(मुकेश कुमार)- छद्म राष्ट्रवादी बेशक इसे झुठलाते रहें कि उन्होंने बापू की हत्या नहीं की, मगर ये कार्टून बताता है कि ऐसा करने की प्रबल इच्छा उनमें थी।
(अशोक कुमार पांडे)- यह कार्टून आज़ादी के पहले 1945 में नारायण आप्टे द्वारा प्रकाशित और गोडसे द्वारा संपादित पत्रिका “अग्रणी” में छपा था. Gopal Rathi जी की वाल से मिला. इसे गौर से देखिएगा. पटेल भी हैं इसमें और अम्बेडकर भी. आज जब वे उन्हें क्लेम कर रहे हैं तो यह कार्टून उस क्लेम की असलियत बता रहा है.
झूठ के पाँव होते हैं, लेकिन सच की ज़मीन पर रखते ही गल जाते हैं वे. चाहूंगा कि मित्र शेयर करें इसे. सच की ज़मीन विस्तारित करें. @fb