता दिखाने के लिए और मुस्लिम दोस्त ताने में कुछ समझ नही पाया तो सबसे पूछ लिया.

इसपर आयी कुछ और प्रतिक्रियाएं –

Manish Chandra Mishra राम राम ट्रेडिशनल है…दिल से निकलता है..कोई लाग लपेट नहीं…और जय श्री राम नया ट्रेंड हैं…दंगाई कभी राम राम नहीं करते…जय श्री राम को दंगाइयों ने अपवित्र कर दिया है

Sanjeev Trivedi Manish Chandra Mishra बड़ा अफ़सोस हुआ कि आप जय श्री राम को समझा ही नही । आप का आशय की जो जय श्री राम बोलते है वो दंगाई होते है बड़ा ही मूर्खतापूर्ण है

Vinod Kumar जय श्री राम शक्ति का प्रतीक हैं और राम राम विनम्रता का

Anil Nakhasi राम राम मे अनुभूती और नम्रता है, जय श्री राम मे शर्नागत का भाव है और लीला का विस्तार है तथा आशा है

Pradeep Sharma अच्छा इन दोनों ( राम राम और जय श्री राम ) का आधार कार्ड बनो की नाय…हमाये गाँव का डीलर बता रहा था कि जल्दी बनबाय लियो वर्ना… मिटटी को तेल नाय मिलेगो…

Shahid Ansari सर राम राम जब कहते हैं तो एक भाव एक मिठास ,प्रेम ,निःस्वार्थ,त्याग,पिता की आदेशों का पालन करना,सौतेली मां को सगी माँ से भी ज़्यादा इज़्ज़त देना,आदर करना यह सारे भाव उत्पन्न होते हैं।

जय श्री राम मतलब ललकारना

इससे ज़्यादा मैं नहीं बोल पाउँगा नहीं तो पता चला धार्मिक भावना का शिकार हो जाऊंगा

Vijay Trivedi गलत …… !!! ये Individuality and Unity का फ़र्क हे ! …जब कई मजदुर एक बडे काम को करने जाते हे और जब वो मिलते हे तो “राम-राम” कहते हे! और जब उस काम को (किसी भारी “चीज” को उठाना) करते हे तो सब “एक” साथ बोलते हे “जय श्री राम” और काम बडी आसानी से हो जाता हे

Anant Kumar Pandey आप लोग शायद भूल रहे हैं कि रामायण ग्रंथ में हनुमान जी का जय श्री राम का नारा प्रिय नारा रहा है l
जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है

Triveni Prasad Pandey रजत जी दोनों में कोई फर्क नहीं है..जग में सुंदर हैं दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम

Rudra Pratap Singh राम राम-राम जी जब सबरी के हाथों जूठा बेर खाते हैं उसका उदाहरण है। जय श्री राम-जब राम जी प्रत्यंचा पर तीर चढ़ाते हैं,उसका उदाहरण है। इन दो उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि हम क्या कहना चाहते हैं? बाद बांकी तो आप खुद ही समझदार हैं।

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