विनीत कुमार
नरेन्द्र मोदी इंटरव्यू संपादन मामले में डीडी न्यूज की साख को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं और अर्णव गोस्वामी से लेकर दलाली में जेल की सजा काट चुके सुधीर चौधरी तक डीएनए टेस्टिंग में लगे हैं, मुझे इसकी सफाई में कुछ कहने से ज्यादा जरूरी ये कहना लग रहा है कि भाई जब एक पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग ने तुम्हारे हिसाब से कांट-छांटकर इंटरव्यू चला दिया तो इतनी मिर्ची लग गयी और आम जनता के पैसे से चलनेवाले माध्यम और ओनरशिप की बहस लेकर बैठ गए. लेकिन ये जो देश के दर्शक चार सौ-पांच सौ केबल ऑपरेटर और डिश टीवी को पैसे देकर टीवी देखते हैं, वो पैसे क्या खैरात में आते हैं ? मैं ये बिल्कुल नहीं कह रहा कि डीडी न्यूज ने जो किया, वो सही है लेकिन जिस परंपरा को आप लगातार बढ़ा रहे हो, उसमे अपवाद की तलाश आप क्यों कर रहे हो ?
रही बात डीडी न्यूज की साख की तो ये मुगालता आपको रहा होगा तो धक्का लगा है. इसे शुरु से सरकारी भोंपू के रूप में बदनाम रहा है. कभी पढ़िएगा सेवंती निनन की किताब- THROUGH THE MAGIC WINDOWS कायदे से समझ बनेगी और अपनी तारीफ न समझें तो मंडी में मीडिया का पहला अध्याय- पब्लिक ब्रॉडकास्टिंगः आपका काम हो जाएगा लेकिन.
ये कौन नहीं जानता है कि पिछले एक साल में डीडी न्यूज और दूसरे पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग पर सुधार के नाम पर पानी की तरह सरकार ने पैसे बहाए, वो पूरी तरह से फ्लॉप हो गया. इस अकेले इंटरव्यू के अलावा इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुई..नहीं तो चुनाव के लिए खबरें तो बाकी भी आ ही रही हैं, कहां असर है लोगों पर.