प्रेस विज्ञप्ति
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में “भाषाओं के व्याकरणों का सरलीकरण” विषयक व्याख्यान सम्पन्न
भोपाल, 16 मार्च/ हिन्दी भाषा का निर्माण और आगे बढ़ाने का कार्य पत्रकारिता ने किया है। हिन्दी विकास यात्रा की शुरुआत पत्रकारिता ने की है। किसी भी देश के विकास का संबंध भाषा से है। युवा वर्ग हिन्दी को पिछड़ी भाषा और अंग्रेजी को उन्नत भाषा मानते है। यह विचार कानपुर के प्रख्यात भाषाविद् प्रो. यशभान सिंह तोमर ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्विद्यालय में सोमवार को “भाषाओं के व्याकरणो का सरलीकरण” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। व्याख्यान का आयोजन संचार शोध विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में यशभान सिंह तोमर, कानपुर के अतिरिक्त मंजू पाण्डे उदिता, उत्तराखण्ड एवं प्रो. डा. राजेश श्रीवास्तव, भोपाल ने भी अपने विचार रखे।
प्रो. यशभान ने बताया कि संस्कृत का व्याकरण मूल है जिस पर अन्य भाषाओं का विकास हुआ है। संस्कृत व्याकरण के आधार पर ही हिन्दी, तमिल, पंजाबी, डोंगरी, भोजपुरी के शब्द बने है जिसमें संस्कृत व्याकरण से ज्यादा नजदीकी नजर आती है। अंगे्रजी भाषा का व्याकरण अधूरा लगता है व क्रिकेट, टाई जैसे शब्द केवल अंग्रेजी में है व उनका हिन्दी मूल नही मिलता है। उत्तराखण्ड से आई मंजू पाण्डे जी ने प्राथमिक शिक्षा को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही, कहा कि क्षेत्रीय भाषा को सम्मान देना चाहिए जिससे हमारी भाषा समृद्ध होगी। वहीं प्रो. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि भाषा को मानक रूप देने के लिए व्याकरण की आवश्यकता होती है और हमें भाषा के तकनीकीकरण पर जोर देना चाहिए।
सत्र की अध्यक्षता संचार शोध विभाग की विभागाध्यक्ष डा. मोनिका वर्मा ने की। कार्यक्रम में प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अविनाश वाजपेयी व जनसंपर्क एवं विज्ञापन विभागाध्यक्ष डा. पवित्र श्रीवास्तव मौजूद थे।