अभय सिंह-
आज पूरे देश के विपक्षी नेताओं, मीडिया,पत्रकार,बुद्धिजीवियों का एक ही सवाल है की वाराणसी की महज 5 सीटों के लिए प्रधानमंत्री को मोदी को रोड शो करना पड़ रहा है ,पूरी ताकत लगानी पड़ रही है क्या ये हार का डर,या खिसकती जमीन का संकेत है या कुछ और।
लेकिन इसके उलट सूत्रों के अनुसार अमित शाह के आंतरिक सर्वे में बीजेपी अन्य दलों से काफी आगे है एवं तीसरे चरण के बाद सपा की जगह बसपा से अधिक कड़ी टक्कर मिलने का संकेत मिला है खासतौर पर मुस्लिमो का रुझान सपा से फिसलकर बसपा की ओर बढ़ा है ।
शाह,सुनील बंसल,ओम माथुर की तिकड़ी की व्यापक रणनीति के तहत एवं उनकी टीम के आतंरिक इनपुट के आधार पर बीजेपी को यूपी में 5 चरण की 314 सीटों में 145-155 सीटों का अनुमान है यानि छठवें और सातवें या आखिरी चरण की 89 सीटे निर्णायक सिद्ध होंगी।
छठे चरण में शाह एवं योगी आदित्यनाथ की ध्रुवीकरण की रणनीति काफी कामयाब रही योगी के चेहरे का आत्मविश्वास इसकी झलक दे देता है।अगर बीजेपी छठवें और आखिरी चरण की 89 सीटों में 50 सीट भी जीत लेती है तो तो बहुमत के आंकड़े के नजदीक पहुंचना आसान होगा।
शाह की रणनीति के तहत ही प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को भुनाकर बीजेपी का वाराणसी के साथ 2 आसपास के जिलों में क्लीन स्वीप करने का इरादा है।
वाराणसी में दादा की नाराजगी ने अमित शाह की चिंताए बढ़ा दी थी लेकिन पीएम के आने के बाद मामला थोडा शांत दिखा।अब अमित शाह और मोदी की कोशिश सत्ता परिवर्तन के लिए भारी मतदान को प्रोत्साहित करने की होगी।
कुल मिलाकर अमित शाह के कुशल चुनावी प्रबंधन तारीफ़ करनी होगी की महज 41 सीटों वाली मृतप्राय बीजेपी आज पूरे यूपी में पूरी मजबूती से लड़ रही है और सत्ता पाने की दहलीज पर खड़ी है।