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जेटली ने कहा कि रेडियो ने भूतकाल में सूचना के प्रचार के एक यंत्र के रूप में कार्य किया और यह भविष्य में भी ऐसा ही करेगा जिसमें सामुदायिक रेडियो, रेडियो के माध्यम से प्रचार की विषय वस्तु के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा है। एक अवधारणा के तौर पर सामुदायिक रेडियो विचार को आकर्षक रूप में व्यक्त करने की सुविधा देता है। इसके विचार का मुद्दा संस्कृति, भाषा, व्यवहार आदि कुछ भी हो सकता है। सम्मेलन में 3 दिन होने वाले विचार-विमर्श पर जेटली ने कहा कि इससे मंत्रालय को भविष्य की नीतिगत योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने का अवसर मिलेगा।
जेटली ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र का विस्तार करने और इसके सहारे सामाजिक बदलाव के जरिये समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने को प्रतिबद्ध है। सम्मेलन के जरिये सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लाभान्वित होने वाले लोगों और श्रोताओं को लाभ होगा।
इस अवसर पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव विमल जुलका ने कहा कि सामुदायिक रेडियो वाणिज्यिक और सार्वजनिक के अतिरिक्त प्रसारण का तीसरा मॉडल है। एक संचार प्लेटफार्म के रूप में यह भौगोलिक तौर पर दूर दराज के क्षेत्र में बसे समुदायों के हितों का माध्यम है। सामुदायिक रेडियो, ग्रामीण रेडियो, कॉरपोरेटिव रेडियो, विकास रेडियो भाषायी तथा सांस्कृतिक दृष्टि से विविधता भरे देश को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम है।
जुलका ने उच्चतम न्यायालय के हाल ही के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि रेडियो तरंगों को सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया जा चुका है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने विभिन्न श्रेणियों में 4वें राष्ट्रीय सामुदायिक पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौर भी उपस्थित थे।