और ये एकता दिवस मनाने का आह्वान करते हैं ?
सत्ता की कुर्सी मिल जाने पर भी बैठने की कुर्सी हथियाने में भला क्या मजा आया होगा, बीजेपी के इस विधायक को ? ये सवाल आप में से हर किसी के जेहन में उठ रहा होगा जो इस तस्वीर से गुजर हों..दिल्ली के बीजेपी विधायक साहिब सिंह चौहान दिल्ली विधान सभा भंग होने के मौके पर अरविंद केजरीवाल की लगी चीट फाड़ते हैं और उस सीट पर खुद जाकर बैठ जाते हैं..कहने को तो ये स्कूली बच्चों जैसी बदमाशी भर है..लेकिन बीजेपी जैसी देश की अकेली पार्टी जो अपने संस्कृति रक्षक और भारतीय परंपरा का विस्तार देने का दावा करती आयी है, ये मामूली हरकत पार्टी की गरिमा और कद को कितना बौना कर देता है जो कुछ नहीं तो देश की संस्कृति का इतना ककहरा तो जरूर जानते हैं कि हम तो किसी के आने पर अपनी सीट छोड़ देते हैं, दूसरी की पहले से निर्धारित सीट पर तो बैठने का सवाल ही नहीं उठता.
बीजेपी इस देश की सबसे बड़ी, ताकतवर और संसाधनों से लैश पार्टी है. ये बताने के लिए क्या जनता ने उन्हें कम प्रमाण और औजार दिए हैं..ऐसे में लोकतंत्र की ताकत को इस तरह की ताकत दिखाने का तो सिर्फ एक ही मतलब रह जाता है कि आप अपनी ताकत सिर्फ लोकतंत्र के भीतर नहीं, गुंडई की जमीन पर भी दिखाना चाहते हैं. छोड़ दीजिए किसकी पर्ची फाड़कर बैठे..अरविंद केजरीवाल से भी आपको भारी असहमति हो सकती है और होनी भी चाहिए..लेकिन आप जब किसी के नाम की चिट तक बर्दाश्त नहीं कर सकते तो फिर किस मुंह से जनता को एकता दिवस मनाने की नसीहत और शपथ दिलाने का काम करते हैं ?
ये जो हुआ गलत हो सकता है , लेकिन आपकी तरफ से कभी ये नही लिखा गया कि जब इसी भाजपा के अधयक्ष को तडीपार जैसे शबदो से “आप” का आशुतोष टी वी पर बोलता रहता है