पंकज शुक्ला
ये रामपाल और आसाराम जैसे लोगों के नाम के साथ अंग्रेजी मीडिया “गॉडमैन” जैसे अलंकरण क्यों लगा देता है? पहले ईश्वर के दूत गढ़ने की बेताबी और फिर उनकी पोल खुलने पर इन शब्दों को कोट-अनकोट में लिखकर अपनी दाढ़ी के तिनके को छिपाने की परेशानी! पत्रकारिता में संयम डोल चुका है। हर खबर अब सनसनी है। सन्नाटे को चीरती सनसनी? क्या वाकई!
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