ओम प्रकाश
विज्ञापन के नाम पर चैनल का संपादक ब्लेकमेलिंग करे, तिहाड़ जेल जाए और उसके बाद भी सिर ऊँचा कर ’56 इंच’ के सीने का ‘डीएनए’ टेस्ट करे, पत्रकारिता पर बड़े-बड़े भाषण दे तो भारतीय पत्रकारिता पर उसका क्या असर होगा? क्या असर होगा ये सवाल अब मौजू नहीं रहा. क्योंकि असर दिखने लगा है. अपनी अकर्मण्यता को छिपाने के लिए गाल बजाने की कवायद शुरू हो गयी और उसी की ताजा मिसाल है डीडी नेशनल की रिपोर्टर आयना पाहूजा.
गोवा से आयना पाहुजा ने जो रिपोर्टिंग की कि उसे देखकर दुनिया हंस-हंस के लोटपोट हो गयी. सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हो गया और मोहतरमा रिपोर्टर के अलावा पत्रकारिता की भी फजीहत हो गयी. दर्शक कहने लगे कि देखो ऐसे होते हैं आज के पत्रकार,एंकर व रिपोर्टर जिन्हें सिर्फ ठंडी-ठंढी हवा ही खानी आती है. जानकारी के नाम पर सिफर…
ख़ैर इस पूरे मामले के बीच खबर आयी कि महिला रिपोर्टर सदमे में है. ‘द टेलिग्राफ’ में खबर छपी कि सोशल मीडिया पर अपना मजाक बनाए जाने की वजह से रिपोर्टर गहरे सदमे में चली गई है. यहां तक कि उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया है. रिपोर्टर के घरवालों ने मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज करा उस विडियो को ब्लॉक कराने की मांग भी की.
मामला यही नहीं रूका. महिला रिपोर्टर के बचाव में दूरदर्शन मुंबई के प्रमुख उतर आए और कहा – ” उसने खराब रिपोर्टिंग की , लेकिन उसके साथ कुछ तकनीकी दिक्कतें भी थीं उसका इयरफोन काम नहीं कर रहा था, जिस वजह से वह शो के प्रड्यूसर से निर्देश नहीं ले पा रही थी. और वहां इतनी भीड़ भी थी. ऐसा लग रहा था कि वह नर्वस हो गई थी.”
मामला यही नहीं रूका.सदमे में गयी रिपोर्टर सदमे से बाहर आकर अपने आपको डिफेंड करते हुए कहा – “यह जो कुछ हुआ है, उसके बाद मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। मेरे सारे असाइनमेंट्स और प्रॉजेक्ट्स मुझसे छीन लिए गए हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं आत्महत्या कर लूं। मुझे नहीं पता कि अब मेरे करियर का क्या होगा।
मैंने ‘गवर्नर ऑफ इंडिया’ जान-बूझकर नहीं बोला था, बस मेरी जबान फिसल गई थी। वहां पर बहुत तकनीकी दिक्कतें थीं। लेकिन, मैं आपसे एक चीज बोलना चाहूंगी, कि मेरे साथ जो होना था, वह हो गया। आप लोग हंस रहे हो, शायद हंसते रहोगे। मेरा मजाक उड़ा रहे हो। बन चुका है मेरा मजाक पूरी तरह से। लेकिन, अगर भविष्य में किसी के साथ ऐसा हो तो प्लीज आप उसके साथ ऐसा व्यवहार न करना।”
गौरतलब है कि महिला रिपोर्टर के पूरे बयान के दौरान कहीं माफ़ी का स्वर नहीं था. मतलब साफ़ है कि दूरदर्शन की रिपोर्टर आयना पाहूजा को अपने मजाक बनाये जाने का गम है मगर कोई अपराधबोध नहीं कि उसकी वजह से बाकी के एंकर और रिपोर्टरों की छवि कितनी खराब हुई है. आयना पाहूजा इतनी ज्यादा आहत हो गयी कि आत्महत्या तक का विचार आ गया. लेकिन शर्म फिर भी नहीं आयी….
(एक दर्शक की प्रतिक्रिया)