लीजिये,ऐसे में तो डबल सिम लोकतंत्र क्रैश कर जायेगा..प्रधानसेवक का फुल्ल सपोट कीजियेगा और उनके मितरों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन? कैसे होगा?
अम्बानी परिवार की ओर से काशी विश्वनाथ मंदिर की 59 साल की परंपरा के तोड़े जाने पर भास्कर, nbt से लेकर सोशल मीडिया पर लोग ऐसे हल्कान हो रहे हैं जैसे कि इन्होंने परंपरा नहीं,मंदिर ही तोड़ दी हो..और तोड़कर कल को वैसा ही मुंबई टाइप राष्ट्रहित में हॉस्पिटल खोल देंगें तो क्या हर्ज हो जायेगा..वहां प्रधानसेवक ने गणेश और कर्ण के मार्फ़त जेनेटिक और प्लास्टिक सर्जरी का जनक भारत को बताया यहाँ लिंग परिवर्तन तकनीक बता देंगे..आखिर एक परंपरा टूटकर दूसरी बनती है तो हर्ज क्या है ?
और ये जिसे परंपरा का टूटना कह रहे हैं, वो तो परंपरा का निर्माण है जो ये बताता है कि देश में वर्ण व्यवस्था गया, क्यों ब्राह्मण रामचरितमानस का ही पाठ करे, जिसके अच्छे दिन आये हैं वो क्यों न करे..प्रधानसेवक के बनारस में गंगा से पहले वर्ण व्यवस्था ख़त्म हो रही है इसमें गलत क्या है ?
स्रोत@एफबी