पत्रकारों के लिए मजीठिया की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले हरीश शर्मा नहीं रहे

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नई दिल्ली, 5 नवंबर। कर्मचारियों के मसीहा हरीश शर्मा आज पंचतत्व में विलीन हो गए। लगभग 80 वर्षीय हरीश शर्मा का कल घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके निधन से मजीठिया का केस लड़ रहे मीडियाकर्मियों में शोक की लहर है।

आज सुबह उनका अंतिम संस्कार कड़कड़डूमा अदालत के पास स्थित ज्वाला नगर के श्मशान घाट पर किया गया। बेटे के कनाड़ा से नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी चित्ता को नजदीक रिश्तेदार ने अग्नि दी।

हरीश शर्मा कर्मचारियों के बहुत बडे़ शुभचिंतक थे। वे उस बात का खुलकर विरोध करते थे, जो कर्मचारियों के खिलाफ होती थीं।

उन्होंने बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने पेशे को पूरी तरह से कर्मचारियों को समर्पित कर दिया था।

मजीठिया आंदोलन में शामिल पत्रकार पहली बार उनसे 2016 में मिले और उनके कायल हो गए।

उसके बाद हरीश शर्मा ने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का अध्ययन करने के बाद उसकी बारिकियों से मीडियाकर्मियों को अवगत करवाना शुरू किया।

हरीश शर्मा की इस कर्मठता और ईमानदारी से उनके पास देखते ही देखते लगभग 250 मीडियाकर्मियों के मामले आ गए।

उनका इस नश्वर संसार से जाना कर्मचारियों विशेषतौर मीडियाकर्मियों के लिए बहुत बड़ा सदमा है।

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