माता रानी के नाम पर
जिस चैनल की अब तक की यूएसपी हिन्दी की पुरानी फिल्मों, उनके गानों पर आधारित शो की रही है, इस दौरान पूरे प्रसारण का बड़ा हिस्सा चंचल चौहान के भजनों, फिल्मी गानों की पैरोडी और झंडेवालान मंदिर से पल-पल की खबर देने में खपा दी जा रही हैं. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां माता रानी की कृपा और बाजार के ऑफर एक-दूसरे से गुंथे न हों. इसी कड़ी में चैनल ने दूरदर्शन के राम अरुण गोविल को “श्रीराम की कहानी, बच्चों की जुबानी” का जज बनाया और उनसे रामकथा के चरित्रों को चुनने का काम दिया. अरुण गोविल ने आसित नाम के बच्चे को इसलिए चुना कि जिस तरह रावण अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी करता था, ये बच्चा भी अपनी जिद पर अड़ा था.
अब श्रोता अरुण गोविल और चैनल से ये पूछे कि क्या अभिनय का आधार कलाकार का स्वाभाव होता है या फिर उसकी अभिनय क्षमता..आवाज को आधार बनाते, फिर भी चल जाता लेकिन चरित्रों के अनुसार स्वभाव की तलाश और उनका चयन..ये तर्क सुनकर नाट्य अकादमी के दिग्गजों के भी पसीने छूट जाएंगे.
बहरहाल, नवरात्र के नाम पर बिग 92.7 एफएम चैनलों पर जो कुछ भी प्रसारित किया जा रहा है, साफ झलक जाता है कि ये इस मुगालते में है कि पुरानी फिल्मों, नास्टैल्जिया से लेकर खास मौके का वही ट्रेंड सेटर है. ये अलग बात है कि ऐसा करते हुए इसका चरित्र खबरिया चैनलों से अलग नहीं रह जाता.
(मूलतः तहलका में प्रकाशित)