सुयश सुप्रभ
जब सैकड़ों मीडियाकर्मी मनमानी छँटनी का विरोध करने के लिए सीएनएन-आईबीएन के दरवाज़े के सामने कड़ी धूप में नारे लगा रहे थे, तब आप में शामिल होने वाले आशुतोष कुमार चेहरा दिखाने के लिए भी एक बार सामने नहीं आए थे। आज वे सुपरमैन की तरह कुर्सी फेंककर सामाजिक बदलाव की ज़मीन तैयार कर रहे हैं। सुनने में तो यह भी आया है कि आप के कुछ उम्मीदवारों से यह पूछा जाने लगा है कि वे चुनाव में कितना पैसा खर्च कर सकते हैं। प्रगतिशीलों को निष्क्रियता का ताना मारने वाले तमाम लोगों से मेरा यही कहना है कि अगर आप जैसे राजनीतिक दल की सक्रियता और निष्क्रियता में से किसी को चुनना हो तो मैं निष्क्रियता को ही चुनूँगा। गलत इलाज से मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन कभी-कभार धीरज रखने वाले रोगी को प्रकृति ही ठीक कर देती है।
(स्रोत-एफबी)