दिलीप मंडल के निशाने पर इंडिया टुडे के अरुण पूरी

अरुण पूरी की आलोचना

arun puri
अरुण पुरी (गूगल इमेज)

दंगों का खबर बनना बुरा तो है, लेकिन उससे भी बुरा है खबरों का दंगाई बन जाना.रोहित सरदाना की आजतक पर एंकरिंग देख एक संक्षिप्त टिप्पणी –

रोहित सरदाना तो नौकरी कर रहा है. जो करने को कहा जाएगा, करेगा. कल मालिक के कहने पर कांग्रेस जिंदाबाद भी करेगा.

सवाल यह है कि India Today ग्रुप के मालिक अरुण पुरी अपने कर्मचारी रोहित को दंगाई बनने की इजाजत क्यों दे रहे हैं? रोहित की हरकतों से समाज में जो कटुता फैल रही है, उसका जिम्मेदार कौन है?

अरुण पुरी को क्या हो गया है? अब कौन सा मुकाम बाकी है, जिसके लिए ऐसे समझौते करने पड़ रहे हैं? इतने साल की कमाई हुई प्रतिष्ठा इस तरह मिट्टी में मिलाई जाएगी क्या?

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