पटना. मीडिया इंडस्ट्री में ये चलन चल पड़ा है कि कभी भी कटौती करनी हो तो पत्रकारों की जेब पर ही डाका डालो और उनकी सैलरी ही रोक दो. आर्यन टीवी में आजकल ऐसा ही हो रहा है. पाटलिपुत्र ग्रुप ऑफ कंपनीज के बिहार पर केंद्रित चैनल ‘आर्यन टीवी’ में पिछले दो माह से कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है. दिसम्बर 2012 और जनवरी माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है. दूसरी तरफ यही ग्रुप एक होटल patliputraexotica खोल रहा है. स्पष्ट है कि इन्हें पत्रकारों की फ़िक्र नहीं. वे मरे या जियें. हालात और खराब हो गए जब आज सुबह से LIVE नहीं जा रहा था क्योंकि लीज लाईन डाउन हो गया था. हालाँकि दस बजे के बाद से फिर सब सामान्य हो गया और लाइव जाने लगा. लेकिन ये आए दिन की समस्या है.
दरअसल 4 जुलाई 2012 को एच आर निशा रतनाकर के नोटीस के द्वारा सी.एल बंद किया गया और कहा गया की दिसम्बर माह की सैलरी में जोड़ कर दिया जाएगा लेकिन वह अब नहीं दिया जा रहा है.
आर्यन टीवी की हालत का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि पीएफ और ई.एस.आई तो काटा जाता है लेकिन सालों गुजर गए आज तक किसी को भी पी.एफ खाता न. नहीं दिया गया. पता नहीं वो पैसा कहां जा रहा है और ना ही ESI की किसी भी कर्मचारी को सुविधा दी जा रही है (पता नहीं पी.एफ अधिकारी क्या पी कर सोए है?).
छुट्टी का भी बुरा हाल है. क्या केन्द्र, क्या राज्य सरकार की छुट्टियाँ? कुछ भी नहीं दिया जाता. ईद बकरीद हो या मजदूर दिवस छुट्टी नहीं. बिहार सरकार के मंत्री जनार्दन सिंह और नीतिश कुमार न जाने कैसा सुशासन दे रहे हैं कि LTD कम्पनी नियमों की ताक पर ऱख कर कार्य कर रहे हैं ( कर्मचारियों की हाजरी को चेक किया जा सकता है).
कर्मचारियों की हालत काफी खराब हो चुकी है. एक ऐंकर को एच.आर यह कह गए कि दो टके की ऐंकर तुम्हारी औकात क्या है? इससे एच.आर. के पावर का अंदाजा लगा सकते हैं. वैसे उस ऐंकर ने अब आना छोड़ दिया है . यानी आर्यन टीवी में दुर्व्यवस्था का आलम है और हालात बद – से – बदतर होते जा रहे हैं.
aisa hamesha hi hota hai..sansthan main jab tak salary sahi se nahi diya jata hai..tab tak wahan ke karmchari bhi jo output dete hain usper bhi bura asar parta hai kyonki jab pet main aag lagi rahti hai to kalam ki siyahi bhi phiki ho jati hai…aur itihas hai ki bhuke pet wala insan kafi khatarnak ho jata hai…..main bhi pahle up main aryan se hi juda hua tha…mujhe bhi yeh bura anubhav hai….
मैं तो एक ही बात जानता हूं कि जब संस्थान वाले पैसे देने मं दिक्कत करते हैं तो वहा के कर्मचारी पर भी काम में असर दिखता है,,,,जब पेट में आग लगी होती है तो पत्रकारों के कलम की स्याही का रंग फीका पड़ जाता है…और ये भी सच है कि भूखे पेट वाला इंसान काफी खतरनाक हो जाता है…इसबात का इतिहास गवाह है…..मैं भी कुछ महीने पहले यूपी में इसी चैनल से जुड़ा हुआ था…मेरा भी काफी बूरा अनुभव है….
आर्यन की स्थिती पहले ऐसी नहीं थी जब से संपादक अभिरंजन कुमार आए है तब से स्थिती बदतर हो चुकी है उसको अपना मुहा मुही प्रोग्राम से time मिले तब तो वह दुसरो का दुख समझे, वैसे संपाक जी हमदर्द भी है[कर्मचारियों से कहते हैं की सूद पर किसी से पैसा लेकर काम चला लो,
वेतन नहीं तो काम नहीं का नारा लगाओ…. निकम्मों।
तुम लोग रोते रहते हो पैसा-पैसै अपने HR को देखो दस हजार से कैसे लाखो में खेला रही है आज सब कुछ है तुमारे पास क्या है सिर्फ रोना शर्म करो……पुरे ग्रुप की पावर ही पावर पैसा ही पैसा है HR के पास, इसे मेहनत का पैसा समझो तुम
suna hai ki HR madam wahan ke malik ki kept hain so unki dhamki ki shikayat malik kaise sunega?
Abhiranjan Ji aap to roj sarkari kuvayavastha par chot karte hain. Har sataye logon ke saath rahne ki baat karte hain par apne hi sansthan ki kuvyavastha par chot kyun nahi karte.Aapke kansthon ko abhi tak salary mili magar aap to chobha maar rahe hai. Aage aur peeche se. Yaani dono haath mein laddoo. Kuch to sharam karein. Garibon ko salary dilwayen ya vampanthi hone ka naatak band karein. Aapne suna hoga: Rahiman aah gariban ki kabhi khali na jaye/Muye aag ki dhhanh se lauh bhasam ho jaye.
Inn matthadhishon ko iss baat ki kya chinta hai ke inhein paise mile ya na mile…inhein to bas apna faayeda hi nazar aata hai…
Are kabhi inn par aisi guzregi tab na ye samjhenge patrakaaron ka dard…ya phir bhagwaan na kare ke kabhi inn ke bachhon ko (jo sone ka spoon munh me le kar paida hue hain)kabhi aisi musibat aur aise kasht ka saamna karna pade tab yehi matthadheesh haaye haaye karte nazar aayenge…
Are kabhi inhon ne nahi socha ke ye bechaare masoom patrakaar jo kewal apne pet ki chinta karta hai aur kaise wo apna jeevan chalaata hai…ye samaaj ke unn CMD, CEO ya badi post waale kya samjhenge…unhein to bas business karna hai aur unka apna faayeda hona chahiye (chaahe black money ko white money me badalna hi kyun na ho)…
Lekin mere iss lekh se kewal unn se vinti hai ke kabhi to unnka dard samjhein…kabhi unn ke kasht ko aatmsaat karein…
kyunke unn ke bachhe jab bhooke hon aur apne daddy se demand karte hain to kya peeda mahsoos karte hain ye bechaare patrakaar…iss ka kewal sahaj andaaza lagaa lein…